बांग्लादेश की तरह और किन देशों में हिंदुओं पर हमले? क्या है हिंसा की वजह

Bangladesh Violence Against Hindus: पड़ोसी मुस्लिम बहुल मुल्क बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद कई महीने से अल्पसंख्यक हिंदुओं पर कट्टरपंथी इस्लामिक संगठनों का अत्याचार बदस्तूर जारी है. मोहम्मद युनूस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार, बांग्लादेश की सेन

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Bangladesh Violence Against Hindus: पड़ोसी मुस्लिम बहुल मुल्क बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद कई महीने से अल्पसंख्यक हिंदुओं पर कट्टरपंथी इस्लामिक संगठनों का अत्याचार बदस्तूर जारी है. मोहम्मद युनूस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार, बांग्लादेश की सेना और पुलिस-प्रशासन सबके सामने हिंसक गुंडागर्दी जारी है. हिंदू परिवारों, उनके घरों, दुकानों, प्रतिष्ठानों और मंदिरों पर खुलेआम हो रहे हमले की आपराधिक वारदातों पर कोई लगाम नहीं लग पा रहा है. बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का खुलकर और जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है.

बांग्लादेश में इस्कॉन के चिन्मय प्रभु दास पर देशद्रोह का झूठा मुकदमा

बांग्लादेश में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKCON) से जुड़े चिन्मय प्रभु दास को देशद्रोह के झूठे मुकदमे लादकर एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया गया. इसके पहले अल्पसंख्यक अधिकारों और उनकी सुरक्षा की मांग के साथ प्रदर्शन कर रहे 19 लोगों के खिलाफ देशद्रोह का फर्जी मुकदमा कर दिया गया था. अगस्त से शुरू हत्या, लूटपाट, मारपीट, आगजनी, तोड़फोड़, धमकी और अभद्रताओं की सैकड़ों सिलसिलेवार घटनाओं के बाद अब बीते 24 घंटों में एक बार फिर बांग्लादेश के कई इलाके में हिंदुओं के सैकड़ों घरों, प्रतिष्ठानों और मंदिरों को तोड़ डाला गया. महिलाओं के साथ जमकर अभद्रता की गई.

हिफाजत-ए-इस्लाम ने जुमे की नमाज के बाद रैली निकालकर धमकाया

सोशल मीडिया पर बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर कई वीडियो वायरल हो रहे हैं. बड़ी संख्या में असहाय हिंदू मदद और सुरक्षा की गुहार लगा रहे हैं. बांग्लादेश में कुछ दिनों पहले कट्टरपंथी मुस्लिमों के संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम ने जुमे की नमाज के बाद बाकायदा एक रैली निकाली और हिंदू विरोधी नारे लगाए. उन्होंने सरकार और लोगों से कहा कि इस्कॉन मंदिर के भक्तों को पकड़ो और उनका कत्ल करो. साथ ही चेतावनी दी कि अगर बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया तो और बड़ा आंदोलन करेंगे.

बांग्लादेश में इस्लामी भावनाओं और सियासी चालबाजियों के कारण उपद्रव

बांग्लादेश में बढ़ती इस्लामी भावनाओं और राजनीतिक चालबाजियों के कारण उपद्रवियों और गुंडों ने सरकार और पुलिस-प्रशासन की नाक के नीचे अल्पसंख्यकों और खासकर हिंदुओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया. इन घटनाओं ने 1971 में वहां बरसे पाकिस्तानी सेना के कहर और जतिभंगा हत्याकांड, चुकनगर नरसंहार और शंखरीपारा नरसंहार की याद ताजा करा दी.

