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वॉशिंगटन/इस्लामाबाद: अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद डोनाल्ड ट्रंप अब आगामी कार्यकाल के लिए मंत्रिमंडल को अंतिम रूप दे रहे हैं। लेकिन ट्रंप ने अब तक जिन लोगों को चुना है, उनके नाम देखकर पाकिस्तान हिल गया है। ट्रंप ने अभी से ही संकेत दे दिया है कि पाकिस्तान अब अमेरिकी विदेश नीति के लिए प्राथमिकता में नहीं रह गया है। ट्रंप ने अपने विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सीआईए प्रमुख के नाम का ऐलान कर दिया है, जो पाकिस्तान के लिए बुरी खबर की तरह सामने आया है।पाकिस्तान विरोधी मार्को रूबियो बनेंगे मंत्री
इस्लामाबाद सबसे ज्यादा परेशान ट्रंप प्रशासन में शामिल किए गए उन लोगों को लेकर है, जो पहले पाकिस्तान के खिलाफ और भारत समर्थक बयान देकर सुर्खियां बटोर चुके हैं। विदेश मंत्री के महत्वपूर्ण पद पर डोनाल्ड ट्रंप ने मार्को रूबियो को नामित किया है। इसी साल जुलाई में सीनेटर रूबियो ने सुर्खियां बटोरी, जब उन्होंने अमेरिकी सीनेट में एक विधेयक पेश किया, जिसमें भारत का समर्थन और पाकिस्तान का विरोध किया गया।
इस विधेयक का नाम यूएस-इंडिया डिफेंस कोऑपरेशन एक्ट रखा गया, जिसका उद्येश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी का मुकाबला करने के लिए दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी को मजबूत करना था। विधेयक में भारत को उसके खतरों को देखते हुए सुरक्षा सहायता देने का प्रस्ताव है। भारत को जापान, इजरायल, कोरिया और नाटो जैसे सहयोगियों के बराबर मानने की बात कही गई है।
पाकिस्तान के खिलाफ सख्ती के समर्थक
इस विधेयक में पाकिस्तान के आतंकवादियों को पालने का भी जिक्र है। इसमें भारत के खिला आतंकवाद और आतंकवादी समूहों के पाकिस्तान के कथित इस्तेमाल पर कांग्रेस को रिपोर्ट देने की बात कही गई है। विधेयक में कहा गया है कि अगर पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवाद को प्रायोजित करने में शामिल पाया जाता है, तो उसे कोई सुरक्षा सहायता नहीं दी जानी चाहिए।
माइक वॉल्ट्ज भी खतरे की घंटी
ट्रंप ने माइक वाल्ट्ज सो अपना राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार चुना है। रूबियो की तरह ही वाल्ट्ज भी पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी हैं। वाल्ट्ज पाकिस्तान पर दबाव बनाने की वकालत करते रहे हैं कि वह सीमा पार आतंकवाद को खत्म करने के लिए और अधिक प्रयास करे। वाल्ट्ज अमेरिकी सेना में सेवा दी है और अफगानिस्तान में तैनात रहे हैं।
पाकिस्तान विरोधी मार्को रूबियो बनेंगे मंत्री
इस्लामाबाद सबसे ज्यादा परेशान ट्रंप प्रशासन में शामिल किए गए उन लोगों को लेकर है, जो पहले पाकिस्तान के खिलाफ और भारत समर्थक बयान देकर सुर्खियां बटोर चुके हैं। विदेश मंत्री के महत्वपूर्ण पद पर डोनाल्ड ट्रंप ने मार्को रूबियो को नामित किया है। इसी साल जुलाई में सीनेटर रूबियो ने सुर्खियां बटोरी, जब उन्होंने अमेरिकी सीनेट में एक विधेयक पेश किया, जिसमें भारत का समर्थन और पाकिस्तान का विरोध किया गया।इस विधेयक का नाम यूएस-इंडिया डिफेंस कोऑपरेशन एक्ट रखा गया, जिसका उद्येश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी का मुकाबला करने के लिए दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी को मजबूत करना था। विधेयक में भारत को उसके खतरों को देखते हुए सुरक्षा सहायता देने का प्रस्ताव है। भारत को जापान, इजरायल, कोरिया और नाटो जैसे सहयोगियों के बराबर मानने की बात कही गई है।
पाकिस्तान के खिलाफ सख्ती के समर्थक
इस विधेयक में पाकिस्तान के आतंकवादियों को पालने का भी जिक्र है। इसमें भारत के खिला आतंकवाद और आतंकवादी समूहों के पाकिस्तान के कथित इस्तेमाल पर कांग्रेस को रिपोर्ट देने की बात कही गई है। विधेयक में कहा गया है कि अगर पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवाद को प्रायोजित करने में शामिल पाया जाता है, तो उसे कोई सुरक्षा सहायता नहीं दी जानी चाहिए।माइक वॉल्ट्ज भी खतरे की घंटी
ट्रंप ने माइक वाल्ट्ज सो अपना राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार चुना है। रूबियो की तरह ही वाल्ट्ज भी पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी हैं। वाल्ट्ज पाकिस्तान पर दबाव बनाने की वकालत करते रहे हैं कि वह सीमा पार आतंकवाद को खत्म करने के लिए और अधिक प्रयास करे। वाल्ट्ज अमेरिकी सेना में सेवा दी है और अफगानिस्तान में तैनात रहे हैं।भारत की समर्थक तुलसी गबार्ड
अमेरिका के राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के तौर पर तुलसी गबार्ड का चयन किया है। वे अमेरिका की 18 खुफिया एजेंसियों की निगरानी रखेंगी, जिसमें सीआईए और एफबीआई भी है। फरवरी 2019 में जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक की थी, तो तुलसी गबार्ड ने नई दिल्ली का समर्थन किया था। उन्होंने इस्लामाबाद से आतंकी खतरे से निपटने के लिए कहा था। उन्होंने पाकिस्तान पर अल-कायदा नेता ओसामा बिन लादेन को शरण देने का भी आरोप लगाया।
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