गीदड़भभकी या ट्रंप में वाकई चीन को हिला देने का दम, टैरिफ बढ़ा ऐसा क्‍या डाल देंगे असर, भारत कैसे अहम?

नई दिल्‍ली: अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव में डोनाल्‍ड ट्रंप की जीत के बाद से सभी एक आशंका पर बात कर रहे हैं। वह यह है कि ट्रंप चीन के लिए टैरिफ की दीवारें खड़ी करेंगे। सवाल यह है कि क्‍या वाकई ट्रंप में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था को अ

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नई दिल्‍ली: अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव में डोनाल्‍ड ट्रंप की जीत के बाद से सभी एक आशंका पर बात कर रहे हैं। वह यह है कि ट्रंप चीन के लिए टैरिफ की दीवारें खड़ी करेंगे। सवाल यह है कि क्‍या वाकई ट्रंप में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था को अकेले हिला देने का दम है? एक नए सर्वे में अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि राष्‍ट्रपति की कुर्सी पर बैठने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अगर चीन से आने वाले सामान पर भारी आयात शुल्क लगाने का अपना वादा पूरा किया तो चीन की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता है। सर्वे के अनुसार, ट्रंप का कार्यकाल शुरू होने के बाद अगले साल की शुरुआत में ही चीन से आने वाले सामानों पर 40 फीसदी तक ट‍ैर‍िफ लग सकता है। इससे चीन की आर्थिक विकास दर 1 फीसदी तक गिर सकती है। यह गिरावट काफी बड़ी है।
रॉयटर्स ने यह सर्वे 5 नवंबर को डोनाल्ड ट्रंप की चुनावी जीत के बाद किया। चीन की अर्थव्यवस्था पर यह इस तरह का किया गया पहला सर्वे है। इस सर्वेक्षण में यह भी अनुमान लगाया गया है कि ट्रंप अपने कार्यकाल की शुरुआत में ही चीनी सामानों पर 60 फीसदी तक आयात शुल्क लगाने से बचेंगे।

भारी टैरिफ लगाने का किया था वादा

ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान 'अमेरिका फर्स्ट' ट्रेड पॉलिसी के तहत चीन से आयात होने वाले सामानों पर भारी टैरिफ लगाने का वादा किया था। ट्रंप के इस बयान से चीन में बेचैनी है। इसके चलते चीन की ग्रोथ पर जोखिम मंडरा रहा है।

ट्रंप की ओर से प्रस्तावित टैरिफ उनके पहले कार्यकाल में चीन पर लगाए गए 7.5%-25% से बहुत ज्‍यादा है। दूसरी तरफ लंबे समय से बाजार में गिरावट, कर्ज के जोखिम और कमजोर घरेलू मांग ने चीन की अर्थव्यवस्था को कमजोर किया है। वह पहले जैसी स्थिति में नहीं है।

13-20 नवंबर के बीच रॉयटर्स के 50 से अधिक अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए सर्वे से पता चला है कि चीन के अंदर और बाहर दोनों जगह ज्‍यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ट्रंप अगले साल की शुरुआत तक नए टैरिफ लागू कर देंगे।

अमेर‍िका को भी सता रहा है यह डर

हालांकि, ज्‍यादातर अर्थशास्त्रियों को यह उम्मीद नहीं है कि 2025 की शुरुआत में ही चीनी सामानों पर 60 फीसदी तक आयात शुल्क लगाया जाएगा। कारण है कि इससे अमेरिका में महंगाई दर तेजी से बढ़ सकती है। ANZ के मुख्य अर्थशास्त्री रेमंड येंग का कहना है, 'हमें उम्मीद है कि अमेरिका का नया प्रशासन ट्रंप 1.0 की मूल योजना को ही लागू करेगा।' उनका अनुमान है कि चीनी सामानों पर औसत आयात शुल्क 32-37 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है।

विश्लेषकों का कहना है कि चीन सितंबर के अंत से विकास को गति देने के लिए प्रोत्साहन उपायों को बढ़ाने में जुटा है। अब अगले साल निर्यात में अपेक्षित गिरावट की भरपाई के लिए उस पर घरेलू मांग को बढ़ावा देने के लिए दबाव बढ़ेगा। निर्यात इस साल चीन के आर्थिक विकास का एक प्रमुख फैक्टर रहा है। चीन पर संभावित प्रभाव के बारे में सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि अमेरिका की ओर से नए आयात शुल्क लगाने से 2025 में चीन की आर्थिक विकास दर लगभग 0.5-1.0 फीसदी तक कम हो जाएगी।

भारत का होगा अहम किरदार

इन सब के बीच भारत का किरदार अहम होगा। भारत दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक है। चीन पर भारत के साथ अपने कारोबारी रिश्‍तों को बेहतर बनाने का दबाव बढ़ेगा। इस ओर से उसने कदम भी बढ़ा दिए हैं। लंबे समय से भारत के साथ चले आ रहे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए उसने हाल में अहम कदम उठाए हैं। यूरोपीय देशों से भी चीन ने रिश्‍ते सुधारने शुरू कर दिए हैं।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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