हार नहीं मान रहा डीप स्टेट! फिर अडानी के बहाने भारत पर डाली बुरी नजर, मोदी सरकार भी निशाने पर?

नई दिल्ली: भारत सरकार और कारोबारी जगत हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के समय को लेकर चिंतित हैं। रूसी मीडिया संस्थान स्पुतनिक की भारतीय शाखा स्पुतनिक इंडिया के मुताबिक, जानकार इसे 'डीप स्टेट' की साजिश मान रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि 'डीप स्टेट' म

4 1 14
Read Time5 Minute, 17 Second

नई दिल्ली: भारत सरकार और कारोबारी जगत हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के समय को लेकर चिंतित हैं। रूसी मीडिया संस्थान स्पुतनिक की भारतीय शाखा स्पुतनिक इंडिया के मुताबिक, जानकार इसे 'डीप स्टेट' की साजिश मान रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि 'डीप स्टेट' मोदी सरकार को अस्थिर करना चाहता है। बांग्लादेश में अमेरिका की भूमिका को लेकर भी चिंता जताई जा रही है। जानकार मानते हैं कि बाजार नियामक संस्थान भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के खिलाफ अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट भी 'डीप स्टेट' की चालों की ही एक कड़ी है। उद्योग सूत्रों ने स्पुतनिक इंडिया को बताया है कि इसका मकसद भारतीय संस्थानों में विश्वास कमजोर करना है।

क्यों भारत के पीछे हाथ धोकर पड़ा है अमेरिकी डीप स्टेट?

सूत्रों के मुताबिक, भारतीय अधिकारियों को हिंडनबर्ग रिसर्च की इस कोशिश के बारे में बताया गया है। उनका कहना है कि ये पश्चिमी ताकतों की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को अस्थिर करने के प्रयास हैं। सूत्रों के अनुसार, पश्चिमी देश भारत को अस्थिर क्यों करना चाहेंगे, इसके कई कारण हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर...

➤ भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और आने वाले दशकों में यह अमेरिका को पीछे छोड़ सकती है।
➤ डॉलर के उपयोग को कम करने के बीच भारतीय रुपये का इस्तेमाल बढ़ रहा है।
➤ भारत की विदेश नीति में रणनीतिक स्वायत्तता (स्ट्रैटिजिक अटॉनमी) की मजबूत परंपरा रही है।

सूत्रों का दावा है कि 'यह सीधा-सीधा भारत के सरकारी संस्थानों को बदनाम करने प्रयास है। यह हमला सिर्फ अडानी पर नहीं, बल्कि सेबी की ईमानदारी पर है। इसी तरह, उनकी पिछली रिपोर्ट (जनवरी 2023 में) ने एलआईसी, एसबीआई और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों जैसे प्रमुख सरकारी संस्थानों में दहशत फैला दी थी, जिनका अडानी समूह के शेयरों में निवेश है।'

हिंडनबर्ग ने अभी तक सेबी को यह स्पष्ट नहीं किया है कि अडानी के शेयरों को शॉर्ट करके उसे फायदा हुआ या नहीं। यह सवाल पिछले महीने सेबी की ओर से हिंडनबर्ग को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस में उठाया गया था।
इंडस्ट्री सोर्स

मजबूत होता भारत किनकी आंखों की किरकिरी?

2019 में भारत का शेयर बाजार सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अनुपात 77% था जो 2023-24 में बढ़कर 124% हो गया है। सूत्रों ने कहा कि बाजारों में किसी भी तरह की उथल-पुथल का असर लाखों मध्यवर्गीय भारतीयों पर सीधे तौर पर पड़ सकता है जिन्होंने बाजार में सीधे निवेश किया है। इसके अलावा, विशेषज्ञों ने गौर किया है कि हिंडनबर्ग का जो इरादा था, उसके ठीक उलट हुआ है। उन्होंने कहा कि एलआईसी ने अडानी समूह की कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा दी है, हालांकि यह मामूली बढ़ोतरी है।

