क्या नए साल में किसी दलित को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना सकती है BJP? 2024 में ही बन गया ह

BJP New President: भारत के सबसे पहले दक्षिणपंथी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को हुई थी. अटल बिहारी बाजपेई से जे पी नड्डा तक तमाम दिगग्जों नेताओं ने अपने-अपने अध्यक्ष पक्ष के कार्यकाल के दौरान भाजपा की फुलवारी को देश की सबसे

4 1 8
Read Time5 Minute, 17 Second

BJP New President: भारत के सबसे पहले दक्षिणपंथी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को हुई थी. अटल बिहारी बाजपेई से जे पी नड्डा तक तमाम दिगग्जों नेताओं ने अपने-अपने अध्यक्ष पक्ष के कार्यकाल के दौरान भाजपा की फुलवारी को देश की सबसे बड़ी बगिया बनने तक के सफर में अपने-अपने खून पसीने से सीचा है. नड्‌डा का कार्यकाल जनवरी में खत्म हो चुका है. पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए जून तक विस्तार दिया गया था. जुलाई 2024 में बीजेपी को अपना नया अध्यक्ष चुनना था. अब चूंकि नए अध्यक्ष के चुनाव से पहले संगठनात्मक चुनाव कराने की जरूरत होती है. जिसमें 6 महीने का समय लगता है. लिहाजा जून में नड्‌डा का कार्यकाल 6 महीने और बढ़ा दिया गया था. नड्‌डा अभी केंद्रीय मंत्री भी हैं, लेकिन नए अध्यक्ष पद की दौड़ में तमाम दिग्गजों का नाम चल रहा है. कोई सुनील बंसल तो कोई विनोद तावड़े को रेस में आगे बता रहा है. इस बीच अटकलें ये भी लगाई जा रही हैं कि बीजेपी किसी दलित को अपना अध्यक्ष बना सकती है.

चुनाव का काम कहां तक पहुंचा?

फिलहाल, बीजेपी की राज्य इकाइयां अपने-अपने यहां बूथ, जिला और मंडल अध्यक्षों के चुनाव कराने में व्यस्त हैं. जल्द ही बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति करेगा. इस दौरान कम से कम आधे राज्यों को नया अध्यक्ष मिलने की उम्मीद लगाई जा रही है. इसके बाद ही बीजेपी अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया शुरू करेगी. कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनावों में अपने हाथ जला चुकी बीजेपी ने अपने मातृ संगठन आरएसएस की इच्छा को भी ध्यान में रखेगी, क्योंकि वर्तमान बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने लोकसभा चुनावों से पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि आज की भारतीय जनता पार्टी अब अपने आप में सक्षम है, उसे किसी के सहयोग की जरूरत नहीं है. हालांकि जब लोकसभा चुनावों के नतीजे आए और बीजेपी अपने दम पर पूर्ण बहुमत से 32 सीटें कम रह गईं तो लोगों ने तंज कसा कि ये नड्डा के उस बयान का नतीजा था, जिसमें उन्होंने आरएसएस को दरकिनार करके आगे बढने की बात कही थी.

चयन प्रकिया - एलिजिबिलिटी

नए अध्यक्ष के चुनाव में विजेता के ऊपर निस्संदेह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी की मुहर होगी. इस तरह बीजेपी में दोनों के अंतिम निर्णय की मौजूदा व्यवस्था जारी रहेगी. सूत्रों के अनुसार, कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी एक ऐसे व्यक्ति को भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनेंगे, जिसकी संगठनात्मक पृष्ठभूमि मजबूत हो और उसे आरएसएस का समर्थन भी प्राप्त हो.

साल 2014 में बीजेपी में मोदी-शाह की सबसे कामयाब जोड़ी के इस युग की शुरुआत हुई. इससे पहले, बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व हर अहम फैसले से पहले आरएसएस की ओर रुख करने के लिए जाना जाता था. नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, तब अमित शाह को बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया. उस समय अध्यक्ष पद के लिए आरएसएस की पसंद में जेपी नड्डा भी थे.

शाह की सरप्राइज एंट्री

लेकिन 2014 की महाजीत के सूत्रधार पार्टी के नए चाणक्य बनकर सामने आए अमित शाह को उनके संगठनात्मक कौशल की वजह से पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया. क्योंकि बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की शानदार जीत हुई थी. बीजेपी पहली बार पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई थी. खासकर राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश में जहां बीजेपी ने 80 में से 73 सीटें जीतीं थीं.

