ट्रंप के समर्थन में क्‍यों आए अमेरिकी मुसलमान, हैरिस को भारी पड़ी अल्पसंख्यकों की नाराजगी, कारण जानें

वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप निर्विवाद विजेता बनकर उभरे हैं। वहीं, कमला हैरिस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। माना जा रहा है कि ट्रंप की जीत में अमेरिकी मुसलमान मतदाताओं का बड़ा हाथ है, जिन्हें अभी तक डेमोक्रेटिक पार्

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वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप निर्विवाद विजेता बनकर उभरे हैं। वहीं, कमला हैरिस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। माना जा रहा है कि ट्रंप की जीत में अमेरिकी मुसलमान मतदाताओं का बड़ा हाथ है, जिन्हें अभी तक डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थक माना जाता रहा है। डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से कमला हैरिस राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार थीं। इस बार भी ऐसा लग रहा था कि ट्रंप के पिछले कार्यकाल को देखते हुए मुसलमान मतदाता डेमोक्रेटिक पार्टी को ही वोट देंगे, लेकिन ऐसा हो न सका। इस चुनाव में मुसलमानों का काफी ज्यादा वोट डोनाल्ड ट्रंप को मिला। इन वोटों की मदद से ट्रंप ने मुस्लिम बहुल राज्यों में भी कमला हैरिस को बड़े अंतर से मात दी।

मुसलमानों ने क्यों किया ट्रंप का समर्थन


मुसलमानों का ट्रंप को समर्थन करना डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए किसी सदमे से कम नहीं है। कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि ट्रंप को जितने गोरे अमरीकियों के वोट मिले, उतने ही मुसलमानों के भी। मुसलमान पहले से ही बाइडन प्रशासन से नाराज थे। इसका प्रमुख कारण इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध में अमेरिका की विदेश नीति थी। वे पहले से ही कह रहे थे कि बाइडन प्रशासन को इजरायल के समर्थन से पीछे हटना चाहिए। वे इस बात से भी नाराज थे कि बाइडन और हैरिस सिर्फ दिखावे के लिए इजरायल की आलोचना करते थे, लेकिन मौका मिलते ही उसकी मदद की भी दंभ भरते थे। वहीं, ट्रंप शुरू से ही कहते थे कि राष्ट्रपति बनते ही वह इस युद्ध को बंद करवा देंगे।

ट्रंप के दामाद ने भी मुसलमान वोटों की लॉबिंग की


अमेरिकी मुसलमान वोटरों का कहना था कि उन्होंने पहले डेमोक्रेटिक पार्टी को वोट दिए, लेकिन वे अब भरोसा खो चुके हैं। उन्होंने तर्क दिया कि डेमोक्रेट के पास मध्य पूर्व में शांति लाने की कोई योजना नहीं है, और उन्हें ट्रंप पर भरोसा है कि वे इससे बेहतर करेंगे। पहले भी ऐसे संकेत मिले थे कि मुसलमानों के वोट ट्रंप को जा सकते हैं, हालांकि पिछले पैटर्न को देखते हुए किसी ने भी इस पर भरोसा नहीं किया था। मिशिगन के मुस्लिम समुदाय तक ट्रंप की पहुंच ने हैमट्रैक और डियरबॉर्न हाइट्स के मुस्लिम महापौरों से समर्थन प्राप्त किया, जबकि समुदाय के साथ उनके नए संबंध - लेबनानी-अमेरिकी दामाद माइकल बौलोस (टिफ़नी ट्रम्प के पति) के माध्यम से उन्हें और अधिक प्रिय बना दिया।

हैरिस के इस कदम ने मुसलमानों को और भड़काया


हैरिस का इराक युद्ध के कट्टर समर्थक पूर्व रिपब्लिकन सांसद लिज चेनी के साथ प्रचार करने का निर्णय भी मुसलमानों को पसंद नहीं आया। डियरबॉर्न हाइट्स के मेयर बिल बज़ इससे खासे नाराज हुए और उन्होंने मिशिगन की रैली में ट्रंप के समर्थन का ऐलान कर दिया। लेबनानी मूल के एक 29 वर्षीय शिक्षक चार्ल्स फवाज ने कहा कि उन्होंने ट्रंप को वोट दिया। उन्होंने कहा कि जब ट्रंप हमारे राष्ट्रपति थे, तब हमारी विदेश नीति के साथ सबकुछ ठीक था, क्योंकि अन्य नेता हमारे देश का सम्मान करते थे। भले ही ट्रंप मध्य पूर्वी शांति पर काम न करें, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि रिपब्लिकन अर्थव्यवस्था को बेहतर तरीके से प्रबंधित करेंगे।

अमेरिका में कितने मुस्लिम मतदाता


अमेरिका में लगभग 25 लाख मुसलमान मतदाता हैं। मुस्लिम मतदाता एरिजोना, जॉर्जिया, मिशिगन, नेवादा, उत्तरी कैरोलिना, पेंसिल्वेनिया और विस्कॉन्सिन जैसे प्रमुख स्विंग राज्यों में रहते हैं। ये मतदाता चुनाव के परिणाम को निर्धारित कर सकते हैं। मुस्लिम मतदाताओं की बात करें तो मिशिगन यकीनन उम्मीदवारों के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्विंग राज्य था, क्योंकि यह अमेरिका में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी में से एक है। इसलिए, ट्रंप और हैरिस ने मिशिगन में कड़ी मेहनत की थी।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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