Hemant Soren family tree: झारखंड चुनाव जीतकर हेमंत सोरेन ने इतिहास रच दिया. नंबर जुटाने से लेकर बहुमत जीतने तक उन्होंने बीजेपी या NDA को अपने आस-पास फटकने नहीं दिया. झारखंड गठन के बाद ये पहला मौका था जब वो राष्ट्रीय पटल पर छाए रहे. शनिवार को आए नतीजों का विश्लेषण रविवार को भी जारी है. चर्चा हो रही है हेमंत सोरेन की उनके परिवार की, उनकी पत्नी, बंधु-बांधवों और बच्चों की. आज उनकी एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें वो अपने बेटों को दुलारते हुए इतने रिलैक्स दिख रहे हैं कि जितना कोई भी पिता अपने बच्चों के साथ रोज-रोज ऐसे ही खुशियों से भरे पल बिताना चाहता होगा. एक प्राउड फादर हमेशा बच्चों पर गर्व करता है, उन्हें गले लगाता है. लेकिन सार्वजनिक जीवन जीने वाले लोगों खासकर राजनेताओं जिनके लिए उनकी जनता ही उनका परिवार होती है, वो अपने बच्चों को उतना समय नहीं दे पाते होंगे. लेकिन हेमंत सोरेन की ये तस्वीर किसी भी संवेदनशील शख्स के दिल को छू लेगी.
'एक तस्वीर 1000 शब्दों के बराबर होती है'
ऐसी ही एक और तस्वीर पर बात करें तो आला दर्जे के पॉलिटिकल पंडितों को वोटिंग खत्म होने के बाद या अगले दिन नेताओं की जो तस्वीरें आती हैं, उन्हें देखकर, बॉडी लैंग्वेज पढ़कर और बयान सुनकर नतीजों का कुछ-कुछ अहसास हो जाता है. वोटिंग के अगले दिन जब हेमंत सोरेन आराम कर रहे थे तो उनकी जिंदगी की गाड़ी संभालने वाली सारथी कल्पना सोरेन उनकी चंपी कर रही थीं.
ये पहला मौका है, जब झारखंड में सत्ताधारी गठबंधन ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की है. वहीं हेमंत सोरेन झारखंड के पहले नेता बन गए हैं जो लगातार दूसरी बार सीएम पद की शपथ लेंगे. हेमंत ने भले ही झारखंड के सबसे प्रभावी परिवार में जन्म लिया हो, लेकिन उनका सियासी सफर बेहद उतार-चढ़ाव भरा रहा है. इंजीनियर बनने का सपना देखने वाले हेमंत परिस्थितियों के चलते राजनीति में आए थे और आज वो सबसे बड़े आदिवासी योद्धा बनकर उभरे हैं.
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हेमंत सोरेन राज्य के बड़े आदिवासी नेताओं में से एक शीबू सोरेन के बेटे हैं. उनकी पत्नी पहली बार विधायक बनी हैं. हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने गांडेय सीट से चुनाव लड़ा. उन्होंने इस सीट पर भाजपा की मुनिया देवी को 17,142 मतों से हराया. कल्पना ने इससे पहले 4 जून को उपचुनाव में यह सीट जीती थी. उन्होंने तब बीजेपी के दिलीप कुमार वर्मा को 27,149 मतों से हराया था.
पॉलिटिकल फैमिली की बहू होने के बावजूद वो सियासत से दूर रहती थीं, लेकिन पति के जेल जाने के बाद और जेठानी सीता सोरेन और कोल्हान टाइगर चंपाई सोरेन के बागी होने पर उन्होंने पार्टी की कमान संभाली. लोकसभा चुनावों में तूफानी चुनाव प्रचार किया. महिलाओं में उनकी लोकप्रियता देखने को मिली और इस चुनाव में महिलाओं ने उनकी पार्टी को जमकर वोट किया.
उनके छोटे भाई बसंत सोरेन भी सियासी दुनिया में हैं. विधायकी का चुनाव जीत चुके हैं. हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन चुनाव हार गई हैं. उन्होंने जामताड़ा से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. इस सीट से कांग्रेस के इरफान अंसारी ने सीता सोरेन को 43,676 मतों के अंतर से हरा दिया. उनकी एक बड़ी बहन अंजलि सोरेन हैं. वहीं इस खबर की थंबनेल इमेज में दिख रहे उनके दोनों बेटे पढ़ाई कर रहे हैं.
हेमंत सोरेन भगवान बिरसा मुंडा के अनुयायी हैं. उनके पिता शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख संस्थापक हैं.
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