हरियाणा में कांग्रेस की हार के बाद क्यों निशाने पर हैं केसी वेणुगोपाल? कौन हो सकता है उत्तराधिकारी

चंडीगढ़: हरियाणा में हैट्रिक लगाने पर बीजेपी जहां इसे भुनाने की कोशिश में जुटी है। कांग्रेस के खेमे मायूसी पसरी है। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस में जहां कुमारी सैलजा के समर्थकों ने भूपेंद्र हुड्‌डा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है तो वहीं दूसरी हरियाणा के

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चंडीगढ़: हरियाणा में हैट्रिक लगाने पर बीजेपी जहां इसे भुनाने की कोशिश में जुटी है। कांग्रेस के खेमे मायूसी पसरी है। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस में जहां कुमारी सैलजा के समर्थकों ने भूपेंद्र हुड्‌डा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है तो वहीं दूसरी हरियाणा के हार की आंच कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव संगठन के सी वेणुगोपाल तक पहुंच रही है। राजनीतिक हलकों में आई टिप्पणियों में वेणुगोपाल की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं। यह भी मांग हो रही है अब नॉर्थ से आने वाले किसी नेता को संगठन की कमान दी जानी चाहिए। केसी वेणुगोपाल को जनवरी, 2019 में संगठन महासचिव बनाया गया था। पिछले लोकसभा चुनावों में वह आलप्पुझा से लड़े थे। वह वर्तमान में केरल से सांसद हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव संगठन के लिए सचिन पायलट का नाम लिया जा रहा है। हरियाणा की हार से कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी परेशान हैं उन्होंने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा है कि नेताओं ने अपने निजी हित को ऊपर रखा। जम्मू कश्मीर में भी कांग्रेस का स्ट्राइक रेट सिर्फ 16 प्रतिशत रहा है। उसे छह सीटें मिली हैं।

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बीच में बीमार पड़े बाबरिया
हरियाणा में अच्छी जीत की अच्छी संभावनाओं को देखते कांग्रेस पार्टी ने गुजरात से आने वाले राष्ट्रीय महासचिव दीपक बाबरिया को राज्य का प्रभारी बनाया था, लेकिन पार्टी इसके बाद भी हरियाणा जैसे छोटे राज्य को लगातार तीसरी बार हारी है। यह तब हुआ है जब कांग्रेस के दो महासचिव इसी राज्य से हैं। इनमें रणदीप सुरजेवाला और कुमारी सैलजा का नाम शामिल है। राजनीतिक हलकों में सुरजेवाला की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। एक सूत्र ने बताया कि वह कर्नाटक के इंचार्ज जरूर हैं लेकिन लंबे समय से वहां का दाैरा नहीं किया है। वह काफी समय से अपने बेटे आदित्य सुरजेवाला को जिताने के लिए कैथल में डेरा डाले हुए हैं।




क्या कर रहे थे वेणुगोपाल?
हरियाणा से आने वाले दो महासचिवों के साथ दीपक बाबरिया और दिल्ली से सटे होने के कारण इस राज्य पर केंद्रीय नेतृत्व का पूरा फोकस था लेकिन फिर भी कांग्रेस न सिर्फ हारी बल्कि उसने वापसी का बड़ा मौका गंवा दिया। दीपक बाबरिया टिकट वितरण के दौरान अस्वस्थ्य हो गए थे। इसके बाद से उनका हेल्थ अपडेट सामने नहीं आया है। हरियाणा में कांग्रेस की हार के बाद यह भी सामने आया है कि राज्य में पिछले 12 सालों से कोई संगठन नहीं है। भूपिंदर हुड्‌डा के लंबे समय तक मीडिया एडवाइजर रहे संपल लाल ने फेसबुक पोस्ट में इसका उल्लेख किया है। ऐसे में सवाल केसी वेणुगोपाल के ऊपर खड़ा हो रहा है कि आखिर वे क्या कर रहे थे? कांग्रेस के संगठन में सक्रिय एक पदाधिकारी ने कहा कि हरियाणा में हार सिर्फ प्रदेश नेतृत्व नहीं बल्कि केंद्रीय नेतृत्व भी जिम्मेदार है। सूत्र ने कहा कि जब सैलजा के लोगों को टिकट नहीं दिए तब केंद्रीय नेतृत्व कहा था? आखिर कोई नेता अपने साथियों को कैसे उत्साहित रखेगा? नेता ने यह भी कहा कि कांग्रेस 90 सीटों तो जीतने जा नहीं रही थी अगर उनके लोगों को टिकट मिलते तो नाराजगी ही नहीं होती।


अभी तक किसी का इस्तीफा नहीं
हरियाणा में कांग्रेस की हार पर अभी तक किसी ने भी अपने इस्तीफे की पेशकश नहीं की है। राज्य ईकाई के प्रमुख उदय भान खुद होडल से हार गए हैं। सैलजा चुनाव नतीजों के बाद हमलावर हैं, तो वहीं दूसरी सुरजेवाला की कोई विस्तृत टिप्प्णी सामने नहीं आई है। राजनीतिक हलकों में राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट को संगठन की जिम्मेदारी दिए जाने की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी (AICC) में दो सर्वाधिक पॉवरफुल पोस्ट मानी जाती हैं। इनमें राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) और राष्ट्रीय महासचिव (मीडिया) शामिल हैं। लोकसभा चुनावों के बाद संगठन में फेरबदल की चर्चाएं सामने आई थीं लेकिन बदलाव नहीं हो पाया था।


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केरल में हो सकते हैं सक्रिय
तब यह जानकारी सामने आई थी कि केसी वेणुगोपाल केरल में सक्रिय होना चाहते हैं। केरल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में कांग्रेस के पास वहां पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए करीब एक साल से कुछ अधिक वक्त है। उस वक्त पर वेणुगोपाल के विकल्प के तौर पर अशोक गहलोत का नाम चर्चा में आया था, लेकिन इस बार हरियाणा में हार के बाद कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने सीधे तौर पर वेणुगोपाल की ताैर-तरीकों पर सवाल खड़े किए हैं। लोकसभा चुनावों से पहले जब संजय निरुपम ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था तब उन्होंने खुलकर केसी वेणुगोपाल पर निशाना साधा था। यह भी दावा किय जा रहा है हरियाणा में केसी वेणगोपाल के वीटो जिन्हें टिकट दिया था, वे बुरी तरह हारे हैं। अब देखना है महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस किस तरह की सर्जरी संगठन में करती है या फिर मौजूदा टीम के साथ ही मैदान में उतरती है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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