आपके पक्ष में फैसला तो सुप्रीम कोर्ट अद्भुत संस्था, खिलाफ आए तो हम बदनाम, SC को लेकर CJI ने क्यों कही ये बात

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जब कोई टिप्पणी करते हैं तो उसका संदर्भ काफी महत्वपूर्ण होता है। लोकहित के मुद्दे से लेकर सरकार के खिलाफ उनकी टिप्पणियों को लोग काफी गंभीरता से लेते हैं। सीजेआई के रूप में जब वह सरकार पर सवा

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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जब कोई टिप्पणी करते हैं तो उसका संदर्भ काफी महत्वपूर्ण होता है। लोकहित के मुद्दे से लेकर सरकार के खिलाफ उनकी टिप्पणियों को लोग काफी गंभीरता से लेते हैं। सीजेआई के रूप में जब वह सरकार पर सवाल उठाते हैं तो उसके पीछे ठोस तर्क के साथ ही जनसरोकार का भाव भी साफ दिखता है।
ऐसे में अगर सीजेआई सुप्रीम कोर्ट के संदर्भ में संसद में विपक्ष की भूमिका के साथ ही कोर्ट के फैसलों की व्याख्या के लेकर टिप्पणी करते हैं तो उसका मतलब भी बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। वह भी ऐसे समय में जब कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट पर सरकार के दबाव की बात भी उठती है। सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष भी सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के लेकर अपने हिसाब से प्रतिक्रिया से लेकर टिप्पणी करते हैं।

मुझे लगता है, विशेष रूप से आज के समय में, उन लोगों के बीच एक बड़ा विभाजन है जो सोचते हैं कि जब आप उनके पक्ष में निर्णय देते हैं तो सुप्रीम कोर्ट एक अद्भुत संस्था है, और जब आप उनके खिलाफ निर्णय देते हैं तो यह एक ऐसी संस्था है जो बदनाम है।
डीवाई चंद्रचूड़, सीजेआई, संबोधन के दौरान


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विपक्ष की भूमिका नहीं निभा सकते

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि अब, जनता की अदालत होने का मतलब यह नहीं है कि हम संसद में विपक्ष की भूमिका निभाएं। चीफ जस्टिस ने कहा कि मुझे लगता है, विशेष रूप से आज के समय में, उन लोगों के बीच एक बड़ा विभाजन है जो सोचते हैं कि जब आप उनके पक्ष में निर्णय देते हैं तो सुप्रीम कोर्ट एक अद्भुत संस्था है, और जब आप उनके खिलाफ निर्णय देते हैं तो यह एक ऐसी संस्था है जो बदनाम है।

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फैसले के आधार पर नहीं देख सकते

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि मुझे लगता है कि यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है क्योंकि आप परिणामों के परिप्रेक्ष्य से शीर्ष न्यायालय की भूमिका या उसके काम को नहीं देख सकते हैं। व्यक्तिगत मामलों का नतीजा आपके पक्ष में या आपके खिलाफ हो सकता है। जजों को मामला-दर-मामला आधार पर स्वतंत्रता की भावना के साथ निर्णय लेने का अधिकार है।

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जनता की अदालत की भूमिका

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ दक्षिण गोवा में सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) के आयोजित पहले सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। अपने संबोधन में सीजेआई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की जनता की अदालत वाली भूमिका संरक्षित रखी जानी चाहिए लेकिन इसका अभिप्राय यह नहीं है कि वह संसद में विपक्ष की भूमिका निभाए। उन्होंने कहा कि कानूनी सिद्धांत की असंगतता या त्रुटि के लिए अदालत की आलोचना करना उचित है, लेकिन परिणामों के परिप्रेक्ष्य से उसकी भूमिका या कार्य को नहीं देखा जा सकता।

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सुप्रीम कोर्ट की न्याय तक पहुंच का प्रतिमान पिछले 75 वर्षों में विकसित हुआ है और कुछ ऐसा है जिसे हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब समाज बढ़ता है समृद्ध और संपन्न होता है, तो ऐसी धारणा बनती है कि आपको केवल बड़ी-बड़ी चीजों पर ही ध्यान देना चाहिए। हमारा कोर्ट ऐसा नहीं है। हमारा कोर्ट जनता की अदालत है और मुझे लगता है कि लोगों की अदालत के रूप में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को भविष्य के लिए संरक्षित रखा जाना चाहिए।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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