कटेहरी की हार अखिलेश यादव की PDA राजनीति पर BJP की बड़ी चोट, लालजी वर्मा का दुर्ग कैसे ढह गया?

अंबेडकरनगर: उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर की कटेहरी विधानसभा सीट पर अखिलेश यादव की रणनीति फेल होती दिख रही है। लोकसभा चुनाव में अ

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अंबेडकरनगर: उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर की कटेहरी विधानसभा सीट पर अखिलेश यादव की रणनीति फेल होती दिख रही है। लोकसभा चुनाव में अंबेडकरनगर और फैजाबाद और पूर्वांचल के इस इलाके की अधिकांश सीटों पर भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। इन सीटों पर समाजवादी पार्टी की जीत के पीछे अखिलेश यादव की पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स खूब चली। अखिलेश यादव एक बार फिर विधानसभा उपचुनाव में पीडीए पॉलिटिक्स पर चलाने की कोशिश की। लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा को चुनावी मैदान में उतार कर पिछड़ा पॉलिटिक्स को साधने का प्रयास किया गया, लेकिन भाजपा की राजनीति ने लालजी वर्मा के दुर्ग को ढहा दिया।

लोकसभा चुनाव में सपा का खेल

समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान जमकर खेल किया। अखिलेश यादव ने पीडीए पॉलिटिक्स को साधते हुए लालजी वर्मा को चुनावी मैदान में उतारा। कटेहरी विधायक लालजी वर्मा ने इस सीट से चुनावी मैदान में उतर कर भाजपा की सभी रणनीति को काट दिया। लालजी वर्मा की लोकसभा चुनाव में जीत के बाद कटेहरी सीट खाली हुई। 20 नवंबर को उपचुनाव की वोटिंग हुई। इस दौरान लालजी वर्मा का असर दिखा।

लालजी वर्मा ने पुलिस अधिकारियों पर जमकर निशाना साधा था। उन्होंने मतदाताओं को रोकने का आरोप लगाया। इसके बाद पुलिस अधिकारियों को भी खूब हड़काया। उन्होंने कहा कि अगर लोगों को वोट डालने से रोका गया तो सड़क पर बैठ कर प्रदर्शन करेंगे। हालांकि, चुनाव शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न कराया गया है।

भाजपा की बदली रणनीति

अखिलेश यादव ने पीडीए राजनीति के जरिए मुलायम सिंह यादव के माय (मुस्लिम + यादव) समीकरण से आगे बढ़ने का जज्बा दिखाया। लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने गैर यादव पिछड़ा और दलित समुदाय को साधने के लिए जमकर सीट बांटे। असर जीत के रूप में सामने आया। इसके बाद भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव किया। सबसे पहले पार्टी ने उम्मीदवारों के चयन में लोकल चेहरों और जमीन पर काम करने वालों को प्राथमिकता दी। कटेहरी सीट पर धर्मराज निषाद को खड़ा कर भाजपा ने सपा के पीडीए पॉलिटिक्स की हवा निकाल दी।

पिछड़ा समाज से ही आने वाले धर्मराज निषाद ने पूरे इलाके में घूमकर प्रचार किया। वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ ने इलाके में रैली कर 'बंटेंगे तो कटेंगे' का संदेश दिया। इसके जरिए समाज को जातीय आधार पर बंटने देने की जगह सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पर जोर दिया। पार्टी ने बदली रणनीति के साथ प्रदेश की जनता को न बंटने का जो संदेश दिया, उसका असर दिखा।

बड़ी जीत के बड़े संदेश

कटेहरी विधानसभा सीट पर शुरुआती रुझानों में समाजवादी पार्टी उम्मीदवार शोभावती वर्मा बढ़त बनाती दिख रही थीं। हालांकि, बाद में धर्मराज निषाद ने रफ्तार पकड़ी तो बढ़त बनती दिखने लगी। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी भी अपनी पकड़ को एक बार फिर मजबूत करती दिखी है। इस सीट पर अब तक हुई 27 राउंड के वोटों की गिनती में धर्मराज निषाद 27,186 वोटों की विजयी बढ़त बनाते दिख रहे हैं। चार राउंड के वोटों की गिनती बाकी है।

धर्मराज निषाद को अब तक 90,158 वोट मिले हैं। वहीं, सपा की शोभावती वर्मा 62,972 वोट हासिल की हैं। वहीं, बसपा के अमित वर्मा 36,951 वोट पाने में कामयाब रहे हैं। आजाद समाज पार्टी के राजेश कुमार 4537 वोट हासिल करने में कामयाब रहे हैं।

सपा के पीडीए का सब उड़ गया?

यूपी उपचुनाव के रिजल्ट ने सपा के लिए बड़ी तस्वीर साफ कर दी है। अखिलेश यादव ने जिस पीडीए फॉर्मूले पर लोकसभा में जीत की इमारत खड़ी की, उपचुनाव में वह धराशायी होता दिखा। मैनपुरी की करहल और कानपुर की सीसामऊ सीट पर सपा को जीत मिली है। करहल से तेज प्रताप सिंह यादव और सीसामऊ से नसीम सोलंकी जीतीं। इस प्रकार उपचुनाव की जीत में माय समीकरण ही जीतता दिखा।

सपा के पाले से गैर यादव पिछड़ा और दलित वोट छिटकता दिख रहा है। फूलपुर, कुंदरकी और कटेहरी विधानसभा सीट पर आए परिणाम इसी तरफ इशारा कर रहे हैं। कुंदरकी में तो भाजपा ने सपा के मजबूत अल्पसंख्यक वोट बैंक में भी सेंधमारी कर दी। फूलपुर और कटेहरी में बसपा को आए वोट साफ कर रहे हैं कि दलितों की आबादी में अभी भी मायावती का क्रेज बरकरार है। दलित वोट बैंक बसपा की तरफ जाता दिखा है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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