Opinion- जो आतंकी खुलेआम भारत को देता रहा है धमकी, उसके लिए इस हद तक जा रहा अमेरिका! ये दोस्ती नहीं दोगलापन है

नई दिल्ली: अमेरिका खुद को भारत का दोस्त कहता है, लेकिन उसकी नीति हमेशा दोगली रही है। भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले आरोपियों को अमेरिका अपने यहां पनाह देता है। ऐक्शन तो दूर की बात उनके प्रत्यर्पण के लिए तक राजी नहीं होता। ये कहने में कोई झिझक नहीं

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नई दिल्ली: अमेरिका खुद को भारत का दोस्त कहता है, लेकिन उसकी नीति हमेशा दोगली रही है। भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले आरोपियों को अमेरिका अपने यहां पनाह देता है। ऐक्शन तो दूर की बात उनके प्रत्यर्पण के लिए तक राजी नहीं होता। ये कहने में कोई झिझक नहीं है कि अमेरिका के खाने के दांत अलग और दिखाने के अलग हैं। वो भले ही कितना भी दोस्ती का राग अलापता रहे, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है। भारत को खुलेआम धमकी देने वाला खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू अमेरिका का नागरिक है, उसके खिलाफ ऐक्शन तो दूर की बात उल्टा अमेरिका भारतीय एजेंसियों पर पन्नू की हत्या की साजिश करने का आरोप लगा चुका है।

क्या है हालिया मामला?

अमेरिका ने एक पूर्व भारतीय अधिकारी विकास यादव पर, अमेरिकी धरती पर खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया है। यादव भारत सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय में काम कर चुके हैं। अमेरिका ने आरोप लगाया कि विकास यादव, निखिल गुप्ता के सह-साजिशकर्ता थे, जिन पर पहले भी आरोप लगाए जा चुके हैं। आरोप सिद्ध होने पर साजिश के लिए 10 साल और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए 20 साल की जेल हो सकती है। वहीं भारत ने कहा है कि अमेरिका ने जिस पर आरोप लगाए हैं वो भारत सरकार का कर्मचारी नहीं है। पिछले साल नवंबर में, भारत ने अमेरिकी सरकार द्वारा उठाई गई सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया था।

भारत के दुश्मनों के लिए पसीजता है अमेरिका का कलेजा?

खुद को सुपर पावर और आतंकवाद विरोधी बताने वाले अमेरिका का कलेजा अक्सर भारत के दुश्मनों के लिए क्यों पसीज जाता है? खालिस्तानी आतंकी पन्नू आए दिन भारत के खिलाफ जहर उगलता रहता है, लेकिन अमेरिका का प्रेम उसके लिए कम नहीं होता। अमेरिकी सरकार उसे संरक्षण देती है। अमेरिका का ये रवैया पहली बार नहीं है। निज्जर मामले में भी अमेरिका की चुप्पी उसकी कूटनीति पर सवाल खड़े करती है। पन्नू भारत के मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों की लिस्ट में हैं। अमेरिका को ये दिख जाता है कि कोई उनके देश की जमीन पर उसके नागरिक की हत्या की साजिश रच रहा है। लेकिन वो ये नहीं देख पाता कि कैसे अमेरिकी जमीन से भारत के खिलाफ आतंकी साजिशों को रचा जा रहा है।

आतंकी पन्नू मे हाल ही में भारत को "बाल्कनाइज" करने की धमकी दी, जिसमें देश के टुकड़े-टुकड़े करने की साजिश का इशारा था। इससे पहले उसने खुलेआम वीडियो जारी करके एयर इंडिया का विमान उड़ाने की धमकी दी। पन्नू ने हमास की तरह भारत पर हमले की धमकी दी थी।

अमेरिका के पास 61 प्रत्यर्पण की रिक्वेस्ट पेंडिंग

अमेरिका के दोगलेपन का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने अभी तक 26/11 के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण नहीं किया है। अमेरिका की अदालत ने आतंकी के प्रत्यर्पण की इजाजत दे दी है, इसके बाद भी अभी तक उसे नहीं भेजा गया। आपको जानकर हैरानी होगी कि अमेरिका के पास प्रत्यर्पण की 61 रिक्वेस्ट पेंडिंग है। भारत को दोस्त बताने वाला अमेरिका इन प्रत्यर्पण पर ऐक्शन नहीं ले रहा है। इसके बाद भी वो खुद को भारत का स्ट्रैटेजिक पार्टनर बताता है।

भारत के आंतरिक मामलों में भी देता है दखल

ऐसा नहीं है कि अमेरिका केवल कूटनीतिक या अंतरराष्ट्रीय मुद्दों में ही ये रवैया दिखाता हो। उसकी आदत भारत के आंतरिक मामलों में भी दखल देने की है। अमेरिका की हिपोक्रेसी देखिए, वो कहता है कि भारत में लोकतंत्र सुरक्षित नहीं हैं अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं असहिष्णुता बढ़ गई हैं। लेकिन वो अपने गिरेबान में झांककर नहीं देखता। हाल ही में अमेरिका के प्रमुख विपक्षी नेता डोनाल्ड ट्रंप पर हमला हुआ, उन्हें गोली मारी गई। वहां आए दिन गोलीबारी की घटनाएं सामने आती रहती हैं। आम आदमी तो छोड़िए वहां विपक्ष के नेता तक सुरक्षित नहीं है। लेकिन मजाल है इस मसले पर वो कुछ बोले। हमारे यहां कही जाने वाली कहावत अमेरिका पर बिल्कुल सटीक बैठती है "पर उपदेश कुशल बहुतेरे"।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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