स्वर्णिम भारत न्यूज़ संवाददाता, पटना। Sharda Sinha Chhath Puja Songविवाह का अवसर हो या छठ महापर्व, पद्मभूषण बिहार कोकिला शारदा के गीत बिन जैसे अधूरा हो। गांव-शहर कहीं भी हो, घर-घर उनके गीत गूंजते हैं। बलमुआ कइसे तेजब हो छोटी ननदी..., में ननद-भाभी की मीठी नोंकझोंक हो या 'अगे माई हरदी हरदिया दूभ पातर ना...," ये गीत लोक की संस्कृति बन चुके हैं। और, छठ की तो बात ही निराली है। दीपावली आते ही हर तरफ छठ के गीत। कांच ही बांस के बहंगिया...हो या रुनकी-झुनकी बेटी मांगिला..., लोगों में ये रच-बस चुके हैं।
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