हर मौके पर नया हीरो... इस तरह पूरी टीम इंडिया ने मिलकर लिखी जीत की इबारत

नई दिल्ली: बारबाडोस के केंसिंग्टन ओवल में वर्ल्ड चैंपियंस के जश्न के भावुक पलों के बीच एक तस्वीर उभरी। चैंपियन कप्तान रोहित शर्मा अपने जांबाज योद्धाओं में से एक - हार्दिक पंड्या का गाल चूम रहे हैं। कुछ क्षणों का यह स्नेह आलिंगन यूं तो सामान्य और

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नई दिल्ली: बारबाडोस के केंसिंग्टन ओवल में वर्ल्ड चैंपियंस के जश्न के भावुक पलों के बीच एक तस्वीर उभरी। चैंपियन कप्तान रोहित शर्मा अपने जांबाज योद्धाओं में से एक - हार्दिक पंड्या का गाल चूम रहे हैं। कुछ क्षणों का यह स्नेह आलिंगन यूं तो सामान्य और जीत के उत्सव के बीच भावनाओं का सामान्य प्रकटीकरण लग सकता है। मगर, इसमें गंभीर संदेश छुपा है- हमारे बीच कुछ मतभेद हो सकते हैं, लेकिन बात जब टीम इंडिया की हो तो हमारा मकसद एक है।

जब रोहित ने हार्दिक पर भरोसा किया

रोहित शर्मा और हार्दिक पंड्या

याद कीजिए बीते छह महीनों से रोहित और हार्दिक को लेकर कितना कुछ कहा और लिखा गया था। आईपीएल में मुंबई इंडियंस की टीम आखिरी पायदान पर रही तो उन कयासों को बल मिला, जिसमें कहा जा रहा था कि दोनों के बीच कुछ भी ठीक नहीं है। वर्ल्ड कप से पहले भारतीय टीम को लेकर बड़े सवालों में से यह एक था कि क्या ड्रेसिंग रूम में यह 'उत्तर और दक्षिण ध्रुव' कभी एक हो पाएंगे! वर्ल्ड कप फाइनल के 16वें ओवर के बाद जब साउथ अफ्रीका के लिए समीकरण 24 गेंद में 26 रन का था और ट्रॉफी हाथ से फिसलती नजर आ रही थी, रोहित ने हार्दिक पर ही भरोसा किया। 'जोड़ी ब्रेकर' हार्दिक की पहली डिलिवरी मैजिक बॉल साबित हुई। हाहाकारी हेनरिक क्लासेन का विकेट मैच का अहम मोड़ था तो यही रोहित-हार्दिक के रिश्तों को लेकर उठ रहे तमाम सवालों का जवाब भी था।


सवालों को विराम देती जीत

वर्ल्ड कप से पहले मात्र यही नहीं, टीम को लेकर कई सवाल थे। क्या रोहित शर्मा को ओपन करना चाहिए? अगर रोहित ओपन करें तो क्या उनके साथ लेफ्टी यशस्वी जायसवाल को नहीं उतारना चाहिए? क्या विराट कोहली इस फॉर्मेट की वर्ल्ड कप टीम में होने के हकदार भी हैं? रोहित-विराट के बीच सब कुछ ठीक है? ऑलराउंडर के तौर पर हार्दिक पर कुछ ज्यादा ही भरोसा नहीं किया जा रहा है? ऐसे और ना जाने कितने सवाल थे जिनके जवाब इस खिताबी जीत से मिल गए हैं।


'विराट' मैच विनर पर भरोसा

विराट कोहली

सोचिए जरा उस प्लेयर पर क्या बीत रही होगी, जिसने कुछ हफ्ते पहले IPL में करियर बेस्ट 154.70 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए और लगातार उसके 'खराब' स्ट्राइक रेट पर चर्चा होती रही। उस पर कितना प्रेशर रहा होगा, जिसने बारबाडोस में फाइनल से पहले तक स्ट्राइक रेट तो दूर, कोई ऐसा स्कोर भी नहीं किया था, जो उसको लेकर भरोसे की नींव तैयार करे। मगर दुनिया को ना हो, कप्तान को अपने इस 'विराट' मैच विनर पर भरोसा था। शायद करियर के सबसे बड़े मैच में विराट कोहली ने अपने नाम के हिसाब से काम किया और फीनिक्स की तरह उड़ान भरते हुए टीम को ट्रॉफी दिलाने का आधार तैयार कर दिया। उन्होंने करियर की सबसे धीमी T20 फिफ्टी लगाई तो उनकी पारी के दौरान ही ट्रेंड होने लगा था कि 'कोई इसे वापस बुला लो'। विराट की 128 स्ट्राइक रेट वाली इनिंग्स धीमी ही सही, क्लासेन के 192 के स्ट्राइक रेट वाली फिफ्टी पर भारी पड़ी। तमाम सवालों के बावजूद अंत तक ओपनिंग पार्टनर के तौर विराट पर भरोसा करने वाले रोहित उनकी अहमियत को समझते थे और उन्होंने ट्रॉफी उठाने के बाद उसे बयां किया, 'बड़े मौकों पर बड़े खिलाड़ी काम आते हैं।'


