दिल्ली की एक अदालत ने वक्फ बोर्ड मामले में गिरफ्तार कौसर इमाम सिद्दीकी को जमानत दे दी है. सिद्दीकी पर आरोप है कि उन्होंने आप विधायक अमानतुल्लाह खान के लिए 'मिडलमैन' के तौर पर प्रॉपर्टी खरीदी. जज ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को बिना ट्रायल लंबी हिरासत के लिए फटकार लगाई और कहा कि ऐसा करना कानून के नियमों और मानवाधिकारों का उल्लंघन है.
क्या है पूरा मामला?
सिद्दीकी को 24 नवंबर 2023 से हिरासत में रखा गया था. अदालत ने पाया कि ईडी ने पांच महीने तक ट्रायल में देरी की, जिससे आरोपी बिना सुनवाई के जेल में रहे. जज ने कहा कि आरोपी के ट्रायल में अभी और समय लगेगा क्योंकि चार्जशीट पर अब तक मंजूरी नहीं मिली है.
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अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि आरोपी को लंबी हिरासत में रखना न्याय प्रक्रिया के सिद्धांतों के खिलाफ है. जज ने कहा, 'निर्दोष साबित होने तक हर व्यक्ति निर्दोष माना जाता है.'
ईडी को सुनाई फटकार
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अदालत ने ईडी पर आरोप लगाया कि उसने अपने प्रयास तेज ट्रायल के लिए नहीं बल्कि आरोपी को हिरासत में रखने पर केंद्रित किए. जज ने कहा, 'ईडी का पूरा जोर आरोपी को जेल में रखने पर है, जबकि उसे तेज ट्रायल पर काम करना चाहिए.'
अमानतुल्लाह खान को पहले ही मिली राहत
इससे पहले 14 नवंबर को अदालत ने वक्फ बोर्ड मामले में अमानतुल्लाह खान को जमानत देते हुए कहा था कि उनके खिलाफ ट्रायल शुरू होने में देरी हो रही है.
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अदालत ने सिद्दीकी को जमानत देते हुए कहा कि वह एक साल से हिरासत में हैं और अब तक चार्जशीट की कॉपी तक नहीं दी गई है. वकील हेमंत शाह ने अदालत में कहा कि इतने लंबे समय तक बिना ट्रायल के हिरासत में रखना गलत है, और अदालत ने इसे स्वीकार करते हुए उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया.
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