दिल्ली की स्वच्छता पर हावी कैसे हुआ धुआं? SC के 5 साल पुराने आदेश में छुपे हैं उपाय भी, लेकिन...

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दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण हर साल की कहानी बन गया है. राष्ट्रीय राजधानी दिवाली के बाद गैस चैंबर बन जाती है और यह सिलसिला फरवरी-मार्च तक चलता रहता है. जहरीली गैस ना सिर्फ गंभीर बीमार करती है, बल्कि आंखों में जलन, घुटन और सांस लेने में तकलीफ जैसी स्वास्थ्य समस्याएं भी खड़ी कर देती है. हैरानी की बात यह है कि सरकारें हर साल नया प्लान बनाती हैं और सुप्रीम कोर्ट नासूर समस्या पर ठीक से काम नहीं करने पर फटकार लगाती है. लेकिन हालात जस के तस ही बने रहते हैं. SC ने करीब 5 साल पहले भी दिल्ली के पॉल्यूशन पर सॉल्यूशन दिया था, लेकिन बदला कुछ नहीं है. व्यवस्थाएं ढर्रे पर ही चल रही हैं.

इस साल दिल्ली में दिवाली के बाद से प्रदूषण में रिकॉर्ड उछाल आया है. 21 दिन के बाद भी हालात में बिल्कुल सुधार नहीं है और वायु गुणवत्ता सूचकांक सीवियर कैटेगरी में बना हुआ है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, गुरुवार सुबह दिल्ली में धुंध की मोटी चादर छाई रही. सुबह 7 बजे AQI 379 पर पहुंच गया, जो बहुत खराब श्रेणी में माना जाता है. बुधवार को यह गंभीर श्रेणी था.

... लेकिन नहीं हो पाया दिशा-निर्देशों काठीक से अनुपालन?

दरअसल, 13 जनवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने दिल्ली के पॉल्यूशन का सॉल्यूशन दिया. डबल बेंच ने 56 पेज का आदेश जारी किया था और इसमें प्रदूषण को लेकर सरकारों के हलफनामे से लेकर दिशा-निर्देशों के बारे में जानकारी दी गई थी. लेकिन, विडंबना यह है कि करीब 5 साल बाद भी दिल्ली में कुछ नहीं बदला है. वायु प्रदूषण को लेकरहॉटस्पॉट का जिक्र किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने हॉट स्पॉट की समस्याएं और उनसे मुक्ति के उपाय भी बताए थे. लेकिन, सरकारें आज भी उस दिशा में आगे नहीं बढ़ सकीं और ना ही निर्देशों का ठीक से पालन करवाने में सफल होती देखी गईं. जानकार कहते हैं कि अगर सरकारें सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का ठीक से पालन करवा देतीं तो शायद सुधारात्मक नतीजे देखने को मिलते.

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सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए उपाय बताए थे. जिन क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता गंभीर हो, वहां निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था. दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर कड़ी नजर रखने के लिए कहा था और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने और पुराने वाहनों को हटाने की बात कही थी. दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का ज्यादा उपयोग सुनिश्चित करने पर जोर दिया था. इस संबंध में दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और यूपी की सरकारों को तीन हफ्ते के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट दायर करने के लिए कहा गया था.

जो दिशा-निर्देश, जो सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए थे?

पराली जलाने से रोकने के लिए सरकारें क्या करें...

