क्‍या भारत नहीं उठा पाया अमेरिका-चीन की दुश्‍मनी का फायदा? ये आंकड़े देख मोदी जरूर होंगे निराश

नई दिल्‍ली: अमेरिका और चीन के बीच की दुश्‍मनी दुनिया से छुपी नहीं है। दोनों में लंबे समय से ट्रेड वॉर जारी है। इसका फायदा उठाने के लिए भारत ने अपने मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने की कोशिशें की हैं। लेकिन, ये कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं। इ

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नई दिल्‍ली: अमेरिका और चीन के बीच की दुश्‍मनी दुनिया से छुपी नहीं है। दोनों में लंबे समय से ट्रेड वॉर जारी है। इसका फायदा उठाने के लिए भारत ने अपने मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने की कोशिशें की हैं। लेकिन, ये कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं। इस व्‍यापार युद्ध का फायदा दूसरे एशियाई मुल्‍कों को ज्‍यादा हुआ है। एक नई स्टडी में यह बात सामने आई है।
ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के अनुसार, 2017 और 2023 के बीच अमेरिकी आयात में भारत की कुल हिस्सेदारी 0.6 फीसदी अंक बढ़कर 2.7% हो गई। जबकि इसी दौरान चीन का हिस्सा लगभग 8 फीसदी घटकर 14% से कम रह गया।

व‍ियतनाम को हुआ सबसे ज्‍यादा फायदा

हालांकि, ट्रेड डायवर्जन का सबसे बड़ा फायदा वियतनाम को हुआ है। इसका अमेरिकी आयात में कुल हिस्सा इस दौरान 1.7 फीसदी बढ़कर 3.7% हो गया। ताइवान और दक्षिण कोरिया ने भी अमेरिकी आयात में अपनी हिस्सेदारी 1 फीसदी और 0.7 फीसदी बढ़ाकर भारत से बेहतर प्रदर्शन किया है।

यह स्टडी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने आने वाली चुनौतियों को भी पेश करती है। वह देश के पिछड़ते मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने की जमकर कोशिश कर रहे हैं। इसका सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में हिस्सा एक दशक से भी ज्‍यादा समय से 17% पर स्थिर है।

रिसर्च यह भी बताती है कि अगर डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति बनते हैं और चीनी सामानों पर 60% टैरिफ लगाने की धमकी को अंजाम देते हैं तो भारत को महत्वपूर्ण लाभ हासिल करने में मुश्किल हो सकती है।

ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स की अर्थशास्त्री एलेग्जेंड्रा हरमन ने एक नोट में लिखा है, 'अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध ने अब तक भारत की निर्यात संभावनाओं में केवल सीमित हद तक सुधार किया है। यह उम्मीद धराशायी हो गई है कि संघर्ष के बढ़ने से पिछड़ते मैन्‍यूकैक्‍चरिंग सेक्‍टर को बढ़ावा मिल सकता है। भारत की निर्यात शक्ति मोटे तौर पर ‘पुरानी अर्थव्यवस्था’ के क्षेत्रों में है, जहां विकास की संभावना सीमित हैं और प्रतिस्पर्धा भयंकर है।'

कहां प‍िछड़ रहा है भारत?

भारत ने अमेरिका को इलेक्ट्रॉनिक निर्यात को बढ़ावा देने में काफी प्रगति की है। लेकिन, चीन से कलपुर्जों का आयात भी बढ़ा है। इससे पता चलता है कि घरेलू मैन्‍यूफैक्‍चरिंग में बहुत कम मूल्यवर्धन हुआ है।

ऑक्सफोर्ड के अनुसार, 2023 में इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी और रसायन और फार्मास्यूटिकल्स के भारत के आयात का लगभग एक तिहाई हिस्सा चीन का था। कुछ अर्धचालक उपकरणों जैसे घटकों के लिए भारत का 67% आयात चीन से हुआ।

ऑक्सफोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'इससे भारत पर अमेरिकी व्यापार प्रतिबंधों के अधीन होने का खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि वियतनाम जैसे अन्य तीसरे देश पहले से ही अधिक अमेरिकी संरक्षणवाद का अनुभव कर रहे हैं।'

इसमें कहा गया है कि भारत वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का एक बड़ा हिस्सा आकर्षित करने में सक्षम नहीं है, भले ही चीन में एफडीआई का प्रवाह कम हो।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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