प्रेरित करते रहेंगे पंत

बारबाडोस में शनिवार को ट्रॉफी उठाए विजय गर्जना करते चेहरों में से एक ऋषभ पंत भी थे। खिताबी मुकाबले में बल्ले से वह स्पेशल नहीं दे पाए, लेकिन टीम ने पूरे टूर्नामेंट में उन्हें नंबर तीन पर बैटिंग करने का खास रोल दिया था। इसे उन्होंने पहले के कुछ मैचों में बखूबी निभाया। वैसे ऋषभ की भूमिका को बस इतने तक सीमित करके नहीं देखा जा सकता। अट्ठारह महीने पहले भयावह सड़क हादसे में बाल-बाल बचे ऋषभ पिछले साल इन्हीं दिनों तक अपने पैरों पर ठीक से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे। आज वह वर्ल्ड चैंपियन हैं। उनकी कहानी महान अमेरिकी स्प्रिंटर विल्मा रूडोल्फ की गाथा से कम नहीं, जो पोलियो से उबरकर ओलिंपिक्स चैंपियन बनी थीं। बुलंद हौसलों वाले पंत की दास्तान खेल के दुनिया के बाहर के लोगों को भी अनवरत प्रेरित करती रहेगी। पंत ही क्यों, हार्दिक पंड्या, जसप्रीत बुमरा भी पिछले कुछ वर्षों में करियर पर विराम लगाने वाली चोटों से दो-चार हुए हैं। इनकी भी ऐसी गंभीर सर्जरी हुई जिससे वापसी करना आसान नहीं होता। मगर ये लौटे और क्या खूब लौटे।


सूर्या का मैच विनिंग कैच

सूर्यकुमार यादव कैच

फटाफट क्रिकेट के 'ऑलटाइम ग्रेट्स' में शुमार किए जाते रहे सूर्यकुमार यादव के जिक्र के बिना इस वर्ल्ड कप जीत की कहानी अधूरी रहेगी। पिछले वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में 28 गेंद पर 18 रन और अब अपने पसंदीदा फॉर्मेट के सबसे अहम मैच में 4 गेंद पर 3 रन। संभव है कि ये बातें किसी और खिलाड़ी को अंदर से तोड़ देतीं। मगर सूर्य ने बेहद दबाव की स्थिति में जिस आसमानी छलांग और संतुलन के साथ शर्तिया सिक्स को कैच में बदला वह टीम इंडिया की दृढ़ इच्छाशक्ति की यादगार तस्वीर बन गई। बल्ले से मैदान के हर कोने में सिक्स मारकर मैच जीतने वाले इस 'मिस्टर 360 डिग्री' खिलाड़ी ने बताया कि एक सिक्स रोककर भी मैच जीता जा सकता है। सूर्य का एक यह कैच क्रिकेट इतिहास में अविस्मरणीय बन गया है।


और आखिर में सुपर कूल कोच

आखिर में, उस शख्स के जिक्र के बिना भी इस खिताबी जीत की कहानी अधूरी रहेगी जो सात महीने पहले वनडे वर्ल्ड कप की निराशा के बाद अपना कार्यकाल खत्म होने पर हेड कोच के पद को स्वीकारने को तैयार नहीं था। काफी प्रयासों के बाद एक और वर्ल्ड कप तक टीम के सफर का मार्गदर्शक बनने को तैयार हुए राहुल द्रविड़ का रोल भी कभी भुलाया नहीं जा सकता। एक खिलाड़ी के तौर पर कभी वर्ल्ड कप नहीं जीत सके राहुल को खेल की बारीकियों की समझ का हर कोई कायल रहा है। मगर यह सवाल भी था कि उस काबिलियत का क्या करना, जो टीम को एक वर्ल्ड कप नहीं जिता सके। जाहिर है द्रविड़ पर भी काफी दबाव था। मगर, इस 'सुपर कूल' पूर्व कप्तान ने टीम में एक फाहे की तरह 'शांत मन' वाला भाव भरा। पूरे अभियान के दौरान रोहित अक्सर इस बात की तस्दीक करते रहे कि दबाव में शांत रहकर फैसले करने से ही हम लक्ष्य हासिल कर सकेंगे। तमाम सवालों, विरोधाभासों, आशंकाओं को अपनी एकजुटता से सकारात्मक ऊर्जा में बदलकर भारतीय क्रिकेट टीम फिर शिखर पर पहुंच गई है। यही है भारत की ताकत।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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