नए अध्यक्ष चुनाव का फॉर्मूला

2014 से 2024 तक लगातार तीन लोकसभा चुनाव हारने वाली कांग्रेस अब बीजेपी का मॉरल डाउन करने में बाबा साहेब अंबेडकर के नाम को एक अस्त्र की तरह इस्तेमाल कर रही है. 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने बीजेपी के 400 पार वाले नारे की काट में ऐसा नैरेटिव सेट करके ये माहौल बनाया कि अगर बीजेपी चुनाव जीत गई तो आरक्षण खत्म कर देगी. इस दांव के जरिए कांग्रेस ने बीजेपी के एससी वोटों में सेंध लगाने की कोशिश की. कांग्रेस कुछ हद तक कामयाब भी हुई लेकिन वो बीजेपी को सत्ता से नहीं हटा पाई.

दलित अध्यक्ष की कथित थ्योरी

कांग्रेस चुनाव हार गई लेकिन 2019 में 48 से 2024 में 99 सीटें जीतने से उसका मोराल ऐसा हाई हुआ कि उसने अब तक संविधान बचाने के नाम पर बीजेपी को घेर रखा है. संसद के शीतकालीन सत्र में कुछ ऐसे घटनाक्रम घटे की कांग्रेस एक बार फिर से बीजेपी को दलित विरोधी बताने लगी. ऐसे में कांग्रेस के दावों और आरोपों को काउंटर करने के लिए कहा जा रहा है कि बीजेपी इस बार अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष दलित समुदाय से आने वाले नेता को बना सकती है.

सूत्रों के मुताबिक दलित थ्योरी की अटकलों का दूसरा पहलू ये है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे दलित समुदाय से आते हैं. कांग्रेस लगातार बीजेपी को दलित विरोधी बता रही है. ऐसे में इस हिसाब से भी कांग्रेस को बराबरी वाला जवाब देने और इस मुद्दे को खत्म करने के लिए बीजेपी की ओर से भी दलित राष्ट्रीय अध्यक्ष लॉन्च किया जा सकता है.

सूत्रों का ये भी कहना है कि नड्डा ब्राह्मण हैं और मोदी ओबीसी हैं, और बी आर अंबेडकर इस समय चर्चा का विषय हैं, इसलिए बीजेपी दलित चेहरे की तलाश कर सकती है.

तीसरा तर्क ये है कि बीजेपी नेतृत्व नए पार्टी प्रमुख को चुनते समय जातिगत कारकों को ध्यान में रखेगा.

सीमित हैं विकल्प

हालांकि मजबूत संगठनात्मक आधार और आरएसएस का समर्थन वाले दलित नेताओं की बात करें तो बीजेपी के पास बेहद सीमित विकल्प हैं. बीजेपी के नेता अक्सर ये कहते हैं कि भाजपा समावेशी पार्टी है. हर जाति-धर्म को साथ लेकर चलने वाली पार्टी है. इस रेफरेंस में अक्सर देश के पूर्व राष्ट्रपतियों डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम, रामनाथ कोविंद और अब वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मिसाल देती आई है. कहा जा रहा है कि ये मिसालें अब पुरानी हो चुकी हैं. इसलिए कुछ नया करने और रचने की जरूरत है.

हालांकि अंदरखाने को तो कोई कुछ खुलकर नहीं कहता लेकिन नया बीजेपी प्रमुख चुनने में अगर यही क्राइटेरिया लेना हो तो सूत्रों के हवाले से अटकलों में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, पार्टी महासचिव दुष्यंत गौतम और उत्तर प्रदेश की मंत्री बेबी रानी मौर्य का नाम चल रहा है.

अंदरखाने लोग ये भी कह रहे हैं कि मोदी-शाह के युग में हर प्रमुख पदों जैसे मुख्यमंत्रियों के चयन में सरप्राइज देने की परंपरा रही है. ऐसे में पार्टी अध्यक्ष का यह चयन भी आश्चर्यजनक हो सकता है. हालांकि इस कथित 'दलित थ्योरी' अब तक इस पद के लिए जिन नामों की चर्चा चल रही है, उनमें केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, शिवराज सिंह चौहान, भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान के साथ-साथ वरिष्ठ नेता विनोद तावड़े भी शामिल हैं. हालांकि, पार्टी सूत्रों के मुताबिक, ये अटकलें भी बेबुनियाद ही हैं.

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

Virat Kohli vs Sam Konstas: जोश में होश खो बैठे विराट कोहली...भारी ना पड़ जाए सैम कोंस्टास से टकराव, ICC ले सकती है दोनों पर एक्शन

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now