आंखों में जलन, सांसों में घुटन वाले दिल्ली-NCR में आपका स्वागत है, आदत में डाल लीजिए ये दुर्गंध

नई दिल्ली : दिल्ली में सुबह-सुबह मॉर्निंग वॉक पर निकलने वाले बुजुर्गों के साथ ही स्कूल के लिए घरों से बाहर निकलने वाले नौनिहाल अब 'मास्क मैन' बन चुके हैं। आंखों में जलन के साथ लगातार रुक-रुक कर आती खांसी तो दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए मानो न्य

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नई दिल्ली : दिल्ली में सुबह-सुबह मॉर्निंग वॉक पर निकलने वाले बुजुर्गों के साथ ही स्कूल के लिए घरों से बाहर निकलने वाले नौनिहाल अब 'मास्क मैन' बन चुके हैं। आंखों में जलन के साथ लगातार रुक-रुक कर आती खांसी तो दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए मानो न्यू नॉर्मल हो गया है। प्रदूषण की दुर्गंध को ही सुंगध मानकर आनंद लीजिए। धुंधला आसमान, जहरीली हवा के बीच सांस लेने में हो रही मुश्किल को बुजुर्ग, स्टूडेंट्स के साथ ही ऑफिस जाने वाले लोग भी शिद्दत से महसूस कर रहे हैं। ऐसी मुफ्त की सुविधा के लिए दिल्ली-एनसीआर के लोगों को अपनी-अपनी सरकारों को थैंक्यू कहना तो बनता है।

AAP, केंद्र को स्पेशल थैंक्स!

दिल्ली वालों को स्मॉग टावर, मॉनिटरिंग कमेटी के साथ ही ग्रैप जैसे सभ्य और कर्णप्रिय शब्दों के लिए तो दिल्ली के साथ ही केंद्र सरकार को स्पेशल थैंक्स कहना चाहिए। दिल्ली के साथ ही गुरुग्राम , नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में प्रदूषण का स्तर दीपावली से पहले ही खतरनाक जोन में पहुंचने लगा है। आने वाले दिनों में यह और भी ज्यादा खतरनाक हो जाएगा। लोगों को सांस लेने में दिक्कत होना शुरू होने लगी है। इस प्रदूषण के चलते बुजुर्गों और बच्चों के लिए सबसे अधिक परेशानी है।

इस उपलब्धि पर गर्व होना चाहिए

ये पूरी तरह से सरकार की उपलब्धि ही कही जाएगी जिसके कारण आज लोगों को जहरीली हवा में सांस लेना पड़ रहा है। दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है। यह समय आरोप-प्रत्यारोप करने का नहीं है। इस तरह के आदर्श राजनीतिक बयान सोशल मीडिया से लेकर टीवी-अखबारों में भरपूर जगह पा रहे हैं। ईमानदारी की कसमें खाने और सनातन के रक्षक बनने का दावा करने से यदि दिल्ली वालों को साफ हवा मिलती तो दिल्ली का आसमान कब का काली से 'नीली छतरी' बन गया होता।

पराली जलाने की घटनाओं के लिए दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं करने के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया संबंधित राज्यों ने सुन लिया। इस पर काम कितना हुआ इसकी रिपोर्ट जब आएगी तब आएगी। तब तक दिल्ली-एनसीआर वालों जहरीली हवा में सांस लेने की आदत डाल ही लीजिए।

मौसम को दोष देना तो बनता है

अपनी जिम्मेदारी दूसरे के कंधों पर डाल देने से कुछ अपराधबोध तो कम हो ही जाता है। इस बात को दिल्ली और पड़ोसी राज्यों की सरकारों ने आत्मसात कर लिया है। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मामले में सरकार और जिम्मेदार विभाग अगर ऐसा कर रहे हैं तो इसमें गलत क्या है? अगर इससे भी अधिक लोगों को यकीन दिलाना हो तो मौसम के सिर पर ही जिम्मेदारी डाल दीजिए। नेताओं का इस संबंध में बयान कुछ ऐसा है...दिल्ली के अंदर अभी मौसम की प्रतिकूलता बढ़ने लगी है। दिल्ली में बारिश बंद होने से हवा की गति कम हो गई है और तापमान नीचे की ओर जा रहा है। इससे प्रदूषण बढ़ रहा है। यह लाइन पढ़कर या सुनकर लोग निश्चित रूप से सरकार को दोष मुक्त तो कर ही देंगे।

मीटिंग-मीटिंग वाला खेल भी जारी

दिल्ली में प्रदूषण कम करने को लेकर मीटिंग-मीटिंग का खेल भी जारी है। दिल्ली सरकार विंटर ऐक्शन प्लान का हवाला दे रही है। सरकार की तरफ से जहां पर ज्यादा प्रदूषण दिख रहा है और उसके लिए उन क्षेत्रों पर स्पेशल कार्य योजना बनाने के लिए मीटिंग पर मीटिंग हो रही है। 13 हॉटस्पॉट की पहचान की गई है। 13 समन्वय समिति बनाई गई है। अब सवाल है कि इस तरह की मीटिंग-मीटिंग का असर कितना हो रहा है।

बीजेपी बनाम AAP तो होना ही है

दिल्ली में प्रदूषण की बात हो और आम आदमी पार्टी के साथ बीजेपी के नेता आरोप-प्रत्यारोप ना करें ऐसा कैसे हो सकता है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है। लेकिन, दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में चारों तरफ भाजपा की सरकार है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान में भाजपा की सरकार है। इसके अलावा केंद्र में भाजपा की सरकार है। ऐसे में सिर्फ प्रदूषण के लिए सिर्फ आम आदमी पार्टी को दोषी ठहराने से बीजेपी अपनी जिम्मेदारी से मुक्त कैसे हो सकती है। इसका अर्थ ये भी नहीं है कि आम आदमी सरकार इसी ढाल के बहाने अपनी जिम्मेदारी से बच जाए।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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