राज्य ब्यूरो, लखनऊ। लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन से झटका खा चुकी भाजपा के लिए उपचुनाव अग्निपरीक्षा माना जा रहा है। पार्टी इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर लोकसभा चुनाव का हिसाब चुकता करने के साथ ही विधानसभा चुनाव के लिए बड़ा संदेश देना चाहती है। उपचुनाव की तारीखों के एलान से पहले ही सत्ताधारी दल ने जमीनी मोर्चे पर अपने सभी मंत्रियों की तैनाती की है। रालोद का साथ भाजपा की उम्मीदों को और परवान चढ़ा रहा है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के जिस पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की रणनीति ने लोकसभा चुनाव में भाजपा को चौंकाया था, उससे पार्टी अब काफी हद तक उबर चुकी है। इसके अलावा कांग्रेस और सपा द्वारा पिछड़ों और दलितों में फैलाए गए आरक्षण के भ्रम को भी दूर करने में कुछ हद तक सफल रही है।
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