अडानी के पास क्या बचा है आखिरी रास्ता...20 साल की अमेरिकी जेल या कुछ और, 10 सवालों में जानिए पूरे जवाब

नई दिल्ली: अमेरिका में अडानी ग्रुप के चेयरमैन उद्योगपति गौतम अडानी समेत 8 लोगों पर अरबों रुपए की धोखाधड़ी और घूस देने के आरोप लगे हैं। अमेरिकी अभियोजकों का आरोप है कि अडानी समूह ने इस बात को उन अमेरिकी बैंकों और इंवेस्टर्स छिपाया, जिनसे अडानी ग्

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नई दिल्ली: अमेरिका में अडानी ग्रुप के चेयरमैन उद्योगपति गौतम अडानी समेत 8 लोगों पर अरबों रुपए की धोखाधड़ी और घूस देने के आरोप लगे हैं। अमेरिकी अभियोजकों का आरोप है कि अडानी समूह ने इस बात को उन अमेरिकी बैंकों और इंवेस्टर्स छिपाया, जिनसे अडानी ग्रुप ने सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट के लिए अरबों डॉलर जुटाए थे।
वहीं, अडानी समूह ने आरोपों को निराधार करार दिया है, जबकि भारत सरकार ने इस मामले में अब तक चुप्पी साध रखी है। इस मामले को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत पूरा विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया है। राहुल ने अडानी को गिरफ्तार करने की मांग की है। जानते हैं इस मामले की पूरी कहानी। यह भी जानते हैं कि इस मामले में अब आगे क्या होगा?

अडानी पर क्या और किस तरह के लगे हैं आरोप

अमेरिकी अभियोग में यह आरोप लगाया गया है कि अडानी और उनके सह-प्रतिवादियों ने 20 वर्षों में अनुमानित 2 बिलियन डॉलर के सोलर एनर्जी कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर यानी करीब 2100 करोड़ रुपए से अधिक की रिश्वत देने पर सहमति जताई थी। अडानी पर विदेशी रिश्वतखोरी, प्रतिभूति धोखाधड़ी, प्रतिभूति धोखाधड़ी साजिश और धोखाधड़ी की साजिश के आरोप हैं।

क्या ये आरोप मान्य होंगे या कुछ और होगा

दिल्ली में एडवोकेट अनिल कुमार सिंह श्रीनेत कहते हैं कि अमेरिकी कानून अभियोजकों को भारतीय अधिकारियों पर विदेशी रिश्वतखोरी का आरोप लगाने की अनुमति देता है। दरअसल, ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि भारत की जो भी कंपनी अमेरिका में व्यापार करती है तो वह अमेरिकी कानून के दायरे में आएगी। अभियोजकों को अमेरिकी वित्तीय संस्थानों से होने वाली लेनदेन पर व्यापक अधिकार भी है। अभियोजकों ने यह भी आरोप लगाया कि अडानी ने कथित रिश्वत को छिपाकर अमेरिकी निवेशकों को धोखा दिया।

क्या अडानी को गिरफ्तार किया जा सकता है?

नहीं। अगर अडानी भारत में है तो अमेरिकी अभियोजकों को दोनों देशों की प्रत्यर्पण संधि की शर्तों के तहत भारत सरकार से उसे प्रत्यर्पित करने के लिए कहना होगा। प्रत्यर्पण की इस प्रक्रिया को भारत में अदालत की ओर से नियंत्रित किया जाएगा। इस प्रक्रिया के दौरान कई फैक्टरों पर भी विचार होगा। जैसे कि क्या जिस अपराध के लिए अमेरिका में अडानी समूह पर आरोप लगाया गया था वह भारत में भी एक अपराध है? क्या आरोप राजनीति से प्रेरित हैं या क्या उसे अमेरिका में अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ सकता है?
Gautam Adani

क्या अडानी प्रत्यर्पण के खिलाफ कर सकते हैं अपील

बिल्कुल। अगर अडानी को अमेरिकी अटार्नी की ओर से प्रत्यर्पण की अपील की जाती है तो वह इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ सकते हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि इस प्रक्रिया में कितना समय लग सकता है। चूंकि अडानी पर भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप है, ऐसे में प्रत्यर्पण को राजनीतिक रूप से और अधिक जटिल बना सकता है।

क्या अडानी ने अभी तक कोई याचिका दायर की है?

नहीं। चूंकि, इस मामले में अडानी को गिरफ्तार नहीं किया गया है, ऐसे में अभी तक अडानी समूह ने कोई अपील भी दायर नहीं की है। अडानी समूह ने बृहस्पतिवार को ही एक बयान में कहा है कि अमेरिकी अभियोजकों के आरोप निराधार थे और कंपनी कानून का पालन करने वाला संस्थान है। इसके अलावा, अभी तक इस मामले में खुद अडानी ने कोई बयान नहीं दिया है।

क्या अडानी अमेरिकी अदालत में आरोपों पर अपील कर सकते हैं?

