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नई दिल्ली: मंगलयान और चंद्रयान की सफलता के बाद अब इसरो नए मिशन वीनस ऑर्बिटर मिशन (Venus Orbiter Mission) की तैयारी में जुट गया है। जिसे मिशन शुक्रयान का नाम दिया गया है। मोदी कैबिनेट ने मिशन शुक्रयान को मंजूरी दे दी है। जिसके बाद इसरो पृथ्वी के नजदीक ग्रह शुक्र के बारे में अध्ययन करेगा। बता दें कि इस मिशन के लिए एक खास तौर का अंतरिक्षय यान तैयार किया जाएगा।क्या है ये इसरो का मिशन शुक्रयान
चंद्रयान की तरह इसरो का ये मिशन भी काफी खास रहने वाला है। इस मिशन के जरिए इसरो शुक्र गृह को समझने की कोशिश करेगा। शुक्र ग्रह के अध्ययन के लिए इसरो एक खास अंतरिक्ष यान को स्पेस में भेजेगा, जो शुक्र ग्रह के चारों तरफ चक्कर लगाएगा। चक्कर लगाने के दौरान वो उस ग्रह के सतह, उप-सतह, वायुमंडल, सूरज की जानकारी इसरो तक भेजेगा।
मिशन शुक्रयान का बजट कितना है?
इसरो को इस मिशन के लिए सरकार की तरफ से 1,236 करोड़ रुपये मिले। जिसमें से 824 करोड़ रुपयों को इसरो अंतरिक्ष यान पर ही खर्च करने वाला है। बता दें कि इसरो ने इस मिशन की तैयारी करनी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि इसरो इस मिशन को मार्च 2028 में लॉन्च कर सकता है।
शुक्र ग्रह का अध्ययन क्यों बन गया जरूरी
इसरो शुक्र ग्रह का अध्ययन इसलिए भी करना चाहता है क्योंकि ये ग्रह पृथ्वी के सबसे पास है। माना जाता है कि शुक्र ग्रह पर पहले जीवन था और ये बिल्कुल पृथ्वी जैसा ही था, वैज्ञानिकों का कहना है कि पहले वहां पर जलवायु धरती की तरह था। हालांकि अब शुक्र ग्रह रहने लायक नहीं है। इस वक्त उस ग्रह का तापमान 475 डिग्री सेल्सियस है, जो शीशे को भी पिघला सकता है। इसके साथ ही वहां का वातावरण भी जहरीला हो गया है।
क्या है ये इसरो का मिशन शुक्रयान
चंद्रयान की तरह इसरो का ये मिशन भी काफी खास रहने वाला है। इस मिशन के जरिए इसरो शुक्र गृह को समझने की कोशिश करेगा। शुक्र ग्रह के अध्ययन के लिए इसरो एक खास अंतरिक्ष यान को स्पेस में भेजेगा, जो शुक्र ग्रह के चारों तरफ चक्कर लगाएगा। चक्कर लगाने के दौरान वो उस ग्रह के सतह, उप-सतह, वायुमंडल, सूरज की जानकारी इसरो तक भेजेगा।मिशन शुक्रयान का बजट कितना है?
इसरो को इस मिशन के लिए सरकार की तरफ से 1,236 करोड़ रुपये मिले। जिसमें से 824 करोड़ रुपयों को इसरो अंतरिक्ष यान पर ही खर्च करने वाला है। बता दें कि इसरो ने इस मिशन की तैयारी करनी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि इसरो इस मिशन को मार्च 2028 में लॉन्च कर सकता है।शुक्र ग्रह का अध्ययन क्यों बन गया जरूरी
इसरो शुक्र ग्रह का अध्ययन इसलिए भी करना चाहता है क्योंकि ये ग्रह पृथ्वी के सबसे पास है। माना जाता है कि शुक्र ग्रह पर पहले जीवन था और ये बिल्कुल पृथ्वी जैसा ही था, वैज्ञानिकों का कहना है कि पहले वहां पर जलवायु धरती की तरह था। हालांकि अब शुक्र ग्रह रहने लायक नहीं है। इस वक्त उस ग्रह का तापमान 475 डिग्री सेल्सियस है, जो शीशे को भी पिघला सकता है। इसके साथ ही वहां का वातावरण भी जहरीला हो गया है।मिशन शुक्रयान की चुनौतियां
इसरो के इस मिशन को पूरा होने में काफी चुनौतियां भी हैं। इसरो के लिए सबसे बड़ी चुनौती उच्च तापमान और दबाव है। दरअसल शुक्र ग्रह का तापमान अत्यधिक उच्च होता है और वायुमंडलीय दबाव भी बहुत अधिक है, जिससे उपकरणों को सुरक्षित रखना चुनौतीपूर्ण है। वहीं इसका जहरीला वातावरण भी इसरो के लिए परेशानी खड़ा कर सकता है। शुक्र ग्रह के वायुमंडल में सल्फ्यूरिक एसिड के बादल होते हैं, जो उपकरणों के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
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