- पराली जलाने से रोकने के संबंध में एक व्यापक योजना तैयार की जाए. फसल अवशेष प्रबंधन तैयार किया जाए, इसके उपयोग के साथ-साथ उर्वरक, पशु आहार और जैव ईंधन के रूप में भी काम किया जाए. 100 रुपये प्रति क्विंटल के प्रोत्साहन और हतोत्साहन और इन-सिटु खेती के संबंध में अंतिम निर्णय लिया जाए. केंद्र सरकार और पंजाब, हरियाणा और यूपी की राज्य सरकारों को डंठल या पराली जलाने से रोकने के लिए व्यापक योजना तैयार करने का निर्देश दिया था.
- फसल अवशेष प्रबंधन के लिए भी निर्देशित किया, जिसमें उसका उपयोग उर्वरक, पशु भोजन और जैव ईंधन के रूप में किया जा सके.
- कंबाइन हार्वेस्टर, हैप्पी सीडर्स, हाइड्रॉलिकली रिवर्सिबल एमबी प्लाऊ, पैडी स्ट्रॉ चॉपर, मल्चर, रोटरी स्लेशर, जीरो टिल सीडड्रिल, रोटावेटर और विशेष रूप से बेलर उपलब्ध कराने के लिए एक योजना तैयार की जाए और सीमांत किसानों को निःशुल्क या नाममात्र किराये के आधार पर उपलब्ध कराई जाए.
- दिल्ली और पंजाब, हरियाणा और यूपी की सरकारें बताएं कि पराली जलाने और अन्य प्रदूषण को रोकने के लिए उचित कदम उठाने में उनकी मशीनरी और संबंधित अधिकारियों की विफलता के लिए क्यों नहीं उन्हें जुर्माना देना चाहिए.

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स्मॉग के लिए क्या करें...

- दिल्ली सरकार, कनॉट प्लेस में प्रस्तावित स्मॉग टावर लगाए और तीन महीने के भीतर काम पूरा करे. आनंद विहार में भी एक ऐसा ही टावर लगाया जाए. दिल्ली सरकार सात दिनों के भीतर प्रायोगिक टावर लगाने के लिए 30 x 30 मीटर की जगह उपलब्ध कराए. इस परियोजना को केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय परियोजना की निगरानी करे.
- दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बड़े निर्माण स्थलों, सड़क निर्माण का विस्तार, विशेष रूप से खुदाई और कॉम्पैक्टिंग या संहनन के दौरान, खनन गतिविधियां, कच्चे या अनपेक्षित क्षेत्रों में बड़े पार्किंग स्थल और सार्वजनिक सभाओं के दौरान और विध्वंस गतिविधियों के दौरान 'एंटी-स्मॉग गन' का इस्तेमाल किया जाए.
- दिल्ली/एनसीआर क्षेत्र की सरकार और हरियाणा, यूपी की संबंधित सरकारें विभिन्न चिह्नित किए गए हॉटस्पॉट और उनके प्रबंधन के लिए उठाए गए कदमों और ऐसे हॉटस्पॉट से उत्पन्न पर्यावरणीय खतरों को दूर करने के संबंध में रिपोर्ट दाखिल करें.
- दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में एंटीस्मॉग गन का उपयोग किया जाए.
- दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और यूपी के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विशेष रूप से रात में भी औद्योगिक क्षेत्रों की निगरानी करें और चिमनी से काला धुआं उत्सर्जित करने वाले उद्योगों के संबंध में कड़ी कार्रवाई करें. यह सुनिश्चित करवाएं कि उद्योग PM/NOx/Sox के मानदंडों और मानकों का अनुपालन करें.

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कचरा प्रबंधन के लिए क्या करें...

- दिल्ली-एनसीआर, यूपी, हरियाणा और राजस्थान की सरकारें प्लास्टिक, औद्योगिक और अन्य कचरे की डंप जगहों की पहचान करें और यह सुनिश्चित करें कि कचरे को जलाया ना जाए और प्रोसेसिंग के लिए उपयोग किया जाए. जमा हुए कचरे को समय पर हटा दिया जाए. रिपोर्ट छह सप्ताह के भीतर दाखिल की जाए.
- दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और यूपी की सरकार निर्माण/विध्वंस गतिविधि के संबंध में मानदंडों का उल्लंघन करने पर डेवलपर्स पर लगाए गए जुर्माने और कार्रवाई पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें और क्या किसी डेवलपर को ब्लैक लिस्टेड किया गया, उसके बारे में भी बताएं.
- अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक व्यापक योजना तैयार की जाए और मौजूदा सुविधाओं और समग्र जरूरतों पर भी काम किया जाए. वायरलेस सेंसर नेटवर्क प्रौद्योगिकी में उचित अनुसंधान और विकास किया जाए.

साफ-सफाई के लिए क्या करें...

