क्या तुर्की का होगा पाकिस्तान जैसा हाल, इमरान खान की राह पर एर्दोगन, जानें 2021 वाली वो घटना

अंकारा: तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन सीरिया में विद्रोहियों के कब्जे के बाद काफी खुश हैं। उन्हें लगता है कि सीरिया में विद्रोहियों की नई सरकार कुर्द लड़ाकों को खदेड़ देगी और वे तुर्की के लिए खतरा नहीं बनेंगे। यह कुछ ऐसे ही है, जैसे 20

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अंकारा: तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन सीरिया में विद्रोहियों के कब्जे के बाद काफी खुश हैं। उन्हें लगता है कि सीरिया में विद्रोहियों की नई सरकार कुर्द लड़ाकों को खदेड़ देगी और वे तुर्की के लिए खतरा नहीं बनेंगे। यह कुछ ऐसे ही है, जैसे 2021 में तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोचा था। अगस्त 2021 में इमरान खान की सोच यह थी कि काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद बनने वाली नई सरकार तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) जैसे समूहों को अफगानिस्तान से ऑपरेट करने नहीं देगी। हालांकि, हुआ इसका ठीक उलटा। आज पाकिस्तान टीटीपी के हमलों से बेहाल है।

तुर्की ने सीरियाई विद्रोहियों की खुलकर मदद की


एर्दोगन के शासन वाले तुर्की ने सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद को सत्ता से हटाने के लिए सीरियाई विद्रोहियों की खुलकर मदद की। तुर्की से मिल रहे समर्थन और भू-राजनीतिक हालातों के कारण असद सरकार का विद्रोह के शुरू होने के मात्र 13 दिनों के अंदर पतन हो गया। बशर अल-असद को सीरिया छोड़कर रूस भागना पड़ा और विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क समेत पूरे देश पर कब्जा कर लिया। इस घटना से एर्दोगन इतने ज्यादा खुश हैं कि उन्होंने विद्रोहियों की अंतरिम सरकार बनने के चंद दिनों के अंदर अपने विदेश मंत्री को सीरिया भेज दिया।

सीरिया से कुर्दों का खात्मा चाहता है तुर्की


तुर्की के विदेश मंत्री हकन फिदान ने रविवार को दमिश्क में सीरिया के विद्रोही नेता अहमद अल-शरा से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने कहा कि सीरिया के भविष्य में कुर्द आतंकवादियों के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने YPG मिलिशिया को भंग करने का आह्वान किया। तुर्की YPG को कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) के आतंकवादियों का विस्तार मानता है, जिन्होंने 40 वर्षों तक तुर्की राज्य के खिलाफ विद्रोह किया है। YPG को तुर्की, अमेरिका और यूरोपीय संघ आतंकवादी संगठन मानते हैं।

कुर्दों को अमेरिका का समर्थन


YPG और सीरिया की सत्ता पर काबिज तुर्की समर्थिक विद्रोही बल एक दूसरे को दुश्मन मानते हैं और लगातार युद्ध लड़ रहे हैं। YPG पूर्वोत्तर सीरिया में अमेरिकी सहयोगी सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेस (SDF) का नेतृत्व करता है। सीरियाई विद्रोही नेता अहमद अल-शरा ने अपने कई बयानों में कहा है कि वह और अधिक यु्द्ध नहीं चाहते हैं और उनके नेतृत्व वाली सरकार सभी पक्षों को साथ लेकर चलेगी। उधर, अमेरिका ने भी सीरियाई विद्रोहियों से सीधी बात करनी शुरू कर दी है।

सीरियाई विद्रोहियों को अमेरिका की जरूरत


सीरियाई विद्रोहियों को सरकार चलाने और खुद को दुनिया में एक वैध सरकार के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए अमेरिकी मदद की जरूरत है। ऐसे में यह संभावना है कि सीरियाई विद्रोही अमेरिका की बात मान लें और कुर्द लड़ाकों, खासकर YPG या सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेस (SDF) के खिलाफ सख्ती न बरतें। इससे सीरिया में अमेरिका के हित सुरक्षित हो जाएंगे, लेकिन यह तुर्की के लिए बड़ा झटका होगा।

अगस्त 2021 में क्या हुआ था


अगस्त 2021 में पूरी दुनिया ने वही देखा था, जो कुछ दिनों पहले सीरिया में देखने को मिला। अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज की निकासी के बाद तालिबान ने देश पर कब्जा करना शुरू कर दिया। उस समय तालिबान को पाकिस्तान का खुला समर्थन था। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने तालिबान लड़ाकों को हथियार और खुफिया जानकारियां दीं। इससे तालिबान लड़ाके चंद दिनों में ही काबुल पहुंच गए और कब्जा कर लिया। तालिबान लड़ाकों को आता देख अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए। इस घटना को पाकिस्तान ने खुद की जीत के तौर पर प्रचारित किया।

पाकिस्तान को कैसे लगा झटका


पाकिस्तान को उम्मीद थी कि तालिबान के सत्ता में आते ही अफगानिस्तान की सीमा सुरक्षित हो जाएगी। पाकिस्तान को टीटीपी जैसे आतंकी समूहों से खतरा था, जो सीधे तौर पर इस्लामाबाद को चुनौती देते थे। हालांकि, तालिबान ने टीटीपी की गतिविधियों पर रोक नहीं लगाई और उसे एक दबाव समूह के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। तालिबान ने शुरू में तो टीटीपी और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता कराई लेकिन मौका देखकर उससे बाहर निकल गया। आज हालात इतने खराब हैं कि तालिबान की अंतरिम सरकार पाकिस्तान से बात करना नहीं चाहती।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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