क्या अपने पिता बाला साहेब ठाकरे से हार गए उद्धव, मुस्लिमों से करीबी बनी पराजय की बड़ी वजह

नई दिल्ली: महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों ने शिवसेना (यूबीटी) के मुखिया उद्धव ठाकरे को जोर का झटका दिया है। एक ओर जहां एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 54 सीटें आती दिख रही, वहीं उद्धव ठाकरे की शिवसेना महज 21 सीट पर ही सिमट गई है। आखिर उद्धव ठाकरे को मिली

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नई दिल्ली: महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों ने शिवसेना (यूबीटी) के मुखिया उद्धव ठाकरे को जोर का झटका दिया है। एक ओर जहां एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 54 सीटें आती दिख रही, वहीं उद्धव ठाकरे की शिवसेना महज 21 सीट पर ही सिमट गई है। आखिर उद्धव ठाकरे को मिली इस करारी हार की वजह क्या है? क्या मुस्लिमों की करीबी उद्धव की शिवसेना के हार की वजह बनी। जिस तरह से उद्धव ठाकरे के पिता बाला साहेब ठाकरे ने हिंदू हृदय सम्राट का दावा ठोका था, उस राह से अलग पकड़ना उद्धव को भारी पड़ गया। क्या अपने पिता बाला साहेब ठाकरे से हार गए उद्धव ठाकरे?

उद्धव ठाकरे से कहां हुई गलती?

जैसे-जैसे महाराष्ट्र में वोटों की गिनती आगे बढ़ रही, उद्धव ठाकरे को यही सवाल कचोट रहा होगा कि आखिर उनसे गलती कहां हो गई। क्या मुसलमानों के प्रति उदार होने से शिवसेना (यूबीटी) के हिंदू वोट बैंक पर असर पड़ा। महाराष्ट्र की जनता ने विधानसभा चुनावों में अपना फैसला सुना दिया है। बीजेपी के नेतृत्व वाले सत्ताधारी महायुति गठबंधन को दो तिहाई से ज्यादा सीटें मिलती दिख रही हैं। भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। बीजेपी को 132 सीटें आती दिख रहीं हैं। वहीं कांग्रेस को महज 16 सीट मिल रही है।

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शिंदे की शिवसेना का जोरदार प्रदर्शन

महाराष्ट्र चुनाव में सबसे बड़ा झटका शिवसेना (यूबीटी) के मुखिया उद्धव ठाकरे को लगा है। ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी इस चुनाव में महज 21 सीटों पर सिमटती दिख रही। शिवसेना में टूट के बाद बीजेपी गठबंधन के साथ गए एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना को 54 सीटें आई हैं। एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना का आंकड़ा पूरे महा विकास अघाड़ी यानी कांग्रेस-शिवसेना (यूबीटी)-एनसीपी (शरद पवार गुट) तीनों की सीट मिला लें तो भी ज्यादा है।

मुस्लिमों से करीबी में उद्धव से खिसक गए हिंदू वोटर्स

ऐसे में सवाल ये कि आखिर उद्धव ठाकरे को लगे इस तगड़े झटके की वजह क्या है? एक्सपर्ट की माने तो उद्धव ठाकरे के हार की वजह उनके कोर हिंदू वोट बैंक का खिसकना है। इस चुनाव में हिंदू वोटर्स एकनाथ शिंदे के साथ चले गए। शिवसेना से ही अलग हुए एकनाथ शिंदे के गुट पर महाराष्ट्र की जनता ने जमकर प्यार बरसाया। वैसे भी चुनाव शुरू होने से पहले उद्धव ठाकरे के खेमे ने इसे असली शिवसेना और नकली शिवसेना का नाम दिया था।

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पिता बाला साहेब के तेवर से बेटे उद्धव का अलग रुख

हालांकि, जनता ने जिस तरह से एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना को सपोर्ट किया उससे उद्धव ठाकरे गुट को समझ आ गया होगा कि गलती कहां हो गई। सवाल ये भी उठ रहे कि उद्धव ठाकरे ने मुस्लिमों को लेकर अपने पिता बाला साहेब ठाकरे से अलग रुख अपनाया। माना जा रहा कि मुस्लिम वोटर्स उनके सपोर्ट में उस तरह से नजर नहीं आया।

इसलिए वजह से हारी उद्धव की सेना!

पांच साल पहले 2019 के दिसंबर में उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र विधानसभा में बतौर मुख्यमंत्री यह स्वीकार कर चुके हैं कि धर्म को राजनीति से जोड़ना उनकी एक गलती थी और उन्हें इससे नुकसान हुआ है। लोकसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा था। विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने सिर्फ एक मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया। हारुन खान मुंबई की वर्सोवा सीट से शिवसेना (यूबीटी) उम्मीदवार बनाया।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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