- दिल्ली सरकार ने बताया है कि कूड़ा-कचरा उठाने के संबंध में विवरण तैयार किया जा रहा है. दिल्ली में उत्पन्न कूड़े-कचरे के संबंध में सिर्फ 55% क्षमता ही उपलब्ध है. कचरे से निपटान के लिए पूर्ण (100%) क्षमता के लिए तीन महीने के भीतर एक व्यापक योजना तैयार की जाए. इसे न्यायालय के समक्ष रखें.
- संबंधित प्रदूषण बोर्ड केरोसिन पर चलने वाले वाहनों के संबंध में कार्रवाई, जांच आदि की रिपोर्ट दाखिल करें. दिल्ली में पानी की आपूर्ति की गुणवत्ता के संबंध में संबंधित प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ-साथ भारतीय मानक ब्यूरो दिल्ली में विभिन्न नमूनों की जांच करे और एक महीने के भीतर इस संबंध में एक रिपोर्ट सौंपे.
- राज्य सरकार विभिन्न नदियों में सीवेज और अनट्रीटेड औद्योगिक अपशिष्टों को डालने के संबंध में उनके द्वारा किए गए उपायों और तैयार की गई योजना और सीवेज के लिए पैसे की व्यवस्था के बारे में सूचित करें. ट्रीटमेंट प्लांट और मौजूदा सुविधाओं और जरूरतों को आठ सप्ताह के भीतर बताया जाए.

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ट्रैफिक के लिए...

- दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और यूपी की सरकारें ट्रैफिक फ्लो की समस्या को हल करने के लिए एक योजना बनाएं और इससे निपटने के संबंध में इस कोर्ट द्वारा पहले पारित आदेशों का अनुपालन करें.
- दिल्ली की नगर निगम, दिल्ली की एनसीटी सरकार, संबंधित निकाय और हरियाणा, राजस्थान और यूपी की सरकारें गड्ढों की देखभाल करें और तीन सप्ताह के भीतर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट दाखिल करें और उनके पिछले निर्देशों के संबंध में अनुपालन रिपोर्ट भी दाखिल करें और यदि कोई काम बाकी है तो उसे तीन सप्ताह के भीतर पूरा किया जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने और क्या टिप्पणी की थी...

सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि दिल्ली सरकार ने जो हलफनामा दाखिल किया है, उसमें विभिन्न हॉटस्पॉट की पहचान के बारे में बताया है. कोर्ट ने पराली जलाने में किसानों की समस्या को दो फसलों के बीच कम अंतराल के रूप में नोट किया है, जिसके कारण कृषक पराली जलाने में लिप्त होते हैं. हमने पंजाब की सैटेलाइट तस्वीरें देखी हैं जहां पिछले वर्षों के रिकॉर्ड में हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तुलना में पराली अधिक जलाई गई है. हमने देखा है कि इस तरह के कृत्य के लिए प्रशासन में शामिल पूरी मशीनरी को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. खास तौर पर इस बात को ध्यान में रखते हुए कि यह समस्या नई नहीं है और लंबे समय से चली आ रही है और अधिकारी इसका कोई समाधान नहीं ढूंढ पाए हैं.

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कोर्ट का कहना था किइसका बुरा असर प्रशासन पर पड़ता है. समय पर उचित कार्रवाई नहीं करने और इसकी रोकथाम के लिए कोई योजना तैयार नहीं करने से उसकी सुस्ती साफ झलकती है. इन परिस्थितियों में हमने राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और एनसीटी दिल्ली के मुख्य सचिवों को निर्देश जारी किए हैं. इस न्यायालय ने पंचायतों और संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों सहित सभी अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि पराली ना जलाई जाए.

कोर्ट का कहना था कि कुछ वकीलों ने ऑड-ईवन योजना की भ्रांति की ओर भी इशारा किया है क्योंकि यह उन कारों पर लागू किया गया था जो तीन प्रतिशत प्रदूषण में योगदान दे रही हैं और 28% वाहन प्रदूषण के कारण भी हैं और फिर लगभग 50% कारें दिल्ली में चलती हैं. उन दिनों में विषम या सम संख्याएं होती हैं. इस प्रकार यह बताया गया कि यह समाधान नहीं है. हमने इस संबंध में कुछ डेटा भी मांगा है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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