Opinion- बहुत दिनों बाद बैकफुट पर आई BJP, अंबेडकर पर घिरना, भगवा दल को पड़ सकता है भारी

ऐसे समय में जब संसद भारतीय संविधान के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रही है, गृह मंत्री अमित शाह की राज्यसभा में की गई टिप्पणी ने बीजेपी के लिए मानो परेशानी खड़ी कर दी है। संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा और राज्यसभा में संविधान को स्वीकार किए हुए

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ऐसे समय में जब संसद भारतीय संविधान के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रही है, गृह मंत्री अमित शाह की राज्यसभा में की गई टिप्पणी ने बीजेपी के लिए मानो परेशानी खड़ी कर दी है। संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा और राज्यसभा में संविधान को स्वीकार किए हुए 75 साल के मौके पर चर्चा हुई। चर्चा में विपक्ष के साथ ही सत्ता पक्ष के नेताओं की तरफ से संविधान से लेकर बाबा साहब को याद किया गया। बाबा साहब के योगदान से शुरू हुई बात बाबा साहब के अपमान तक पहुंच गई।
राज्यसभा में अमित शाह के बाबा साहब पर बयान को विपक्ष ने पूरी बीजेपी के खिलाफ बड़े मुद्दे के रूप में खड़ा कर दिया। मुद्दा इतना बड़ा हो गया कि पूरी की पूरी बीजेपी बैकफुट पर नजर आने लगी। मामले की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विपक्ष की तरफ से मुद्दा उठाए जाने के बाद पीएम मोदी शाह के समर्थन में उतर गए। खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई देनी पड़ी। बीजेपी की तरफ से पूरी कवायद से यह साफ जाहिर हो रहा है कि लंबे समय बाद भगवा दल किसी मुद्दे पर पूरी तरह से बैकफुट पर नजर आ रहा है।


पीएम की तरफ से भी बीआर अंबेडकर को लेकर एक के बाद एक लगातार तीन ट्वीट किए गए। ट्वीट में पीएम मोदी ने अंबेडकर के मुद्दे पर कांग्रेस की तरफ से प्रतिक्रिया से लेकर बीजेपी की तरफ से अंबेडकर के लिए किए गए कामों को को गिनाया गया। पीएम के ट्वीट इस बात को जाहिर कर रहे थे कि पार्टी इस मामले को कितनी गंभीरता से ले रही है। अगर शाह खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह कह रहे हैं कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया तो मामला वाकई बीजेपी के लिए चिंता का सबब है।

सड़क पर विपक्ष

अमित शाह के बयान के बाद विपक्ष को मानो बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर एकसुर में बीजेपी की आलोचना करने लगे। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तो इस मुद्दे को लेकर सड़क पर उतर गई। स्थिति यह है कि आम आदमी पार्टी ने तो इसे दिल्ली चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाने का फैसला भी कर लिया है। विपक्षी दल तो 'बाबा साहेब का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान' के नारे को बुलंद करने में जुट गए हैं।


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो दावा किया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा राज्यसभा में बी आर आंबेडकर के बारे में की गई टिप्पणी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की ‘जातिवादी और दलित विरोधी मानसिकता’ का प्रदर्शन है। टीएमसी प्रमुख ने टिप्पणी को अपमानजनक बताते हुए दावा किया कि यह उन लाखों लोगों का अपमान है जो मार्गदर्शन और प्रेरणा के लिए अंबेडकर की ओर देखते हैं।

चुनाव में मुद्दे को भुनाएगा विपक्ष

दिल्ली विधानसभा चुनाव को देखते हुए आम आदमी पार्टी ने इस मौके को दोनों हाथों से लपक लिया है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि वह इस मुद्दे को दिल्ली की जनता के बीच लेकर जाएगी। पार्टी ने शाह के बयान को लेकर दिल्ली में पार्टी मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन भी किया। आम आदमी पार्टी का कहना है कि जिस संविधान की शपथ लेकर बीजेपी केंद्र की सत्ता में आई, आज बीजेपी उसी संविधान के निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर जी का संसद में अपमान कर रही है।

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बीजेपी को भारी पड़ सकता है बयान

चुनाव से पहले कौन सा बयान किस दल को भारी पड़ जाए ये कोई नहीं जानता। बिहार चुनाव से पहले मोहन भागवत का आरक्षण वाला बयान का असर तो बीजेपी नहीं भूली होगी। ऐसे में अब अंबेडकर पर बयान को लेकर जिस तरह से विपक्ष की कोशिश हो रही है उससे बीजेपी के लिए परेशानी का सबब हो सकता है। अगर आम आदमी पार्टी अंबेडकर के मुद्दे को चुनाव में भुनाने में सफल रही तो बीजेपी के लिए मुश्किल हो सकती है।

शाह ने आखिर कहा क्या था?

शाह ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि अभी एक फैशन हो गया है - अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता। शाह 'भारतीय संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा' पर दो दिवसीय बहस के समापन पर राज्यसभा में उसका जवाब दे रहे थे।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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