बजरंग पूनिया का बलिदान, अखाड़े के दांव-पेच और महत्वाकांक्षा, विनेश ने आपदा को यूं अवसर में बदला

नई दिल्ली: पूर्व पहलवान विनेश फोगाट 8 अक्टूबर को हरियाणा में विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बन गई हैं। कुछ दिनों पहले पेरिस में ओलंपिक के दौरान जो हुआ उससे भारतीय खेल जगत न केवल शर्मिंदा था, बल्कि अगले 100 सालों तक ठगा हुआ महसूस करेगा। अखाड़े में द

4 1 8
Read Time5 Minute, 17 Second

नई दिल्ली: पूर्व पहलवान विनेश फोगाट 8 अक्टूबर को हरियाणा में विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बन गई हैं। कुछ दिनों पहले पेरिस में ओलंपिक के दौरान जो हुआ उससे भारतीय खेल जगत न केवल शर्मिंदा था, बल्कि अगले 100 सालों तक ठगा हुआ महसूस करेगा। अखाड़े में दांव-पेच सीखकर अपनी महत्वाकांक्षा के दम पर राजनीतिक सीढ़ियां सफलता से चढ़ने वाली विनेश फोगाट राजनीति में कितना सफल रहेंगी यह तो समय बताएगा, लेकिन उन्होंने आपदा को जिस तरह से पॉलिटिकल अवसर में बदला वह बहुत अधिक हैरान करने वाला नहीं रहा।

विनेश फोगाट का राजनीति में एंट्री का प्लान क्या रेसलिंग प्रोटेस्ट में बना?

विनेश फोगाट का राजनीति में एंट्री का प्लान क्या रेसलिंग प्रोटेस्ट में बना?

यह हालांकि कहना गलत होगा कि पेरिस से लौटने के बाद उनके राजनीतिक करियर का आगाज हुआ। यह भी कहना गलत होगा कि उन्होंने राजनीति की परिभाषा रेसलिंग प्रोटेस्ट के दौरान हरियाणा में सीएम के दावेदार दीपेंद्र हुड्डा, दिल्ली के तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल या प्रियंका गांधी से जंतर-मंतर में मुलाकात से सीखी। यह भी कहना गलत होगा कि हरियाणा चुनाव उन्होंने अपने दम पर जीता। यह कहना भी गलत होगा कि विनेश सिर्फ रेसलिंग प्रोटेस्ट की वजह से राजनीति में आईं हैं।

विनेश जानती हैं राजनीति के फायदे-नुकसान, फोगाट फैमिली से होना ही बड़ी ताकत

विनेश जानती हैं राजनीति के फायदे-नुकसान, फोगाट फैमिली से होना ही बड़ी ताकत

दरअसल, विनेश फोगाट हरियाणा की उस फैमिली से आती हैं, जिसका मान-सम्मान पूरी दुनिया के लोग करते हैं। गीता-बबीता ने रेसलिंग की दुनिया में वो कर दिखाया, जिसकी भारत और खासतौर पर हरियाणा में किसी बेटी से उम्मीद कम ही होती थी। उनके बड़े पिता महावीर फोगाट का बड़ा नाम हैं। उन्होंने खाप पंचायतों की नाक के नीचे बेटियों को रेसलर बनाया। समाज के ताने सहे, लेकिन डटे रहे। पहलवान बनने वाली फोगाट फैमिली की बेटियों में विनेश भी एक हैं। यही वजह है कि महावीर को हरियाणा के दबंग राजनीतिक परिवारें सलाम ठोकती हैं। सम्मान देती हैं। विनेश की चचेरी बहन बबीता फोगाट बीजेपी में हैं। विनेश राजनीति को समझती हैं। उसके फायदे और नुकसान भी।

