कैलाश गहलोत के इस्तीफे से दिल्ली सरकार में खाली हुए 5 मंत्रालय, जानें अब कौन संभालेगा कमान

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कैलाश गहलोत दिल्ली सरकार में मंत्री पद के साथ ही आम आदमी पार्टी से भी इस्तीफा दे दिया. विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले आम आदमी पार्टी के लिए ये बड़ा झटका माना जा रहा है. अब गहलोत के इस्तीफे के बाद खाली हुए मंत्रायलों की जिम्मेदारी कौन संभालेगा? ये सवाल सियासी गलियारों में गूंज रहा है. चर्चा ये थी कि क्या आतिशी सरकार में किसी और विधायक को मंत्री बनाया जाएगा? इस बीच इसको लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है.

दरअसल, कैलाश गहलोत के इस्तीफे के बाद अब आतिशी कैबिनेट में कुल 4 मंत्री रह गए हैं. गहलोत के पास दिल्ली सरकार में पांच मंत्रालय थे. इनमें परिवहन, प्रशासनिक सुधार, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, गृह और महिला एवं बाल विकास विभाग शामिल हैं. सीएम आतिशी ने इन विभागों की जिम्मेदारी अब खुद संभालने का फैसला किया है. उन्होंने इसको लेकर उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को प्रस्ताव भेजा है.

इस्तीफे को AAP ने बताया बीजेपी की साजिश

बता दें कि कैलाश गहलोत के इस्तीफे को AAP ने बीजेपी की साजिश बताया है. सांसद संजय सिंह ने कहा कि गहलोत जी बीजेपी की लिखी हुई स्क्रिप्ट पढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा अपनी साजिश और अपनी निम्नस्तरीय राजनीति में सफल हो गई है.
कैलाश गहलोत द्वारा अपने इस्तीफे में लगाए गए आरोपों पर AAP सांसद संजय सिंह ने कहा, 'कैलाश गहलोत भाजपा के दबाव में थे. उनसे ईडी ने पूछताछ की. गहलोत की सीबीआई-ईडी समेत केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच की जा रही थी. गहलोत द्वारा लगाए गए आरोप ऐसे नहीं लगाए जा सकते हैं, क्योंकि वे 5 साल तक सरकार का हिस्सा थे. भाजपा ने गहलोत को एक स्क्रिप्ट सौंपी है, उन्हें उसी के अनुसार काम करना होगा.'

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गहलोत ने इस्तीफे में लगाए कई गंभीर आरोप

आपको बता पार्टी के वरिष्ठ नेता और परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने आज AAP की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफा देते हुए कैलाश गहलोत ने AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कई आरोप लगाए हैं. केजरीवाल को लिखे पत्र में उन्होंने लिखा, 'उदाहरण के लिए, जिस यमुना को हमने स्वच्छ नदी बनाने का वादा किया था, लेकिन हम कभी ऐसा नहीं कर पाए. अब यमुना नदी पहले से भी अधिक प्रदूषित हो गई है. एक और दर्दनाक बात यह है कि लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने के बजाय हम केवल अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए लड़ रहे हैं. इससे दिल्ली के लोगों को बुनियादी सेवाएं प्रदान करने में भी कठिनाई हो रही है.'

कैलाश गहलोत ने लिखा कि नया बंगला जैसे कई शर्मनाक और अजीबोगरीब विवाद हैं, जो अब सभी को संदेह में डाल रहे हैं कि क्या हम अभी भी आम आदमी होने में विश्वास करते हैं. अब यह साफ है कि अगर दिल्ली सरकार अपना अधिकांश समय केंद्र से लड़ने में लगाती रहेगी तो दिल्ली का कुछ नहीं हो सकता.

कैलाश गहलोत का इस्तीफा पहले से तय था?

जब अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जैसे आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेता तिहाड़ जेल में थे, तब कैलाश गहलोत की उपराज्यपाल सचिवालय के साथ बढ़ती नजदीकियां चर्चा का विषय बन गई थीं. दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है, क्योंकि अधिकांश मंत्री उपराज्यपाल के बुलाए गए बैठकों में शामिल होने से बचते हैं. लेकिन कैलाश गहलोत इस मानक से अलग दिखाई दिए.

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केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद, जब दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच की खाई और भी गहरी हो गई थी, तब गहलोत ने नियमित रूप से उपराज्यपाल सचिवालय में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. वे अपने विभागों से जुड़ी बैठकों में लगातार जाते रहे. यह उस समय और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब उपराज्यपाल वीके सक्सेना भी गहलोत के विभागों से संबंधित उद्घाटन समारोहों में सक्रिय रूप से भाग लेते रहे.

बीजेपी का रुख भी इस मामले में दिलचस्प रहा. जहां पार्टी आम आदमी पार्टी के अन्य मंत्रियों पर हमलावर रहती थी, वहीं कैलाश गहलोत पर किसी बड़े हमले का अभाव साफ दिखाई दिया.

कैलाश गहलोत के खिलाफ चल रहे जांच पर भी एक नजर

कैलाश गहलोत का इस्तीफा इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि उन पर लगे आरोपों और उसके बाद बीजेपी के साथ उनकी नजदीकियों की भी चर्चा जोर-शोर से हो रही है. वहीं, बीजेपी की इसी पार्टी ने पहले आक्रामक होकर गहलोत पर आरोपों की बौछार की थी. दिल्ली में वर्तमान विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने ही सबसे पहले विधानसभा में डीटीसी घोटाले को जोर शोर से उठाया था.

कैलाश गहलोत के खिलाफ चल रही जांच की बात करें तो साल 2021 से दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (डीटीसी) के बस खरीद मामले में सीबीआई द्वारा जांच जारी है. इस मामले की शुरुआत 2020 में हुई थी, जब दिल्ली सरकार ने 1,000 बसों की खरीद के लिए टेंडर जारी किया था. विपक्ष ने आरोप लगाया था कि बसों के रखरखाव के नाम पर 4,500 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं, जिसे बड़े घोटाले के रूप में देखा गया. इसी के परिणामस्वरूप, तत्कालीन उपराज्यपाल अनिल बैजल ने तीन सदस्यीय हाई पावर कमेटी के गठन का निर्णय लिया और बस टेंडर को रोक दिया.

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इसके अलावा, कैलाश गहलोत दिल्ली के शराब घोटाले में भी शामिल रहे हैं. दिल्ली की लिकर पॉलिसी बनाने में उन्होंने मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के साथ मिलकर काम किया. इस संबंध में उनसे मार्च 2024 में पूछताछ भी की गई थी.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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