India China Border Dispute: केंद्र की मोदी सरकार हिमालय की चोटियों में एक ऐसा 'अदृश्य किला' बनाने जा रही है, जहां से LAC पार चीन के जरा सी भी गड़बड़ करते ही उसकी आंखें नोचकर अंतड़िया बाहर निकालने का इंतजाम हो जाएगा. दरअसल, नई दिल्ली ने बीजिंग में बैठे PLA के फौजी जनरलों और उनके आका शी जिनपिंग को क्लियरकट कूटनीतिक मैसेज दे दिया है कि छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं. डोकलाम जैसा सोचा तो 'रण' होगा और 1962 जैसी हिमाकत की तो सबकुछ धुंआ धुंआ कर दिया जाएगा.
केंद्र का प्लान और लद्दाख की जरूरत
ऐसा नहीं है कि सरकार ने अचानक से ही इस दिशा में सोचना शुरू कर दिया. ये आइडिया तो बहुत पहले ही अपने फौजी और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के दिमाग में आ चुका था. केंद्र सरकार और रक्षा मंत्रालय की तैयारियों की बात करें तो लद्दाख में केला दर्रे से होकर 7-8 किलोमीटर लंबी ट्विन-ट्यूब सुरंग बनाने के प्रस्ताव पर मंथन हो चुका है. यह सुरंग समुद्र तल से ऊंचाई 18,600 फीट से कुछ ज्यादा होगी. केंद्र सरकार भी इससे जुड़ा प्रस्ताव लद्दाख के यूटी प्रशासन (Ladakh UT) को दे चुकी है. मिशन में करीब 6000 करोड़ का खर्च आने का शुरुआती अनुमान है. एक बार काम पूरा हो जाएगा तो लद्दाख के पास से चीन की अतिक्रमण वाली दुकान बंद हो जाएगी. क्योंकि भारतीय सेना (Army), फिर लेह से पैंगोंग झील तक पलक झपकते पहुंच जाया करेगी.
आपको क्या फायदा होगा?
टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय का पेपर वर्क हो चुका है. मिशन को लेकर जरूरी मीटिंग हो चुकी हैं. सूत्रों के मुताबिक इस प्रोजेक्ट पर जल्द ही फाइनल मुहर लग सकती है. टनल बनाने का मकसद लेह और पैंगोंग झील के बीच हर मौसम में 24x7 कनेक्टिविटी बढ़ाना है. इस टनल से सेना की क्षमता बढ़ेगी वहीं हमारा-आपका घूमने-फिरने का काम आसान हो जाएगा. साफ है कि सफर में लगने वाला समय काफी कम हो जाएगा. यह एक रणनीतिक रास्ता होगा. ऐसे में सेना की सहूलियत और सुरक्षा जरूरतों के हिसाब से एंट्री और एक्जिट कंट्रोल किया जा सकेगा. लद्दाख प्रशासन ने दो साल पहले खुद खारदुंग ला, फोटू ला, नामिका ला और केला में चार दर्रों पर नई सुरंगों की जरूरत बताते हुए एक रोडमैप रखा था.
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