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नई दिल्ली: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का भारत के दुश्मनों से प्यार छिपा नहीं रहा गया है। उन्होंने अपने कार्यकाल में कनाडा को खालिस्तानी आतंकियों का स्वर्ग बना दिया है। वो चाहते हैं कि खालिस्तानी आतंकी कनाडा में बैठकर भारत के अंदर कोहराम मचाता रहे और भारत हाथ पर हाथ धरे बैठा रहे। ट्रूडो की सरकार ने भारत सरकार के अपील पर कभी कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया। अब ट्रूडो की एक और अग्निपरीक्षा होने जा रही है। भारत ने अब खूंखार खालिस्तानी आतंकी अर्श सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला के प्रत्यर्पण की आधिकारिक अपील कनाडा से कर दी है। कनाडा पुलिस ने डल्ला को एक आपराधिक घटना में गिरफ्तार किया है।
ट्रूडो सरकार की पोल खोलते हुए बयान में कहा गया है, 'अर्श डल्ला के संदिग्ध आवासीय पते, भारत में उसके वित्तीय लेनदेन, चल/अचल संपत्तियों, मोबाइल नंबरों के विवरण आदि को सत्यापित करने के लिए पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) के तहत कनाडा को एक अलग अनुरोध भी भेजा गया था - जिनमें से सभी जनवरी 2023 में कनाडा के अधिकारियों को प्रदान किए गए थे। दिसंबर 2023 में कनाडा के न्याय विभाग ने मामले पर अतिरिक्त जानकारी मांगी। इन सवालों का जवाब इस साल मार्च में भेजा गया था।' विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हालिया गिरफ्तारी को देखते हुए, हमारी एजेंसियां प्रत्यर्पण अनुरोध पर कार्रवाई करेंगी। भारत में अर्श डल्ला के आपराधिक रिकॉर्ड और कनाडा में इसी तरह की अवैध गतिविधियों में उसकी संलिप्तता को देखते हुए उम्मीद है कि उसे भारत में न्याय का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित या निर्वासित किया जाएगा।'
दूसरी तरफ, ट्रूडो सरकार ने संदीप सिंह सिद्धू उर्फ सनी टोरंटो को क्लीन चिट दे दि जिस पर भारत में शौर्य चक्र विजेता बलविंद सिंह संधू की हत्या करवाने का आरोप है। कितनी हैरत की बात है कि भारत में वांछित भगोड़े आतंकी को कनाडा ने बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी (CBSA) का अधिकारी बना दिया है। भारत के आरोप पर कनाडा की सुरक्षा खुफिया सेवा (CSIS) ने जांच की खानापूर्ति की और आतंकी को क्लीन चिट दे दी।
सिद्धू पर भारत में आतकंवाद को बढ़ावा देने और पंजाब के तरनतारन में 2020 में बलविंद सिंह संधू के हत्या का आरोप है। संधू की भिखीविंड स्थित उनके घर के बाहर हत्या कर दिया थी। संधू को 1990 के दशक में खालिस्तानी आतंकवाद को कुचलने में अहम भूमिका के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। वह आतंकवादी नेटवर्क और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विस इंटेलिजेंस (ISI) से जुड़ा हुआ है। वह प्रतिबंधित आतंकी संगठन इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (ISYF) का सदस्य भी है। लेकिन ट्रूडो सरकार की नजर में वह बिल्कुल साफ-सुथरा और आम इंसान है।
भारत की अपील- डल्ला का प्रत्यर्पण करे कनाडा
भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया है कि 10 नवंबर को अर्श डल्ला की गिरफ्तारी हुई और अब ओंटोरियो कोर्ट में उसके केस की सुनवाई होगी। मंत्रालय के बयान में कहा गया है, 'अर्श डल्ला हत्या, हत्या के प्रयास, जबरन वसूली और आतंकी फंडिंग सहित आतंकवादी कृत्यों के 50 से अधिक मामलों में एक घोषित अपराधी है। मई 2022 में उसके खिलाफ एक रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था। उन्हें 2023 में भारत में आतंकवादी के रूप में नामित किया गया था। जुलाई 2023 में भारत सरकार ने कनाडा सरकार से उसकी गिरफ्तारी का अनुरोध किया था। इसे अस्वीकार कर दिया गया था। इस मामले में अतिरिक्त जानकारी प्रदान की गई थी।'