सूत्रों ने कहा कि 'इसके पीछे एक आर्थिक मकसद भी है, जो है अडानी के शेयरों को शॉर्ट करके मुनाफा कमाना। ऐसा माना जाता है कि करीब 200 अमेरिकी स्टॉकब्रोकर और बिचौलिए को पिछले जनवरी में प्रकाशित हिंडनबर्ग रिपोर्ट की एडवांस कॉपी मिल गई थी, जिसके कारण भारतीय कॉर्पोरेट इतिहास के सबसे बड़े शेयर मार्केट क्रैश में से एक देखने हुआ था।' उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग ने अभी तक सेबी को यह स्पष्ट नहीं किया है कि अडानी के शेयरों को शॉर्ट करके उसे फायदा हुआ या नहीं। यह सवाल पिछले महीने सेबी की ओर से हिंडनबर्ग को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस में उठाया गया था।
राहुल गांधी ने कहा कि सरकार अडानी के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है। कोई भी क्राइम करता है तो उसे जेल भेजा जाता है। 10-12 करोड़ के लिए मुख्यमंत्री को जेल भेज दिया जाता है, लेकिन अडानी 2000 करोड़ का घोटाला करके सुरक्षित हैं। अब अमेरिकन एजेंसी ने कहा है कि इन्होंने क्राइम किया है। इन्होंने भारत में घूस दिया है। पीएम मोदी करना भी चाहें तो कुछ नहीं कर सकते हैं क्योंकि वोअडानी के कंट्रोल में हैं। इस आदमी ने 2000 करोड़ रुपये का घोटाला किया है लेकिन उसका कुछ नहीं होगा।
राहुल गांधी, लोकसभा में विपक्ष के नेता

बाहरी डीप स्टेट को भारतीयों का भी साथ!

गौरतलब है कि सूत्रों ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि 'डीप स्टेट' के लोगों को कुछ भारतीयों का भी साथ मिल रहा है। इनमें कथित तौर पर विपक्षी नेता, प्रतिद्वंद्वी व्यवसायी और सरकार के कुछ लोग शामिल हैं। सूत्रों ने कहा कि ये भारतीय संस्थाएं 'अल्पकालिक राजनीतिक या आर्थिक लाभ' के लालच में व्यापक भू-राजनीतिक संदर्भ को नजरअंदाज कर रही हैं। सूत्रों का दावा है कि 'हिंडनबर्ग को जितने दस्तावेज मिले हैं, वे भारतीयों की मदद के बिना संभव नहीं थे। 'डीप स्टेट' में अमेरिकी प्रतिष्ठान के एक धड़े और जॉर्ज सोरोस जैसे अरबपति शामिल हैं, जिनके भारत में कई मोर्चे हैं।'

राहुल गांधी ने की गौतम अडानी की गिरफ्तारी की मांग

गौरतलब है कि ताजा आरोपों के बाद भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच के इस्तीफे की मांग की है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गौतम अडानी की गिरफ्तारी की मांगी की। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अडानी की अवैध गतिविधियों को संरक्षण दे रहे हैं

बीजेपी का आरोप- भारत को कमजोर करना चाहते हैं राहुल

वहीं, सत्तारूढ़ बीजेपी ने राहुल के आरोपों पर कहा है कि वो एक दिन आरोप लगाते हैं और दूसरे दिन माफी मांग लेते हैं। राहुल की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद बीजेपी की तरफ से मोर्चा सांभले सांसद संबित पात्रा ने कहा है कि राहुल गांधी को देशविरोधी बातें करने के आदत हो गई है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी भारत के शेयर बाजार में हाहाकार मचाने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं, बीजेपी की एक और सांसद कंगना रनौत ने गांधी पर आरोप लगाया है कि वो इस देश, इसकी सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं।