बृजभूषण शरण सिंह, रेसलिंग प्रोटेस्ट और विनेश फोगाट का उदय

बृजभूषण शरण सिंह, रेसलिंग प्रोटेस्ट और विनेश फोगाट का उदय

यह तो रही उनके परिवार की बात। अब बात करते हैं पॉलिटिकल प्लेटफार्म की। एक वक्त था जब पूरे देश की कुश्ती पर हरियाणा का एकतरफा राज होता था। एक से बढ़कर एक बड़े पहलवान भी निकले, लेकिन बीजेपी नेता बृजभूषण शरण सिंह की फेडरेशन के अध्यक्ष के तौर पर एंट्री के बाद से माहौल बदल गया। पूरे देश से पहलवान निकलने लगे। खासतौर पर उत्तर प्रदेश के पश्चिमी बेल्ट ने हरियाणा को जबरदस्त टक्कर दी। बृजभूषण सिंह हमेशा से यह आरोप लगाते रहे कि कुश्ती की ताकत हरियाणा से बाहर जाना कुछ खास लोगों को पसंद नहीं आया।

क्या वाकई पहलवान राजनीति नहीं करते हैं...?

क्या वाकई पहलवान राजनीति नहीं करते हैं...?

वैसे तो हर कोई यह कहता है कि खेल में राजनीति और दबंगई के लिए स्थान नहीं है, लेकिन रेसलिंग के साथ ऐसा नहीं है। दो बार के ओलंपिक मेडल विजेता सुशील कुमार जूनियर पहलवान की हत्या के मामले में जेल में हैं तो उन पर तमाम संगीन आरोप भी हैं। इसके अलावा बनारस के पहलवान नरसिंह यादव का डोप वाला मामला कैसे भुलाया जा सकता है। दावा किया जाता है कि नरसिंह के आने से सुशील का करियर खत्म होने को था। रियो ओलंपिक से पहले नरसिंह यादव डोप पॉजिटिव पाए जाते हैं, जबकि दावा किया जाता है कि सुशील कुमार के लिए उनके खिलाफ सोनीपत की रसोई में साजिश रची गई। हालांकि, सच्चाई क्या है इसका पता नहीं चला। यही वजह है कि नेशनल कैंप बाद में हरियाणा और दिल्ली से बाहर चले गए।

क्या जंतर-मंतर की क्रांति के पीछे छिपे हैं गहरे राज?

क्या जंतर-मंतर की क्रांति के पीछे छिपे हैं गहरे राज?

खैर, इस कहानी का सार इतना ही है कि ऐसा नहीं है कि पहलवान परोक्ष रूप से ही राजनीति करते हैं। वे सिर्फ अखाड़े तक सीमित नहीं हैं, बल्कि परदे के पीछे बहुत कुछ चलता है। इसका उदाहरण उस वक्त देखने को मिला जब बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जंतर-मंतर पर रेसलर्स प्रोटेस्ट कर रहे थे। विनेश फोगाट और उनके जीजा यानी बजरंग पूनिया फ्रंट लाइनर थे, जबकि साक्षी मलिक के विचारों में कई बार बदलाव देखने को मिला। एक तबका तो यहां तक कहता रहा कि वे इस लिए कथित क्रांति कर रहे हैं ताकी उन्हें किसी भी इंटरनेशनल टूर्नामेंट के लिए ट्रायल नहीं देना पड़े।

'किसान, पहलवान और जवान'... क्या कांग्रेस ने विनेश का इस्तेमाल किया?

किसान, पहलवान और जवान... क्या कांग्रेस ने विनेश का इस्तेमाल किया?

प्रोटेस्ट के दौरान विनेश और बजरंग हमेशा इस बात से इनकार करते रहे कि यह पॉलिटिकल नहीं है, लेकिन उनके मंच पर हमेशा राजनीतिक हस्तियां दिखती रहीं। किसान नेता टिकैत से लेकर अरविंद केजरीवाल तक दिखे। हुड्डा नजर आए तो प्रियंका गांधी ने भी मुलाकात की। इस तरह से हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए जीत की उम्मीद की किरण के तौर पर 'किसान, पहलवान और जवान' नारे के लिए प्लेटफार्म तैयार किया। हालांकि, ये अलग बात है कि इसका फायदा बहुत नहीं हुआ।