भारत सरकार ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और हिंसक हमले का संज्ञान लिया है. विदेश मंत्रालय ने इस बारे में जरूरी कदम उठाने के स्टेटमेंट दिए है. हालांकि, बांग्लादेश के अलावा भी दुनिया के दूसरे कुछ देशों में हिंदुओं के खिलाफ हमले होते रहे हैं. आइए, जानते हैं कि दुनिया में और किन-किन देशों में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं सामने आती हैं. कनाडा

कनाडा में सितंबर 2022 में टोरंटो स्थित हिंदुओं के स्वामीनारायण मंदिर में तोड़फोड़ की गई और भारत विरोधी नारे लगाए गए. भारत ने कनाडा से इस मामले की छानबीन करने और दोषियों को पकड़ने का अनुरोध किया. लेकिन कनाडा ने आज तक कोई कदम नहीं उठाया. वहीं, कनाडा के अलग-अलग शहरों में हिंदुओं के घरों, मंदिरों, दुकानों और प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया जाने लगा. कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादियों के पनाहगाह होने के चलते भारतीय खासकर हिंदुओं पर हमले की घटना सामने आने लगी है.

कनाडा और भारत के बीच रिश्ते का आलम यह है कि अपने राजनयिकों को वापस बुलाने के बाद विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'उग्रवाद और हिंसा के माहौल में ट्रूडो सरकार की कार्रवाइयों ने उनकी सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है. हमें उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा कनाडाई सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है.'

पाकिस्तान

पाकिस्तान की कुल आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी लगातार कम होते-होते दो प्रतिशत के नीचे आ गई है. मुस्लिम बहुतायत वाले मुल्क पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को आए दिन हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ता है. पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो की साल 2023 की जनसंख्या रिपोर्ट के अनुसार, हिंदुओं के सामान्य और अनुसूचित जाति की आबादी क्रमश: 3,867,729 और 1,349,487 है. हिंदू परिवारों की नाबालिग लड़कियों को अगवा करने, सामूहिक बलात्कार करने, कत्ल करने या जबरन धर्म परिवर्तन करवाने की खबर लगातार सामने आती है.

पाकिस्तान में हिंदुओं की बड़ी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है. उनके बच्चियों के अलावा मंदिरों पर स्थानीय कट्टरपंथी गुंडे जबरन कब्जा कर लेते हैं. लड़कों को जबरन बेगार या सस्ते मजदूर की तरह इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, ज्यादातर जगहों पर हिंदुओं को दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर रखा जाता है. मानवाधिकार उल्लंघन की सैकड़ों अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती. ईशनिंदा कानून का अल्पसंख्यकों के खिलाफ जमकर इस्तेमाल किया जाता है.

अफगानिस्तान

कुख्यात और कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकी संगठन तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों खदेड़ दिया गया है. यूरोपीय यूनियन की एजेंसी ऑफ असायलम की रिपोर्ट के मुताबिक, 1970 के दशक में अफ़गानिस्तान में लगभग 700000 हिंदू और सिख थे, 1992 में लगभग 220000 और 2021 के आखिर में लगभग 150, जबकि उसी वर्ष की शुरुआत में लगभग 400 थे. उनमें से 50 से भी कम हिंदू बताए गए. एक साल पहले ही अफगानिस्तान से सिखों का अंतिम समूह भी भारत आ गया था.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के 1996 से 2001 के आखिर तक यानी पिछले शासनकाल के दौरान, हिंदुओं को खुद को गैर-मुस्लिम के रूप में पहचाने जाने के लिए सार्वजनिक रूप से पीले बैज पहनने के लिए मजबूर किया गया था. हिंदू महिलाओं को जबरन बुर्का पहनने के लिए मजबूर किया गया था. सख्त इस्लामिक शरीया कानून को नहीं मानने पर सरेआम मौत की सजा दी जाती थी. यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट की अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर रिपोर्ट के मुताबिक, अफ़गानिस्तान से अल्पसंख्यकों और खासकर हिंदू और सिखों के पलायन की यह सबसे बड़ी वजह है.