सीएम जेल चले जाते हैं... अडानी का कुछ नहीं होता, राहुल ने पीएम मोदी पर साधा निशाना

आरोपों को खारिज कर रहा है सेबी

सेबी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज कर दिया है। सेबी ने कहा है कि वह अडानी समूह के खिलाफ चल रही जांच में नरमी नहीं बरत रही है। इसके अलावा, भारतीय बाजार नियामक ने बुच के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को भी खारिज कर दिया है। सेबी ने रविवार को एक बयान में कहा कि 'माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 3 जनवरी, 2024 को अपने आदेश में कहा था कि सेबी ने अडानी समूह से जुड़े 24 में से 22 मामलों की जांच पूरी कर ली है। इसके बाद, एक और जांच मार्च 2024 में पूरी हुई और एक बची हुई जांच पूरी होने वाली है'।

सेबी के बयान में आगे इस बात पर जोर दिया गया कि बुच ने समय-समय पर 'संबंधित खुलासे' किए हैं, और 'अपने आपको ऐसे मामलों से अलग रखा है जहां हितों का टकराव हो सकता है'। यह बयान उस आरोप के जवाब में दिया गया था जिसमें कहा गया था कि सेबी प्रमुख और उनके पति ने दो विदेशी फंडों में अपनी हिस्सेदारी छिपाई थी, जो अडानी की मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े थे।

इस बीच, अडानी समूह ने हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट में लगे आरोपों को 'दुर्भावनापूर्ण, शरारतपूर्ण और पूर्वनिर्धारित निष्कर्षों पर पहुंचने के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का हेरफेर' बताया है। उन्होंने कहा है कि ऐसा 'तथ्यों और कानून की अवहेलना करके व्यक्तिगत लाभ कमाने' के लिए किया गया है। पिछले साल, अडानी ने हिंडनबर्ग के आरोपों को 'भारत पर एक सुनियोजित हमला' बताया था।
सेबी को चाहिए कि वह IOSCO को पत्र लिखे और हिंडनबर्ग की साख के साथ-साथ इसे कौन नियंत्रित करता है, इसके बारे में जानकारी मांगे।अब, चूंकि हिंडनबर्ग ने एक भारतीय संस्थान पर सीधे आरोप लगाए हैं, तो नियामक और सरकार की ओर से जवाबी कार्रवाई होना तय है।
अरुण केजरीवाल, बाजार विशेषज्ञ

बहुत कुछ कहती है हिंडनबर्ग रिपोर्ट की टाइमिंग

स्पुतनिक इंडिया ने भारतीय सार्वजनिक संस्थानों को निशाना बनाने में हिंडनबर्ग रिसर्च की मंशा को समझने के लिए कई भारतीय बाजार विशेषज्ञों से भी बात की। निवेश सलाहकार फर्म KRIS के संस्थापक और निदेशक अरुण केजरीवाल ने बताया कि 'हालांकि, हिंडनबर्ग का इरादा सीधे तौर पर भारत की घरेलू राजनीति में दखल देना नहीं होगा, लेकिन ऐसा लगता है कि वे फिर से माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। रिपोर्ट का समय संदिग्ध है। यह बांग्लादेश की घटनाओं, संसद सत्र के स्थगन और बजट सत्र के समापन के बाद आई है। यह एक भू-राजनीतिक मसला हो सकता है, हालांकि यह अनपेक्षित है। हिंडनबर्ग, भले ही सीधे तौर पर नहीं, लेकिन ईंधन और गोला-बारूद मुहैया करा सकता है ताकि इसे एक भू-राजनीतिक मुद्दे में बदला जा सके।'

अरुण केजरीवाल ने कहा कि हिंडनबर्ग एक तरह से 'गंदी चाल चल रहा है और ध्यान भटकाने वाली रणनीति के जरिए भारतीय बाजार में तबाही मचाने की कोशिश' कर रहा है। इसके अलावा, विशेषज्ञ ने याद दिलाया कि सेबी प्रमुख के संबंध में लगाए गए आरोप 'पहले ही खारिज' हो चुके हैं। केजरीवाल ने सुझाया कि उनका असली मकसद भारतीय शेयरों को शॉर्ट करके पैसा कमाना है।

