अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली की सियासत में बड़ा उबाल आया है. केजरीवाल के करीबी और दिल्ली के पावरफुल मंत्री कैलाश गहलोत ने अचानक ना सिर्फ मंत्री पद छोड़ा बल्कि आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दे दिया. सीएम आतिशी ने कैलाश गहलोत का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है.
केजरीवाल को लिखी इस्तीफे वाली चिट्ठी में कैलाश गहलोत के शब्द विपक्ष जैसे हो गए.अपने पत्र में कैलाश गहलोत ने उन सारे आरोपों को दोहरा दिया जिससे बीजेपी AAP पर प्रहार करती रही है. कैलाश गहलोत ने चिट्ठी में सीएम हाउस पर खर्च और यमुना सफाई का मुद्दा उठाया. वहीं आम आदमी पार्टी ने इस इस्तीफे को बीजेपी की साजिश बताया है.
AAP ने बताया बीजेपी की साजिश
कैलाश गहलोत पर AAP का पहला आधिकारिक बयान सामने आया है.गहलोत के इस्तीफे पर सांसद संजय सिंह ने कहा कि गहलोत जी बीजेपी की लिखी हुई स्क्रिप्ट पढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा अपनी साजिश और अपनी निम्नस्तरीय राजनीति में सफल हो गई है.
कैलाश गहलोत द्वारा अपने इस्तीफे में लगाए गए आरोपों पर AAP सांसद संजय सिंह ने कहा, 'कैलाश गहलोत भाजपा के दबाव में थे. उनसे ईडी ने पूछताछ की. गहलोत की सीबीआई-ईडी समेत केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच की जा रही थी. गहलोत द्वारा लगाए गए आरोप ऐसे नहीं लगाए जा सकते हैं, क्योंकि वे 5 साल तक सरकार का हिस्सा थे. भाजपा ने गहलोत को एक स्क्रिप्ट सौंपी है, उन्हें उसी के अनुसार काम करना होगा.'
AAP बोली वह बीजेपी में शामिल होंगे
वहीं AAP सूत्रों ने कहा कि कैलाश गहलोत पर ईडी-इनकम टैक्स के छापे पड़े थे उनके पास कोई और कोई रास्ता नहीं था. AAP सूत्रों ने कहा कि कैलाश गहलोत के पास बीजेपी में जाने के सिवा कोई विकल्प नहीं था. कहा जा रहा है कि थोड़ी देर में इसे लेकर अरविंद केजरीवाल प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं. वहीं बीजेपी ने कैलाश के फैसले को बहादुरी वाला बताया है.
गहलोत ने इस्तीफे में लगाए कई गंभीर आरोप
आपको बता पार्टी के वरिष्ठ नेता और परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने आज AAP की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफा देते हुए कैलाश गहलोत ने AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कई आरोप लगाए हैं. केजरीवाल को लिखे पत्र में उन्होंने लिखा, 'उदाहरण के लिए, जिस यमुना को हमने स्वच्छ नदी बनाने का वादा किया था, लेकिन हम कभी ऐसा नहीं कर पाए. अब यमुना नदी पहले से भी अधिक प्रदूषित हो गई है. एक और दर्दनाक बात यह है कि लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने के बजाय हम केवल अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए लड़ रहे हैं. इससे दिल्ली के लोगों को बुनियादी सेवाएं प्रदान करने में भी कठिनाई हो रही है.'
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कैलाश गहलोत ने लिखा कि नया बंगला जैसे कई शर्मनाक और अजीबोगरीब विवाद हैं, जो अब सभी को संदेह में डाल रहे हैं कि क्या हम अभी भी आम आदमी होने में विश्वास करते हैं. अब यह साफ है कि अगर दिल्ली सरकार अपना अधिकांश समय केंद्र से लड़ने में लगाती रहेगी तो दिल्ली का कुछ नहीं हो सकता.
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