इजरायल का हथियार और उसी पर वार... हिजबुल्लाह ने IDF की तकनीक से अलमास मिसाइल बनाकर चौंकाया, टेंशन में नेतन्याहू

बेरूत: इजरायल के हवाई हमलों के बाद लेबनानी गुट हिजबुल्लाह ने रविवार को बड़ा जवाबी हमला किया है। हिजबुल्लाह की ओर से इजरायल पर स

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बेरूत: इजरायल के हवाई हमलों के बाद लेबनानी गुट हिजबुल्लाह ने रविवार को बड़ा जवाबी हमला किया है। हिजबुल्लाह की ओर से इजरायल पर सैकड़ों मिसाइलें दागी गई हैं। हिजबुल्लाह ने इजराइल के खुफिया ठिकानों को निशाना बनाकर ये हमले किए। इजरायल का कहना है कि हिजबुल्लाह ने उसके ही एक पुराने हथियार की नकल करके मिसाइल बना ली है, जिसका इस्तेमाल वह युद्ध में कर रहा है। हिजबुल्लाह एक तरह से इजरायल की हथियार तकनीक चोरी करके उसके खिलाफ ही इस्तेमाल कर रहा है।
डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, हिजबुल्लाह ने यह इजरायली स्पाइक एंटी टैंक मिसाइल 2006 के लेबनान युद्ध के दौरान हासिल की थी। पश्चिमी रक्षा अधिकारियों और हथियार विशेषज्ञों का कहना है कि हिजबुल्लाह ने इन मिसाइलों को ईरान भेज दिया था। अब हिजबुल्लाह उसी मिसाइल की नकल करके बनाई गई 'अलमास' मिसाइलों से इजरायली सैन्य ठिकानों, संचार सिस्टम और हवाई सुरक्षा प्रणालियों को निशाना बना रहा है। हिजबुल्लाह की इन मिसाइलों की मारक क्षमता 10 मील तक है। ये अपने टारगेट पर सटीकता से अटैक करती है। ऐसे में इजरायल की सेना और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की चिंता बढ़ गई है।


हिजबुल्लाह करता रहा है हथियार तकनीक की चोरी

ईरान समर्थित हिजबुल्लाह और दूसरे गुट समूह इजरायल के हथियारों की नकल करके उनका इस्तेमाल पहले भी करते रहे हैं। ईरान भी अमेरिकी ड्रोन और मिसाइलों की नकल कर चुका है। विश्लेषक मोहम्मद अलबाशा का कहना कि अलमास मिसाइल से पता चलता है कि ऐसे हथियारों का इस्तेमाल बढ़ रहा है और यह क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को बदल रहा है। पहले पुराने हथियारों का धीरे-धीरे प्रसार होता था लेकिन अब युद्ध में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल बढ़ गया है।

इजरायली रक्षा अधिकारियों ने बताया है कि अलमास मिसाइलें उन हथियारों में शामिल थीं, जिन्हें इजरायली सेना ने दो महीने पहले लेबनान पर आक्रमण के बाद हिजबुल्लाह से जब्त किया। अलमास मिसाइलें परिष्कृत हथियारों में से एक हैं। अलमास एक ऐसी मिसाइल है, जिसे जमीन पर चलने वाले वाहनों, ड्रोन, हेलीकॉप्टरों और कंधे से दागे जाने वाले ट्यूबों से लॉन्च करने के लिए सीधी दृष्टि रेखा की जरूरत नहीं होती है।


क्या है इस मिसाइल की खासियत

अलमास एक 'टॉप-अटैक' मिसाइल है, जिसका मतलब है कि यह अपने लक्ष्य पर सीधे ऊपर से वार कर सकती है, ना कि किनारे से। यह टैंकों को उन जगहों पर मार सकती है, जहां उनका कवच हल्का होता है और वे आसानी से नष्ट हो सकते हैं। इजरायली रक्षा अधिकारियों ने कहा कि 'अलमास' ने लेबनान की सीमा के पास इजरायली सेना को खतरा पैदा किया है। अल्मा रिसर्च एंड एजुकेशन सेंटर के विश्लेषण में कहा गया है कि इसकी बहुत संभावना है कि अलमास फैमिली के हथियारों को इजरायल के खिलाफ दूसरे मोर्चों पर भी तैनात किया जाएगा।


अलमास मिसाइलों के कम से कम तीन ज्ञात संस्करण हैं, जिनमें से प्रत्येक को पिछले वाले से अपग्रेड किया गया है। कैट-यूएक्सओ के अनुसार, अलमास में दो तरह के वॉरहेड हो सकते हैं। पहला दो चरणों में विस्फोट कर सकता है, जिससे कवच को भेदना आसान हो जाता है। दूसरा एक ईंधन-वायु बम है जो एक आग के गोले में फट जाता है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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