डिजिटल अरेस्ट क्या होता है? पुलिस नहीं ले जाती थाने; फोन से क्रिमिनल करते सारा खेल

How cyber criminals tapping fears: डिजिटल अरेस्ट (Digital arrests) के बढ़ते मामलों ने शरीफ लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. हाल ही में आगरा की एक शिक्षिका को डिजिटल अरेस्ट किया गया तो वह सदमा न सह पाईं और मर गईं. इस केस में पीड़िता का सिर्फ आर्थिक

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How cyber criminals tapping fears: डिजिटल अरेस्ट (Digital arrests) के बढ़ते मामलों ने शरीफ लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. हाल ही में आगरा की एक शिक्षिका को डिजिटल अरेस्ट किया गया तो वह सदमा न सह पाईं और मर गईं. इस केस में पीड़िता का सिर्फ आर्थिक नुकसान ही नहीं हुआ था बल्कि उसकी जान भी चली गई. इस केस ने पूरे देश का ध्यान इस अपराध की ओर खीचा. इसके चंद घंटे बाद देश के दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश के इंदौर में एक इंस्टीट्यूट में एटोमिक एनर्जी विभाग के वैज्ञानिक को डिजिटल अरेस्ट कर 71 लाख का चूना लगाया गया है.

दिजिटल अरेस्ट क्या है?

पिछले 72 घंटों में आगरा और इंदौर के मामलों की बात करें या पहले सामने आ चुके ऐसी दर्जनों घटनाओं की हर केस में बस एक चीज कॉमन थी. वो था 'डर का मनोविज्ञान'. इसे आप अपराध का वो तरीका कह सकते हैं, जिसमें पुलिस किसी को थाने नहीं ले जाती, बल्कि साइबर क्रिमिनल्स आपके फोन के जरिए आपका मानसिक उत्पीड़न करेक आर्थिक चोट पहुंचाते हैं.

आगरा में शिक्षिका को यह कहकर डिजिटल अरेस्ट करने की कोशिश की गई कि उनकी बेटी सेक्‍स रैकेट में फंस गई है. यह सुनकर एक मां दहशत में आ गई और उसकी मौत हो गई. डिजिटल गिरफ्तारी साइबर धोखाधड़ी का एक नया तरीका है जिसमें फ्रॉड ऑडियो या वीडियो कॉल करता है. वह खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी के रूप में दिखाते हुए पीड़ित को उनके घरों तक सीमित कर देता है. इस दौरान ठगी का शिकार किए व्यक्ति को घंटो बिठाकर रखा जाता है. अपराधी सैकड़ों किलोमीटर दूर से आपको नुकसान पहुंचा देता है.

एक साल में ही 30 हजार करोड़ की ठगी

ये कितना खतरनाक जाल है उसे आंकड़ों से समझिए. बीते दस साल में 65000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. जिसमें चार लाख करोड़ से ज्यादा की ठगी की जा चुकी है...अकेले 2023 में ही 30,000 करोड़ रुपये की ठगी हो चुकी है. मेरठ से लेकर मॉरीसस तक लोग इस तरह ठगे जा रहे हैं.

1 अक्टूबर: देहरादून में डिजिटल अरेस्ट कर 43 लाख की ठगी

एक अक्टूबर को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एसटीएफ ने डिजिटल अरेस्टिंग करने के मामले का खुलासा किया था. हरिद्वार निवासी पीड़ित को 5 घंटे तक डिजिटल अरेस्टिंग करके रखा गया और इस तरह से 43 लाख रुपए की ठगी की गई. मुंबई से ईरान कोरियर भेजने के नाम पर ठगी की गई करियर में कई प्रतिबंध दवा भेजने को लेकर ठगी का काम किया गया.

23 सितंबर : उज्जैन में रिटायर्ड अफसर को आया कॉल, पोर्न का डर बताकर लिए ढाई करोड़

25 जुलाई : नोएडा में पॉर्न वीडियो स्कैम में महिला डॉक्टर से 60 लाख की ठगी, 20 घंटे किया डिजिटल अरेस्ट

3 मार्च: साइबर ठगों ने नोएडा की महिला इंजीनियर को किया 7 घंटे डिजिटल अरेस्ट

डिजिटल अरेस्टिंग से बचने के टिप्स

तो सावधान रहिए, सतर्क रहिए क्योंकि कोने कोने में आपकी संपत्ति गाढ़ी कमाई को हड़पने की साजिश रचने वाले जालसाज तैयार बैठे हैं. डिजिटल अरेस्ट या डिजिटल हाउस अरेस्ट से कैसे बचें.उसे ध्यान से समझिए. डिजिटल 'धोखेबाज़' आपको फोन करेंगे. फिर वे आपकी गलती बताएंगे. इसके बाद वे आपको डिजिटल अरेस्ट करने की जानकारी देंगे. ऐसा होने पर तुरंत पुलिस से तुरंत मदद लें और बताया गया ऐप डाउनलोड न करें. फोन को तुरंत फॉर्मेट कर दें. कोई गुप्त या निजी जानकारी कतई न दें.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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