ट्रूडो सरकार की पोल खोलते हुए बयान में कहा गया है, 'अर्श डल्ला के संदिग्ध आवासीय पते, भारत में उसके वित्तीय लेनदेन, चल/अचल संपत्तियों, मोबाइल नंबरों के विवरण आदि को सत्यापित करने के लिए पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) के तहत कनाडा को एक अलग अनुरोध भी भेजा गया था - जिनमें से सभी जनवरी 2023 में कनाडा के अधिकारियों को प्रदान किए गए थे। दिसंबर 2023 में कनाडा के न्याय विभाग ने मामले पर अतिरिक्त जानकारी मांगी। इन सवालों का जवाब इस साल मार्च में भेजा गया था।' विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हालिया गिरफ्तारी को देखते हुए, हमारी एजेंसियां प्रत्यर्पण अनुरोध पर कार्रवाई करेंगी। भारत में अर्श डल्ला के आपराधिक रिकॉर्ड और कनाडा में इसी तरह की अवैध गतिविधियों में उसकी संलिप्तता को देखते हुए उम्मीद है कि उसे भारत में न्याय का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित या निर्वासित किया जाएगा।'
झलक रही है ट्रूडो सरकार की मंशा
भारत के आग्रह पर जस्टिन ट्रूडो की सरकार क्या करेगी, इसका जवाब तो बाद में मिलेगा, लेकिन हालिया फैसलों से उसकी मंशा जरूर भांपी जा सकती है। कनाडा में हिंदुओं और भारत के खिलाफ दो बड़ी घटनाएं हुई हैं। दीपावली के मौके पर कनाडा के हिंदू मंदिरों में खालिस्तानी आतंकियों ने हमला किया था। तब कनाडा पुलिस ने मार-पीट और हिंसा करने वालों को सिर्फ गिरफ्तार किया, लेकिन निर्दोष और पीड़ित हिंदुओं के साथ ज्यादती की। इतना ही नहीं, पुलिस ने हिंसा के आरोपियों को तुरंत रिहा भी कर दिया।दूसरी तरफ, ट्रूडो सरकार ने संदीप सिंह सिद्धू उर्फ सनी टोरंटो को क्लीन चिट दे दि जिस पर भारत में शौर्य चक्र विजेता बलविंद सिंह संधू की हत्या करवाने का आरोप है। कितनी हैरत की बात है कि भारत में वांछित भगोड़े आतंकी को कनाडा ने बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी (CBSA) का अधिकारी बना दिया है। भारत के आरोप पर कनाडा की सुरक्षा खुफिया सेवा (CSIS) ने जांच की खानापूर्ति की और आतंकी को क्लीन चिट दे दी।
सिद्धू पर भारत में आतकंवाद को बढ़ावा देने और पंजाब के तरनतारन में 2020 में बलविंद सिंह संधू के हत्या का आरोप है। संधू की भिखीविंड स्थित उनके घर के बाहर हत्या कर दिया थी। संधू को 1990 के दशक में खालिस्तानी आतंकवाद को कुचलने में अहम भूमिका के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। वह आतंकवादी नेटवर्क और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विस इंटेलिजेंस (ISI) से जुड़ा हुआ है। वह प्रतिबंधित आतंकी संगठन इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (ISYF) का सदस्य भी है। लेकिन ट्रूडो सरकार की नजर में वह बिल्कुल साफ-सुथरा और आम इंसान है।
दोमुंहेपन की मिसाल हैं जस्टिन ट्रूडो
ये वही जस्टिन ट्रूडो हैं जिन्होंने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में हुई हत्या के लिए भारत को दोषी ठहरा दिया और रिश्ते खराब कर लिए। ट्रूडो चाहते हैं कि भारत उनके दावों पर कार्रवाई करे लेकिन विडंबना देखिए, वो अपने यहां खालिस्तानी आतंकियों और हिंदुओं पर हमला करने वालों को संरक्षित करते हैं। भारत-कनाडा रिश्तों में आई खटास के बीच अर्श डल्ला की गिरफ्तारी और उसके प्रत्यर्पण की मांग से नया परिदृश्य पैदा हो गया है। देखना होगा कि ट्रूडो सरकार इस मामले पर क्या करेगी।
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