केजरीवाल ने कहा, 'पिछली बार जब हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट जारी थी, तो किसी ने इसकी उम्मीद नहीं की थी। इस कारण, उहापोह का माहौल बना और शेयर बाजार में तहलका मच गया और अडानी समूह को भारी नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि, जैसा कि हमने आज बाजार खुलने पर देखा, रिपोर्ट का कोई खास असर नहीं हुआ। भारतीय शेयर बाजार में दहशत फैलाने के उनके मकसद को ही विफल कर दिया गया है।'

हालांकि, हिंडनबर्ग का इरादा सीधे तौर पर भारत की घरेलू राजनीति में दखल देना नहीं होगा, लेकिन ऐसा लगता है कि वे फिर से माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। रिपोर्ट का समय संदिग्ध है। यह बांग्लादेश की घटनाओं, संसद सत्र के स्थगन और बजट सत्र के समापन के बाद आई है। यह एक भू-राजनीतिक मसला हो सकता है, हालांकि यह अनपेक्षित है। हिंडनबर्ग, भले ही सीधे तौर पर नहीं, लेकिन ईंधन और गोला-बारूद मुहैया करा सकता है ताकि इसे एक भू-राजनीतिक मुद्दे में बदला जा सके।
अरुण केजरीवाल, बाजार विशेषज्ञ

हिंडनबर्ग के खिलाफ ऐक्शन ले भारत सरकार

हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत को हिंडनबर्ग को बख्शना नहीं चाहिए क्योंकि उसने सेबी पर हमला किया है। विशेषज्ञ ने सेबी को सुझाव दिया कि वह IOSCO को पत्र लिखे और हिंडनबर्ग की साख के साथ-साथ इसे कौन नियंत्रित करता है, इसके बारे में जानकारी मांगे। IOSCO दुनिया भर के बाजार नियामकों की देखरेख करता है। केजरीवाल ने कहा, 'अब, चूंकि हिंडनबर्ग ने एक भारतीय संस्थान पर सीधे आरोप लगाए हैं, तो नियामक और सरकार की ओर से जवाबी कार्रवाई होना तय है।'

दूसरी ओर, इंडिट्रेड कैपिटल के ग्रुप चेयरमैन सुदीप बंद्योपाध्याय का कहना है कि अमेरिका में एक्टिविस्ट निवेशकों की तरफ से प्रबंधन पर आरोप लगाना और उन्हें पूरी तरह से बदलने की मांग करना आम बात है। उन्होंने कहा कि इस बीच, हिंडनबर्ग जैसे शॉर्ट सेलर्स के आरोपों को बेहतर तरीके से हैंडल करके भारतीय बाजार निश्चित रूप से परिपक्व हो रहा है। बंद्योपाध्याय ने कहा, 'हमने देखा कि लोकसभा चुनाव परिणामों से पहले क्या हुआ था, जब बाजार गिर गया और फिर उबर गया। ऐसा ही 23 जुलाई को केंद्रीय बजट में पूंजीगत लाभ कर बढ़ाए जाने पर भी देखा गया था।'

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

संभल हिंसा: घरों से पथराव हो रहा था और हम हाथ जोड़े खड़े रहते... पुलिसवालों को गोली लगने पर भड़के कमिश्नर

संभल: उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद सर्वे को लेकर भयंकर बवाल के बाद विवाद खड़ा है। प्रशासन के स्तर से दावा किया जार रहा है कि सर्वे के दौरान टीम और पुलिस को घेरकर हमला किया गया। हिंसा में पुलिसकर्मी और कई अधिकारी घायल हो गए। कुछ अधिकारियो

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now