Maharashtra Elections NCP Politics: राजनीति में स्थाई दोस्ती और दुश्मनी नहीं होती है. कश्मीर से केरल और महाराष्ट्र से लेकर बंगाल तक बेमेल विचारधाराओं के मिलन से सरकारें बनी हैं. सरकार के बनने-टूटने से इतर जब कोई पार्टी टूटती है तब वो आवाज ज्यादा दूर तक जाती है. कांग्रेस में कई बार टूट हुई, तब के हिसाब से उतना हो हल्ला नहीं मचा. लेकिन सरकार बनाने के लिए जब पावरफुल पवार फैमिली की एनसीपी में पहले फूट और फिर टूट हुई तो ये घटनाक्रम सबसे बड़ी सियासी खबर बन गया. महाराष्ट्र चुनाव में हर नेता दूसरे पर दबाव बनाने के लिए प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहा है. एनसीपी नेता अजित पवार ने कहा, जब वो पहली बार बीजेपी के साथ गए थे तब साहब (शरद पवार) को सबकुछ पता था. चलते चुनाव में अजित पवार का ये बयान आया तो खुद शरद पवार ने सफाई दी है.
अजित पवार के बयान से सियासी भूचाल-शरद पवार को देना पड़ा जवाब
अजित पवार ने पांच साल पहले BJP-NCP गठबंधन को लेकर हुई एक बैठक में गौतम अडानी की मौजूदगी का खुलासा किया था. महाराष्ट्र चुनाव के एन मौके पर उनकी बातों ने हर तरफ कोहराम मचा दिया है. बीजेपी के पास फिलहाल कोई जवाब नहीं दिख रहा, वहीं राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे इस मुद्दे को कैसे भुनाते इससे पहले शरद पवार ने उस मुलाकात को लेकर जवाब दिया है.
अजित का पूरा बयान एक बार फिर आप पढ़िए और तब आगे बताते हैं कि शरद पवार ने क्या सफाई दी.
अजित पवार ने एक वेबसाइट को दिए एक साक्षात्कार में कहा- 'हर कोई जानता है कि 2019 में महाराष्ट्र की सरकार बनवाने के लिए बैठक कहां हुई थी? सभी वहां थे. अमित शाह वहां थे, देवेंद्र फडणवीस वहां थे, गौतम अडानी वहां थे, पवार साहेब (शरद पवार) वहां थे. प्रफुल पटेल वहां थे, अजित पवार वहां थे. उस समय बीजेपी के साथ जाने का निर्णय शरद पवार की जानकारी में किया था, और एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में अपने सर्वोच्च नेता का मैंने अनुसरण किया था. उस एपिसोड का दोष मुझ पर आया और मैंने स्वीकार किया. मैंने दोष अपने ऊपर लिया और किसी के ऊपर कोई बात नहीं आने दी.
शरद पवार की सफाई
भतीजे के बयान पर सफाई देते हुए शरद पवार ने कहा, 'बैठक जहां आयोजित की गई थी, मेन बात उस लोकेशन की थी. अडानी के दिल्ली स्थित आवास पर मुलाकात हुई थी. ऐसे में उनका नाम आया. अडानी ने रात्रिभोज की मेजबानी की लेकिन वो हमारी पूरी राजनीतिक चर्चा में भाग नहीं ले रहे थे. 'द न्यूज मिनट-न्यूज़लॉन्ड्री' के एक इंटरव्यू में शरद पवार ने यह टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा, ' मैं शरद पवार खुद वहां था, अमित शाह और अजित पवार भी थे. सत्ता-बंटवारे की बातचीत अजित पवार के उप-मुख्यमंत्री के रूप में सुबह-सुबह शपथ लेने से पहले हुई थी. जिसमें देवेन्द्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया गया, ताकि सरकार बनाई जा सके. हालांकि वो सरकार बमुश्किल 80 घंटे तक ही चल सकी.
पवार बनाम पवार?
महाराष्ट्र चुनाव में महायुति हो या महाअघाड़ी उनके नेताओं में सबसे कमजोर चेहरा फिलहाल अजित पवार दिख रहे हैं. लेकिन सबसे दिलचस्प और चौंकाने वाली खबरें उनके पास से आ रही हैं. बारामती में पीएम मोदी को प्रचार के लिए आमंत्रित न करना हो या मुंबई में पीएम मोदी की रैली से अजित पवार और उनकी पार्टी के नेताओं का दूर रहना. सबकुछ एक स्क्रिप्टेड रणनीत लग रहा है. अजित पवार चाचा शरद पवार पर भी हमलावर हैं. अपने खिलाफ कैंडिडेट उतारने से अजित चाचा से इतने खफा हैं कि उन्होंने सियासी लड़ाई में शरद पवार पर रिश्ते न निभाने का आरोप जड़ दिया. अजित पवार ने कहा था कि उनकी मां ने शरद पवार से बारामती में कैंडिडेट न उतारने को कहा था लेकिन फिर भी उन्होंने परिवार के जिस सदस्य को मेरे खिलाफ खड़ा कर दिया, जबकि वो खुद बारामती में नहीं रहना चाहता है.
ऐसे में शरद पवार के इंटरव्यू के हवाले से आई इस खबर से ऐसा लगता है कि जूनियर पवार और सीनियर पवार के बीच भी प्रेशर पॉलिटिक्स का दौर दिख रहा है. क्योंकि अडानी हाउस में भतीजे के साथ मौजूदगी का खुलासा होने के बाद उन्हें इंटरव्यू देकर भतीजे को काउंटर करना पड़ा. उन्होंने इंटरव्यू में आगे कहा- 'मुलाकात केदौरान एनसीपी के तमाम नेता केंद्रीय एजेंसियों के राडार पर थे. उन्हें जबरदस्त ऑफर मिला था. लेकिन वो इसलिए पीछे हट गए क्योंकि उन्हें ये यकीन नहीं था कि बीजेपी अपना वादा निभाएगी.
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