देश को विनेश से चाहिए था ओलंपिक गोल्ड मेडल

देश को विनेश से चाहिए था ओलंपिक गोल्ड मेडल

पेरिस ओलंपिक में वजन की वजह से जब विनेश अयोग्य हुईं तो उस मामले में भी खूब राजनीति चमकी। इसमें कोई शक नहीं कि विनेश की जगह कोई और होता तो टूटकर बिखर जाता। वह रोईं, लेकिन उस इस मुश्किल परिस्थिति को भी उन्होंने खूब संभाला। पेरिस से पहले तोक्यो ओलंपिक में खेल गांव में रहने और टीम के साथ ट्रेनिंग से मना करने वाली विनेश के साथ जर्सी विवाद भी हुआ था। पेरिस में जब वह फाइनल में पहुंचीं तो लगा पिछले सारे विवाद भूलने का वक्त है, लेकिन वह बढ़े वजन की वजह से अयोग्य हो गईं। इसके बाद वह स्वदेश लौटीं तो किसी हीरो की तरह स्वागत किया गया। हालांकि, देश का एक बड़ा हिस्सा ठगा हुआ महसूस कर रहा था।

राजनीति महत्वाकांक्षा में हर रिश्ते तोड़ दिए, फिर भी मिला आशीर्वाद

राजनीति महत्वाकांक्षा में हर रिश्ते तोड़ दिए, फिर भी मिला आशीर्वाद

लंबी-लंबी रैलियां निकाली गई तो उन्होंने अपने राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस जॉइन करने में देरी नहीं की। हालांकि, उनके इस फैसले से उनके बड़े पिता और गुरु महावीर खुश नहीं थे। वह भतीजी से उस ओलंपिक मेडल की उम्मीद कर रहे थे, जो गीता-बबीता नहीं ले आ पाई थीं। बावजूद इसके बीजेपी से जुड़ी फोगाट फैमिली ने जरूर चाहा होगा कि विनेश हर हाल में चुनाव जीत जाएं, क्योंकि अखाड़ा चाहे कुश्ती का हो या राजनीति का, बात यहां फैमिली के सम्मान की थी। एक गुरु अपनी पहलवान को भला हारते हुए कैसे देख सकता है। इस तरह से विनेश ने पेरिस में अयोग्यता के आपदा को राजनीति महत्वाकांक्षा के तहत अवसर में बदलने में कामयाबी हासिल की। बीजेपी नेता और चचेरी बहन बबीता फोगाट को यह कहने से गुरेज नहीं है।

'अन्ना हजारे' बजरंग पूनिया का करियर तबाह हुआ?

अन्ना हजारे बजरंग पूनिया का करियर तबाह हुआ?

यह तो विनेश की महत्वाकांक्षा और राजनीति अवसर की बात। इस पूरे मामले में विनेश फोगाट के अन्ना हजारे रहे बजरंग पूनिया, जो गीता-बबीता के सगे बहनोई हैं। संगीता फोगाट के पति बजरंग ने अपनी चचेरी साली का खूब सहयोग किया। चाहे प्रचार-प्रसार हो या सोशल मीडिया की जंग, हर जगह इस पहलवान ने हर दांव बड़ी सफलता से लगाने का काम किया। रिपोर्ट थी कि वह खुद भी अपने गुरु योगेश्वर दत्त के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे, लेकिन उन्होंने अन्ना हजारे बनने का ही फैसला किया। अब यहां एक और बात यह है कि पूरे मामले में फ्रंट लाइनर रहे बजरंग पूनिया का रेसलिंग करियर लगभग तबाह हो चुका है, जबकि उनका बलिदान विनेश कितना याद रखेंगी यह तो समय ही बताएगा।

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

प्रतापगढ़ के CO जिया-उल-हक हत्याकांड में सभी 10 दोषियों को उम्रकैद, पीट-पीटकर किया गया था मर्डर

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now