स्वर्णिम भारत न्यूज़ संवाददाता, गया। मन शांत है, बहुत शांत। एक अलग तरह की अनुभूति हो रही है। यह धरती जैसे कह रही हो, युद्ध नहीं शांति। ये शब्द हैं यूक्रेन के यूएस थापा के। सनातन संस्कृति की विशेषता ही है, जिसने विदेशियों को भी आकृष्ट किया। यहां का यज्ञ-प्रयोजन, कर्मकांड हो या पूजा पद्धति। इसके मनोवैज्ञानिक प्रभाव से चित्त को शांति मिलती है।
यह तर्पण की सनातनी परंपरा ही है, जिसे निभाने रूसी व यूक्रेनियों को गयाजी के फल्गु नदी के एक तट पर आना पड़ा, जबकि दोनों देश के सैनिक युद्धरत हैं। यहां पितरों की मोक्ष देती फल्गु की धारा है तो युद्ध नहीं शांति का संदेश देते बुद्ध भी हैं।
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