बिल्कुल कर सकते हैं। हालांकि, जब तक वह अमेरिकी अदालत में पेश नहीं हो जाते, तब तक अडानी के वकील केवल प्रक्रियात्मक आधार पर अभियोग को चुनौती दे सकते हैं। इस मामले में अडानी के अमेरिकी न्यायाधीश के सामने पेश होना होगा, इसके बाद ही उनके वकील यह तर्क देकर अभियोजन के आरोपों के खिलाफ लड़ सकते हैं। उनके वकील जज के सामने यह बता सकते हैं कि ये आरोप कानूनी रूप से दोषपूर्ण हैं या इनमें कोई तथ्य नहीं है।

अमेरिकी अभियोजकों के पास क्या कोई सबूत है?

अमेरिका में अभियोजकों को किसी मामले के शुरुआती चरणों में संदेह का लाभ मिलता है और न्यायाधीश जूरी को तथ्यों को तौलने का मौका देने से पहले मामलों को खारिज करने में अनिच्छुक होते हैं। अभियोजकों ने अभियोग में कथित अपराधों के व्यापक साक्ष्य का हवाला दिया है, जिसमें भारतीय अधिकारियों के साथ व्यक्तिगत बैठकें और सेल फोन और मैसेजिंग ऐप रिकॉर्ड के व्यापक पेपर ट्रेल शामिल हैं।

क्या अडानी के पास इस टेंशन से निकलने का कोई मौका है

हां। अगर कोई अडानी हल्की सजा के बदले में कुछ अपराधों को स्वीकार करने पर सहमत हो जाएं तो वह अमेरिकी अभियोजकों के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट भी कर सकते हैं। हालांकि, इस मामले में अभियोजक बातचीत करने के लिए बाध्य नहीं हैं। किसी भी ऐसी डील को मान्यता तभी मिलेगी, जब जज उस पर अपनी सहमति जता दे।

अडानी के खिलाफ अमेरिका में कब तक चल सकता है मुकदमा?

अगर अडानी को प्रत्यर्पित कर दिया जाए या वह अमेरिका में सरेंडर कर दें तो भी मुकदमा चलने में काफी समय लग सकता है। अडानी के वकील मुकदमा शुरू होने से पहले सबूतों की स्वीकार्यता और अन्य कानूनी सवालों पर मुकदमा चलाने के हकदार होंगे। साथ ही उनके सात सह-प्रतिवादियों के वकील भी होंगे, जो अलग-अलग मुकदमे की मांग कर सकते हैं। अमेरिकी कानून के तहत अडानी 70 दिनों के भीतर त्वरित सुनवाई का हकदार होंगे। हालांकि, वह अपने वकीलों को आरोपों से लड़ने के लिए अधिक समय देने के अधिकार को छोड़ सकते हैं।

अडानी को क्या सजा भुगतनी पड़ सकती है?

अगर अडानी को इस मामले में दोषी ठहराया जाता है तो उन्हें कई सालों की जेल के साथ-साथ आर्थिक दंड का भी सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, कोई भी सजा आखिरकार मामले की देखरेख करने वाले जज पर निर्भर करेगी। अडानी को विदेशी रिश्वतखोरी के लिए 5 साल तक की जेल और प्रतिभूति धोखाधड़ी, न्याय में बाधा पहुंचाने और साजिश के आरोप में 20 साल तक की जेल का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, 12 सदस्यीय जूरी को अडानी को दोषी ठहराने के लिए सर्वसम्मति से मतदान करने की जरूरत होगी। इसके अलावा अडानी इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकते हैं।

सागर अडानी ने रिश्वत को ट्रैक करने के लिए फोन का इस्तेमाल किया

अमेरिकी अभियोजकों ने गौतम अडानी, अडानी ग्रीन के निदेशक और अडानी के भतीजे सागर अडानी और छह अन्य पर भारत में ग्रीन एनर्जी परियोजनाओं से संबंधित कथित रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी का आरोप लगाया, जिससे टाइकून की कंपनी और भारत की एज्योर पावर को फायदा हुआ, जो NYSE में सूचीबद्ध थी। अमेरिकी अधिकारियों ने आरोप लगाया कि अडानी ग्रीन के कार्यकारी निदेशक और गौतम अडानी के भतीजे सागर अडानी ने भारतीय अधिकारियों को दी गई रिश्वत के विवरण को ट्रैक करने के लिए अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि 2022 में कुछ अडानी और एज़्योर अधिकारियों के बीच एक बैठक में गौतम अडानी ने रिश्वत योजना के पहलुओं के बारे में विस्तार से बताया, जिसमें सरकारी अधिकारियों को पैसे की पेशकश करने के लिए व्यक्तिगत रूप से उठाए गए कदम भी शामिल थे।

अमेरिकी संघीय एजेंटों ने कैसे जांच की, सबूत जब्त किए?

मार्च 2023 में अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई के विशेष एजेंटों ने समूह और अन्य संस्थाओं में ग्रैंड जूरी की चल रही जांच के विवरण के साथ सागर अदानी से संपर्क किया। उन्होंने सागर के कब्जे में मौजूद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को अपने कब्जे में ले लिया और उसे सर्च वारंट और ग्रैंड जूरी समन जारी किया। तलाशी वारंट ने विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम, प्रतिभूति धोखाधड़ी और वायर धोखाधड़ी के उल्लंघन के लिए अमेरिका द्वारा जांच के तहत अपराधों, व्यक्तियों और संस्थाओं की पहचान की।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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