देश में मौजूद पुराने शाही घराने, जहां अभी भी अपने महलों में ठाठ से रहते हैं रजवाड़े

Indian Royal Families: उदयपुर में मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्‍य विश्वराज सिंह और उनके समर्थकों को सिटी पैलेस में प्रवेश करने से रोकने पर हुए हंगामे, बवाल और पथराव के बाद इलाके में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है. इससे पहले चित्तौड़गढ़ किले

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Indian Royal Families: उदयपुर में मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्‍य विश्वराज सिंह और उनके समर्थकों को सिटी पैलेस में प्रवेश करने से रोकने पर हुए हंगामे, बवाल और पथराव के बाद इलाके में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है. इससे पहले चित्तौड़गढ़ किले के फतहप्रकाश महल में सोमवार को आयोजित ‘दस्तूर' (रस्म) कार्यक्रम में भाजपा विधायक विश्वराज सिंह को मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के प्रमुख की गद्दी पर बैठाने की रस्म निभाई गई थी.

संविधान में 26 वें संशोधन में राजाओं के प्रिवी पर्स खत्म

आजादी और विभाजन के समय और उसके कुछ समय बाद तक देश की 562 में लगभग सभी राज्यों और रियासतों ने भारत में अपना विलय कर दिया था. इसके बाद साल 1971 में संविधान में हुए 26 वें संशोधन के साथ ही राजाओं को मिलने वाली विशेष उपाधियों और उन्हें मिलने वाले प्रिवी पर्स यानी महाराजाओं को मिलने वाले वित्तीय फायदे को खत्म कर दिया गया था. इससे देश के कई शाही परिवारों को चुनौतियों को सामना भी करना पड़ा. कुछ विदेश चले गए, कुछ लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में शामिल हो गए. आइए, देश में अब भी पुराने शानो-शौकत और रुतबे को जीने वाले कुछ राजपरिवारों के बारे में जानते हैं.

सुर्खियों में महाराणा प्रताप का मेवाड़ राजवंश

देश के मौजूदा पुराने राजपरिवारों में महाराणा प्रताप का मेवाड़ राजवंश भारत में ज्यादा लोकप्रिय और सम्मानित शाही घराने में शामिल है. तमाम तरह के शाही दर्जे के अलावा, पूरे राजस्थान में इस राजपरिवार के हेरिटेज होटल, रिजॉर्ट और चैरिटी संस्थाएं हैं. इस महीने की शुरुआत में विश्वराज सिंह के पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ का निधन हो गया था. उनके सिंहासन या गद्दी पर विश्वराज को बैठाने के लिए आयोजित कार्यक्रम में देश के कई पूर्व राज परिवारों के प्रमुख शामिल हुए. इसके साथ ही देश भर में अब भी मौजूद और अपने महलों में अपने पूर्वजों की ही तरह ठाठ रहने वाले पुराने राजघराने सुर्खियों में आ गए हैं.

भगवान राम का वंशज जयपुर का राजपरिवार

राजस्थान की राजधानी जयपुर का मौजूदा राजपरिवार कछवाहा राजपूतों के वंशज हैं. इनका दावा है कि ये परिवार प्रभु श्री राम के पुत्र कुश के वंश के हैं. भवानी सिंह इनके अंतिम महाराजा थे. उनका कोई बेटा नहीं था. इसलिए उन्होंने साल 2002 में अपनी बेटी दिया कुमारी के बड़े बेटे पद्मनाभ सिंह को गोद लिया था. पद्मनाभ सिंह इस शाही परिवार की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. पद्मनाभ सिंह राष्ट्रीय स्तर के पोलो खिलाड़ी भी हैं. उनकी मां दिया कुमारी वर्तमान में राजस्थान की उप मुख्यमंत्री हैं. इस परिवार के पास जयपुर और दिल्ली में कई महल, हेरिटेज होटल और चैरिटी ट्रस्ट हैं.

खेतरी में राज करने वाला अलसीसर का शाही परिवार

खेतरी के राज्य पर शासन करने के लिए मशहूर अलसीसर के शाही परिवार के मौजूदा प्रमुख और सोलहवें वंशज अभिमन्यु सिंह बड़े कारोबारी हैं. जयपुर और रणथंभौर में इनके कई भव्य महल हैं. यह राजपरिवार ने अपनी संपत्तियों कई हेरिटेज होटल भी बनवा रखा है. इस राजपरिवार का स्वामी विवेकानंद के साथ कनेक्शन काफी मशहूर रहा है.

गुजरात में राजकोट का जडेजा शाही परिवार

राजकोट के शाही परिवार ने अब तक अपने राजमहलों को हेरिटेज होटलों में नहीं बदला है. गुजरात का ये चर्चित राज परिवार अब आधुनिक कारोबार बायो फ्यूल डेवलपमेंट और हाइड्रोपावर प्लांट में निवेश कर रहा है. वर्तमान में युवराज मांधाता सिंह जडेजा इस राजपरिवार के प्रमुख हैं. गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में साल 1610 में अजी नदी के किनारे राजकोट की स्थापना जडेजा वंश के ठाकुर साहब विभाजी जडेजा ने की थी.