संयुक्त राज्य अमेरिका

संयुक्त राज्य अमेरिका की कुल जनसंख्या में हिंदुओं की बेहद कम हिस्सेदारी है, लेकिन वे सबसे समृद्ध धार्मिक समूह हैं. हालांकि, अमेरिका में हिंदुओं को कानूनी तौर पर समानता का अधिकार है, लेकिन 1987 में न्यू जर्सी में "डॉटबस्टर्स" नामक एक स्ट्रीट गैंग द्वारा भारतीय मूल के लोगों के विरुद्ध धमकियों और हमलों का सिलसिला आजतक थमा नहीं है. इस साल सितंबर में अमेरिका में न्यूयॉर्क के एक मंदिर में तोड़फोड़ की घटना सामने आई. इसके 10 दिन के अंदर ही कैलिफोर्निया में बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर को न‍िशाना बनाया गया. मंदिर की दीवारों पर ‘हिंदू वापस जाओ’ का संदेश पेंट किया गया.

सैक्रामेंटो में भी हिंदू विरोधी संदेशों के साथ मंदिर की दीवार को अपवित्र किया गया. इससे पहले जनवरी में कैलिफोर्निया के विजय का शेरावाली मंदिर पर खालिस्तानी समर्थकों ने हमला किया. इसी जगह पर दिसंबर, 2023 में भी हमला किया गया. जनवरी 2023 में ब्रेज़ोस वैली में श्री ओंकारनाथ मंदिर में चोरों ने कीमती सामान उड़ा लिया. नवंबर 2022 में न्यूजर्सी के श्री उमिया धाम मंदिर में तोड़फोड़ की गई और फिलिस्तीन समर्थक नारे लिखे गए. इसके पहले केंटकी, कैरोलिना, नॉर्थ टेक्सास में कई हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया.

ब्रिटेन

ब्रिटेन के लिस्टर शहर में सितंबर 2022 में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की घटना से बढ़ा तनाव पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. ब्रिटेन में बढ़ती मुस्लिम आबादी के बीच सोशल मीडिया पर अफवाहों के चलते हिंदू विरोधी भावनाएं सिर उठाती रहती हैं. इस साल जुलाई में ब्रिटेन में आम चुनाव से पहले हिंदुओं ने एक मेनिफेस्टो जारी कर सरकार से कई मांग की. पहली बार हिंदुओं ने भावी ब्रिटिश सरकार से सीधी डिमांड रखते हुए सुरक्षा को अहम मुद्दा बताया. क्योंकि ब्रिटेन में हिंदुओं के साथ हेट क्राइम की घटनाएं बढ़ने की रिपोर्ट आई हैं.

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हिंदुओं के 15 संगठनों हिंदू काउंसिल यूके, हिंदू फोरम ऑफ ब्रिटेन, हिंदू मंदिर नेटवर्क यूके, बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था, चिन्मय मिशन, इस्कॉन यूके और नेशनल काउंसिल ऑफ हिंदू टेम्पल्स ने मिलकर हिंदू फॉर डेमोक्रेसी बनाया और हिंदू मेनिफेस्टो जारी किया. इनमें ब्रिटेन में हिंदुओं पर बढ़ती हिंसा और गैर-बराबरी को रोकने के साथ-साथ यूके में मंदिरों की सुरक्षा की भी मांग की गई.

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पिछले साल लीडिंग ब्रिटिश थिंक टैंक हेनरी जैक्सन सोसायटी ने दावा किया था कि ब्रिटेन में बसे मुस्लिम स्टूडेंट्स हिंदू धर्म को लेकर अपमानजनक टिप्पणियां करते और उन्हें कंन्वर्ट होने को कहते हैं. साल 2023 में ही अमेरिकी रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन नेटवर्क कांटेजियन रिसर्च इंस्टीट्यूट (NCRI) ने भी दावा किया कि बीते समय में तेजी से एंटी-हिंदू नैरेटिव तैयार हुआ और ब्रिटेन और अमेरिका में हिंदुओं पर हमले में थोड़ी-बहुत नहीं, बल्कि लगभग हजार गुना तेजी आई.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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