शिंदे या फडणवीस? 30 घंटे में नहीं तय हुए सीएम तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन, जानिए क्या है नियम

मुंबई: महाराष्ट्र में 14वीं विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो जाएगा। 15वीं विधानसभा के लिए बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति को बहुमत मिला है, मगर पिछले दो दिनों में सरकार गठन के लिए दावा पेश नहीं किया गया। इसके बाद यह आशंका जताई जा रही है

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मुंबई: महाराष्ट्र में 14वीं विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो जाएगा। 15वीं विधानसभा के लिए बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति को बहुमत मिला है, मगर पिछले दो दिनों में सरकार गठन के लिए दावा पेश नहीं किया गया। इसके बाद यह आशंका जताई जा रही है कि सरकार का फैसला नहीं होने के कारण 26 नवंबर की रात 12 बजे महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग सकता है। दरअसल 2019 के चुनाव के बाद जब शिवसेना और बीजेपी के बीच सीएम पद के लिए रस्साकशी लंबी चली थी, तब राज्य में गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी थी। बाद में देवेंद्र फडणवीस ने सरकार बनाई तो 11 दिन बाद राष्ट्रपति शासन हटाया गया। हालांकि उनकी सरकार 80 घंटे यानी 3 दिन ही चली, इसके बाद वह उद्धव ठाकरे के शपथ लेने तक कार्यवाहक सीएम बने रहे।
चुनाव आयोग ने पूरी कर ली है नोटिफिकेशन की औपचारिकता
भले ही प्रचंड जीत के बाद महायुति ने सीएम का फैसला नहीं किया और विधानसभा के सदस्यों ने शपथ नहीं ली है, मगर महाराष्ट्र में 15वीं विधानसभा का गठन हो गया है। चुनाव आयोग ने वोटों की गिनती और विजेताओं को सर्टिफिकेट देने के बाद नई विधानसभा के गठन की औपचारिकता पूरी कल ली। राज्य चुनावों के परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए गए थे औरचुनाव में जीते विधायकों के नाम निर्वाचन आयोग की अधिसूचना के माध्यम से महाराष्ट्र सरकार के राज्य राजपत्र में प्रकाशित हो चुका है।

राज्यपाल को सौंपे सदस्यों के नाम
यह प्रक्रिया जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 73 के प्रावधानों के अनुसार पूरी की गई। रविवार यानी 24 नवंबर को ही चुनाव आयोग के उप चुनाव आयुक्त हिरदेश कुमार और महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एस. चोकलिंगम ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन से मुलाकात की और उन्हें राज्य विधान सभा के नव-निर्वाचित सदस्यों के नामों के साथ राजपत्र की कॉपी भी सौंप दी।

राष्ट्रपति शासन में नहीं होता है विधानसभा का विघटन
अब संविधान के नियम को भी जान लीजिए। अगर तय समय तक सरकार बनाने को लेकर अनिर्णय की स्थिति रहती है या कोई पार्टी सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करती है तो राज्यपाल को अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल करना होगा। गवर्नर को राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करना होगा। नियम के अनुसार, राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए विधानसभा का विघटन करना जरूरी नहीं है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 172 में बताया गया है कि राज्यों के विधान-मंडलों की अवधि पांच साल तक नियत तारीख तक बनी रहेगी। आपात स्थिति में पांच साल की अवधि को संसद के द्वारा एक साल तक बढ़ाया जा सकता है। उद्घोषणा के प्रवर्तन में न रह जाने के पश्चात् किसी भी दशा में उसका विस्तार छह महीने की अवधि से अधिक नहीं होगा।

राज्यपाल के पास शपथ दिलाने का विकल्प महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन नहीं लगने के कई विकल्प भी है। राज्यपाल विधानसभा के सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का न्योता दे सकते हैं। अगर बीजेपी शपथ लेने को तैयार हो जाती है तो राष्ट्रपति शासन टल जाएगा। बीजेपी के इनकार करने पर शिवसेना को न्योता दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि कल सीएम एकनाथ शिंदे इस्तीफा दे सकते हैं। उसी समय विधायक दल के नेता सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। अगर यह सूचना सही निकली तो संवैधानिक मजबूरी भी खत्म हो जाएगी।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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