अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में बंपर वोटों से कैसे जीत गए डोनाल्ड ट्रंप, सिर्फ पांच पाइंट में समझें पूरा गणित

वॉशिंगटन: डोनाल्ड ट्रंप ने जब अमेरिकी प्रेसीडेंट के चुनाव में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को अपेक्षाकृत आसानी से हराया तो इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। एनबीटी ने चुनाव प्रचार के दौरान देखा कि दोनों उम्मीदवार के मुद्दे एकदम उलट थे और वे अपने-अपन

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वॉशिंगटन: डोनाल्ड ट्रंप ने जब अमेरिकी प्रेसीडेंट के चुनाव में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को अपेक्षाकृत आसानी से हराया तो इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। एनबीटी ने चुनाव प्रचार के दौरान देखा कि दोनों उम्मीदवार के मुद्दे एकदम उलट थे और वे अपने-अपने वोटर के हिसाब से मुद्दे उठा रहे थे। अंतत: चुनाव परिणाम बताते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप के जीत के नीछे ये 5 अहम कारण बने-

1-राष्ट्रवाद और मजबूत नेतृत्व की छवि


अमेरिका के इस चुनाव में माना जा रहा है कि कभी राष्ट्रवाद का मुद्दा इतना मजबूत नहीं रहा था। डोनाल्ड ट्रंप ने खुद को सबसे बड़े राष्ट्रवादी नेता के रूप में स्थापित किया। उन्होंने वोटर तक संदेश देने में सफलता पायी कि वे अमेरिकी हितों की रक्षा करने वाले सबसे बड़े नेता है। वे पूरे विश्व में अमेरिका की साख फिर से स्थापित कर सकते हैं। वे जब रैलियों में इस बारे में बात करते थे जो जनता सबसे अधिक तालियां बजाती थी। इनके बीव उनपर कुछ महीने पहले हुउ जानलेवा हमला ने उनकी मजबूत छवि को और स्थापित किया और लोगों ने उनके एक नायक की छवि देखी।

2- और अप्रवासी का मुद्दा कनेक्ट कर गया


एनबीटी ने अमेरिका में चुनाव कवरेज के दौरान पाया कि यहां के स्थानीय लोग इस बात को लेकर एक मंच पर थे कि उनके टैक्स की कमाई अप्रवासियों पर क्यों खर्च हो। ट्रंप ने इस चुनाव में यहां अवैध तरीके से आने वाले लोगों को बहुत बड़ा मुद्दा बनाया। वे अपनी रैलियों में सबसे अधिक इसी मुद्दे पर आक्रामक होकर बोलते थे। उन्होंने चुनाव जीतने पर अवैध रूप से रह रहे लाखों गैर अमेरिकी को बाहर निकालने का वादा किया है। उन्होंने अमेरिकी नागरिकता लेने के कानून को भी सख्त करने का वादा किया है कि ताकि अमेरिकी लोगों का हक नहीं काटा जा सके। इस मुद्दे पर उन्हें अपार समर्थन मिला।

3- व्हाइट महिलाएं ट्रंप के साथ रहीं


इस चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की बड़ी जीत के पीछे बड़ा कारण उनके पक्ष में ह्वाइट महिलाओं का पक्ष में बना रहना भी रहा। कमला हैरिस और डेमोक्रेट्स ने इस चुनाव में गर्भपात कानून के बहाने महिला मुद्दे के बहाने ट्रंप को घेरने की पूरी कोशिश की थी। लेकिन ट्रंप ने खासकर ह्वाइट महिलाओं को यह समझाने में सफलता पायी कि उनके लिए गर्भपात अकेला मुद्दा नहीं है और यह मुद्दा भी हर परिवार को उतना प्रभावित नहीं करता है जितना बताया जा रहा है। उन्होंने इस मुद्दे को सपोर्ट करने वालों को वोक संस्कृति वाला भी बताया। अंतत: परिणाम ने साबित किया कि उनका यह दांव काम आया और वे महिलाओं का भी वोट लेने में सफल रहे।