बड़ोदरा का गायकवाड़ राजपरिवार

गुजरात के ही बड़ोदरा स्थित गायकवाड़ राजघराने के मौजूदा प्रमुख का नाम समरजीत सिंह गायकवाड़ हैं. 18वीं शताब्दी में मराठाओं के वंशज ने बड़ोदरा आकर इस राजपरिवार की शुरुआत की थी. इस परिवार के मौजूदा प्रमुख को 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति विरासत में मिली थी. इसमें चर्चित लक्ष्मी विलास पैलेस भी शामिल है. गायकवाड़ राजघराने को आजादी की लड़ाई में सहयोग के लिए भी जाना जाता है.

कर्नाटक में मैसूर का वाडियार राजपरिवार

कर्नाटक राज्य के मैसूर में स्थित वाडियार राज परिवार का इतिहास भगवान श्रीकृष्ण के यदुवंश से जुड़ा है. वर्तमान में मैसूर के इस शाही घराने के राजा यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार हैं. वाडियार राज परिवार मशहूर रेशम ब्रांड द रॉयल सिल्क ऑफ मैसूर का मालिक है. इसे राजा यदुवीर के चाचा श्रीकांतदत्त ने शुरू किया था. मैसूर के वाडियार राजवंश ने 1399 से 1947 तक मैसूर राज्य पर शासन किया था. इस राज परिवार के मौजूदा राजा यदुवीर फिलहाल मैसूर लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर सांसद चुने गए हैं. इनका मैसूर महल दुनिया भर में मशहूर है.

महाभारत काल से जुड़ा बीकानेर का राजपरिवार

राजस्थान का बीकानेर जिला और शहर पूर्व बीकानेर रियासत की राजधानी थी. राव बीका द्वारा साल 1488 में बीकानेर शहर की स्थापना की गई थी. महाभारत काल में जांगल देश कहे जाने वाले बीकानेर के राजपरिवार का नेतृत्व महाराजा रवि राज सिंह कर रहे हैं. इन्हें बीकानेर के 25वां महाराजा बताया जाता है. करणी माता को बीकानेर के राजपरिवार की कुलदेवी माना जाता है. बीकानेर के राजपरिवार ने महाराजा करणी सिंह के निधन के बाद कई ट्रस्ट बनाए थे, जिसके तहत स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में अनुदान दिया जाता है.

जोधपुर का सूर्यवंशी राजपूत राठौड़ शाही परिवार

आठवीं शताब्दी के प्राचीन राजवंशों में से एक राठौड़ शासकों के राजपरिवार के मौजूदा प्रमुख महाराजा गजसिंह द्वितीय है. इस राज परिवार के पास जोधपुर में काफी बड़ा महल है. इसके साथ ही देश भर में चर्चित उम्मेद भवन और मेहरानगढ़ का किला भी इसी राजपरिवार का है. राठौड़ वंश के पहले शासक राव चूड़ा थे. इस राजवंश के 15वें राजपूत सरदार राव जोधा ने साल 1459 में जोधपुर शहर की स्थापना की थी. राठौड़ एक राजपूत गोत्र है, जिन्हें सूर्यवंशी राजपूत माना जाता है.

क्रिकेट और बॉलीवुड से मशहूर पटौदी का नवाब परिवार

हरियाणा के पटौदी के इस शाही परिवार को क्रिकेट और बॉलीवुड के कारण हर कोई जानता है. पटौदी शाही परिवार को पहले भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मंसूर अली खान पटौदी संभालते थे. इस शाही परिवार के मौजूदा प्रमुख उनके बेटे और 'बॉलीवुड के नवाब' कहे जाने वाले सैफ अली खान आगे बढ़ा रहे हैं. इस शाही परिवार के पास दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश और मुंबई में कई संपत्तियां हैं.

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राजनीति में चर्चित ग्वालियर का सिंधिया राजपरिवार मध्य प्रदेश के ग्वालियर स्थित सिंधिया राज घराने के महाराज जयाजी राव को अपनी रियासत के आधुनिकीकरण और राजमाता विजयाराजे सिंधिया को जनसंघ और भाजपा की मदद के लिए आज भी जाना जाता है. इस राजपरिवार का कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टी पर पकड़ रहा है. सिंधिया राजपरिवार के मौजूदा प्रमुख ज्योतिरादित्य सिंधिया वर्तमान में केंद्रीय मंत्री हैं. इस परिवार के पास साल 1874 में बने जय विलास पैलेस समेत कई महल और किलों के अलावा अकूत संपत्ति हैं.

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पडरौना शाही घराना समेत यूपी में कई राजपरिवार

बौद्ध मंदिरों की वजह से अंतर्राष्ट्रीय पहचान रखने वाले कुशीनगर स्थित पडरौना राजघराने के मौजूदा प्रमुख पूर्व केंद्रीय मंत्री कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह (आरपीएन सिंह) हैं. पडरौना बहुत प्रसिद्ध जगह है. मान्यता है कि यहां भगवान बुद्ध ने आखिरी बार भोजन किया था. वहीं, भगवान श्रीराम ने भी कुछ दिन बिताए थे. उत्तर प्रदेश में इसके अलावा अमेठी, प्रतापगढ़, कालाकांकर, भदावर, रामपुर, मांडा जैसे कई और राजघराने के मौजूदा वारिस भी राजनीति के मैदान में सक्रिय हैं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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