Shiv Sena Uddhav-AIMIM Alliance News: राजनीति में कहा जाता है कि इसमें कुछ भी असंभव नहीं होता है. सत्ता के लिए राजनीतिक दल और नेता, कब हद से गुजरकर एक हो जाएं, कोई बता नहीं सकता. अब महाराष्ट्र में भी ऐसा ही कुछ होने के आसार लग रहे हैं. वहां पर राजनीति की दो विपरीत धाराएं पावर में आने के लिए अपनी करीबियां बढ़ा रही हैं. हम बात कर रहे हैं उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना और असदुद्दीन ओवैसी की पारिवारिक पार्टी ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) की. जिनके आपस में गठबंधन की चर्चा जोरों पर हैं.
पार्टी में प्रस्ताव आया तो चर्चा होगी- संजय राउत
इस बेमेल गठबंधन की चर्चा ने पार्टी प्रवक्ता संजय राउत के बयान के बाद जोर पकड़ा है. बीजेपी को हराने के लिए एकजुट होकर चुनाव लड़ने के ओवैसी के प्रस्ताव पर सकारात्मक संकेत देते हुए शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने कहा कि पार्टी में इस संबंध में यदि कोई प्रस्ताव आया होगा तो चर्चा होगी.
ओवैसी के साथ गठबंधन पर दिया ये संकेत
संजय राउत ने कहा कि वैसे तो देशभर में प्रादेशिक क्षेत्रीय पार्टियों के भरोसे ही सरकार चल रही हैं. अगर चंद्र बाबू नायडू नहीं होते तो मोदी जी तीसरी बार प्रधानमंत्री नहीं बन सकते थे. इसी तरह इंडी गठबंधन का लोकसभा में 240 का आंकड़ा भी क्षेत्रीय पार्टियों के दम पर ही आया है. ऐसे में आपको रीजनल पार्टी को महत्व देना ही पड़ेगा.
शिवसेना (उद्धव गुट) ने कर दिया बड़ा संकेत
सूत्रों के मुताबिक संजय राउत ने इस बयान के जरिए अपनी पार्टी की बदलती चाहत और रणनीति दोनों के बारे में इशारा कर दिया है. किसी जमाने में हार्डकोर हिंदुत्व की पहचान रही शिवसेना अब दो टुकड़ों में बंट चुकी है. एक हिस्से की अगुवाई सीएम एकनाथ शिंदे कर रहे हैं तो दूसरे का नेतृत्व उद्धव ठाकरे के पास है.
उद्धव गुट के सामने बड़ा संकट
एकनाथ शिंदे जहां बीजेपी के साथ सरकार चलाते हुए हिंदुत्व के एजेंडे को लगातार बढ़ा रहे हैं. वहीं उद्धव ठाकरे की शिवसेना इस रेस में पिछड़ती नजर आ रही है. ऐसे में गैप की भरपाई के लिए वह अब मुस्लिम वोटों की ओर लालच भरी निगाह से देख रही है. लेकिन दिक्कत ये है कि अब तक जिन्हें गालियां देकर वह बीजेपी के साथ मिलकर सत्ता हासिल करती आई थी, अब उन्हीं से वोट मांगने किस मुंह से जाए.
क्या ओवैसी के साथ करेंगे दोस्ती?
ऐसे में शिवसेना (उद्धव गुट) को ओवैसी एक मसीहा की तरह नजर आ रहे हैं. पार्टी को लग रहा है कि मुसलमानों में ओवैसी की लोकप्रियता का फायदा उठाकर वह राज्य में अपना जनाधार बढ़ा सकती है. साथ ही फिर से सीएम बनने की उद्धव ठाकरे की इच्छा भी पूरी हो सकती है. इसी रणनीति के तहत वह महाविकास आघाड़ी गठबंधन में ओवैसी को भी शामिल करवाने के प्रयास में है.
कांग्रेस और एनसीपी हैं असहज
हालांकि कांग्रेस और एनसीपी (शरद गुट) इस गठबंधन में ओवैसी की एंट्री को लेकर असहजह हैं. इन दोनों दलों को लगता है कि ओवैसी के आने से राज्य में AIMIM की हैसियत बढ़ जाएगी और लोग उसे प्रमुख राजनीतिक पार्टी मानने लगेंगे. दूसरा बड़ा खतरा ये है कि इन दोनों पार्टियों का जमा- जमाया मुस्लिम वोट बैंक कहीं खिसककर हमेशा के लिए ओवैसी के पीछे लामबंद न हो जाए.
गठबंधन को लेकर ओवैसी खुश!
ऐसे में देखना होगा कि ओवैसी को लेकर गठबंधन क्या फैसला करता है. राजनीतिक सूत्रों का मानना है कि अगर महाविकास आघाड़ी गठबंधन में ओवैसी को एंट्री नहीं मिली तो उद्धव गुट अपने हिस्से में आने वाली सीटों में से कुछ ओवैसी को देकर समझौता कर सकता है. ओवैसी भी इस संभावना को लेकर खुश हैं क्योंकि ऐसा होने से उन पर बीजेपी की बी टीम होने का ठप्पा हट जाएगा. फिलहाल राज्य में क्या होगा, देखने लायक होगा लेकिन राजनीति का दंगल सजने लगा है.
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