4-आर्थिक हालात और बढ़ती महंगाई


अमेरिकी राष्ट्रपति के इस चुनाव में महंगाई और खराब आर्थिक हालात बहुत बड़ा मुद्दा बन गया। चुनाव बाद सीएनएन की ओर से आए एक्जिट पोल में यह बात सामने आयी कि लगभग 80 फीसदी लोगों ने माना कि पिछले चार सालों में उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हुई है। वे बढ़ती महंगाई को लेकर परेशान रहे। अंतत: परिणाम ने साबित किया कि वोटर ने इस मुद्दे पर कमला हैरिस और डेमोकेट्स को समर्थन नहीं दिया। ट्रंप ने इस चुनाव में आर्थिक हालात को बड़ा मुद्दा बनाया था। दरअसल बाइडेन ने राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी कोविड महामारी के बीच में संभाली थी और अगले दो साल उन्हें इससे जूझना पड़ा। सरकार ने अंतिम समय में इसे ठीक करने की कोशिश की लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।

5- कमला हैरिस की बहुत देर से दावेदारी


डेमोक्रेट्स ने मौजूदा राष्ट्रपति बाइडेन की जगह उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को राष्ट्रपति उम्मीदवार बहुत देर से बनाया। बाइडेन अपनी बढ़ती उम्र के कारण वोटर को प्रभावित करने में विफल हो रहे थे। उन्होंने अपनी ही पार्टी के नेताओं के ओर से आए बहुत दबाव के बाद राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी छोड़ी थी। जानकारों के अनुसार इसके बाद कमला हैरिस को महज दो-तीन महीने मिले चीजें को अपने पक्ष में करने की। साथ ही डेमोक्रेट्स में उम्मीदवारी को लेकर इस उलझन ने स्विंग वोटर को डोनालड ट्रंप के पक्ष में कर दिया। चुनाव बाद आए नतीजे ने लगभग हर राज्य में इस तथ्य को साबित किया कि अधिकतर स्विंग वोटरों न ट्रंप को वोट किया।

एलन मस्क बने X फैक्टर


इस चुनाव में अमेरिका के सबसे अमीर व्यक्ति और उद्दयोगपति एलन मस्क ट्रंप के पक्ष में सबसे बड़े एक्स फैक्टर बनकर साबित हुए। वे सोशल मीडिया कंपनी एक्स के भी मालिक है। उन्होंने न सिर्फ ट्रंप की उम्मीदवारी को अपना पब्लिक सपोर्ट किया बल्कि उनके पक्ष में तमाम रैलियां भी की। माना जा रहा है कि ट्रंप की जीत के नीछे मस्क की मेहनत का बड़ा हाथ है। खासकर नैरेटिव वार में उन्होंने हैरिस और उनकी टीम को काउंटर करने में सफलता पायी। उन्होंने उद्योगपतियों को ट्रंप के पक्ष में करने में अहम जिम्मेदारी निभयी। ट्रंप भी अपनी हर सभा में मस्क की खूब तारीफ करते थे। अब चुनाव बाद ऐसी संभावना है कि उन्हें ट्रंप सरकार में अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। चुनाव से पहले कुछ माैकों पर वह संकेत दे चुके हैं कि अगर उन्हें कोई जिम्मेदारी मिलती है तो वे लेने को तैयार हैं। अमेरिका में ऐसी चर्चा पहले से शुरू हो चुकी है कि 2028 में रिपब्लिकल पार्टी की ओर से मस्क राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हो सकते हैं।

हावर्ड यूनिवर्सिटी में निराशा दिखी


चुनाव के ठीक समाप्त होने के बाद कमला हैरिस हॉवर्ड यूनिवर्सिटी आने वाली थी। वहां उनके पक्ष में एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया था। लेकिन परिणाम शुरू होते ही जैसे ही वह पिछड़ने लगी वहां माहाैल ठंडा पड़ने लगा। दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के इतिहास में यह पहली बार था जब किसी यूनिर्वसिटी कैंपस में वोटिंग की रात एक उम्मीदवार इस तरह समय बिताने वाले थी। हैरिस हॉवर्ड विश्वविद्यालय की ही स्टूडेंट रही हैं। अंतत: वह मध्य रात्रि में आयी और बिना भाषण दिये कुछ देर रह कर चली गयी। वहां एनबीटी ने मौजूद कई स्टूडेंट से बात की तो उन्हें भी परिणाम से साफ निराशा दिखी। मैदान में बड़ी स्क्रीन पर चुनाव परिणाम दिखाया जा रहा था और जैसे जैसे ट्रंप की लीड बढ़ती जा रही थी वहां उत्साह ठंडा पड़ता जा रहा था।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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