सीएम की कुर्सी नहीं तो एकनाथ शिंदे किस पर मानेंगे? भाजपा के पास क्या हैं दो विकल्प

Maharashtra CM Race: महाराष्ट्र में कौन बनेगा मुख्यमंत्री? ये सवाल अब यक्ष प्रश्न जितना गंभीर हो चुका है. सीएम के नाम को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच खींचतान नए लेवल पर जा रही है. मुख्यमंत्री पद को लेकर हो रही इस कथित चर्चा को लोग फ्रेंडली फाइट क

4 1 6
Read Time5 Minute, 17 Second

Maharashtra CM Race: महाराष्ट्र में कौन बनेगा मुख्यमंत्री? ये सवाल अब यक्ष प्रश्न जितना गंभीर हो चुका है. सीएम के नाम को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच खींचतान नए लेवल पर जा रही है. मुख्यमंत्री पद को लेकर हो रही इस कथित चर्चा को लोग फ्रेंडली फाइट के बजाए रस्साकसी का नाम दे रहे हैं. 'पहले ढाई साल हम और अगले ढाई साल तुम' जैसे फार्मुले और आफर्स से इतर सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि कि शिवसेना प्रमुख और निर्वतमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को नया और पहले से ज्यादा आकर्षक ऑफर मिला है. वहीं कुछ लोग कह रहे हैं कि शिवसेना ने 'एकनाथ हैं तो सेफ हैं' का शिगूफा छोड़कर बिना किसी लाग लपेट के पैरलल दबाव बनाते हुए बीजेपी के सामने अपनी दो टूक मांग रख दी हैं.

शिवसेना ने रखी डिमांड ?

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक कथित तौर पर कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को या तो केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद या संभावित देवेन्द्र फड़नवीस के नेतृत्व में उपमुख्यमंत्री की भूमिका की पेशकश की गई थी. टॉप लेवल सूत्रों का कहना है कि एकनाथ शिंदे, केंद्र में कैबिनेट मंत्री बनने और डिप्टी सीएम पद का स्वीकार करने के प्रस्ताव से किनारा कर चुके हैं. अब उल्टे शिंदे ने कथित तौर पर बीजेपी बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से पूछा है कि क्या उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा? अगर इस बात में दम है तो उन्हें महायुति सरकार का संयोजक बनाया जाना चाहिए, क्योंकि महाराष्ट्र का चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा गया था. उन्होंने अपने ऑफर में ये भी कहा, 'अगर फडणवीस सीएम बनते हैं तो उनकी सरकार में उनके बेटे और कल्याण से सांसद श्रीकांत शिंदे को उपमुख्यमंत्री बनाया जाए'.

शपथ ग्रहण में क्यों हो रही देरी? बीजेपी ने अभी तक इस घटनाक्रम पर सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है. सूत्रों ने बताया कि इस देरी के कारण महाराष्ट्र में नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह स्थगित हो गया है. शिवसेना के सारे नेता एक सुर में कह रहे हैं कि एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री और महायुति गठबंधन का चेहरा थे, जिसने भारी जीत हासिल की. इस विराट जीत में, बीजेपी सबसे बड़ी स्टेक होल्डर बनी. उसने कुल 150 सीटों में से 132 सीटें जीतीं.

एनसीपी पर भड़की शिवसेना

शिवसेना नेता रामदास कदम तो दो कदम और आगे निकल गए. महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री शिंदे को क्यों बनाया जाए, इसकी वजह बताते हुए लोकसभा चुनावों में महायुति की खस्ता हालत का ठीकरा उन्होंने सीधे सीधे पीएम मोदी पर फोड़ दिया. कदम ने सियासी कदम बढ़ाते हुए कहा, 'शिवसेना ने 79 सीटों पर चुनाव लड़ा और 57 सीटें जीतीं, जबकि एनसीपी (NCP) ने 41 सीटें जीतीं. बीजेपी इन नतीजों में एकनाथ शिंदे के योगदान से इनकार नहीं कर सकती. वहीं दूसरा पहलू ये भी है कि लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) के नेतृत्व में लड़ा गया और उसका नजीता ये रहा कि महायुति को केवल 17 सीटें मिलीं, जबकि महा विकास अघाड़ी (MVA) को 31 सीटें मिलीं.'

रामदास कदम ने मुख्यमंत्री पद के लिए देवेन्द्र फड़णवीस को समर्थन देने के लिए अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा को भी जिम्मेदार ठहराया और दावा किया कि राकांपा ने उचित परामर्श के बिना भाजपा को समर्थन देकर उनकी बारगेनिंग पावर यानी सौदेबाजी की ताकत कम कर दी है.

BJP के पास दो विकल्प क्या हैं?

https://results.eci.gov.in/ के डाटा के मुताबिक बीजेपी 10 साल तक अपने प्रचंड बहुमत के दम पर जीतने के बाद केंद्र सरकार में पूर्ण बहुमत से 32 सीटें पीछे हैं. शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के 7 सांसद हैं और 'उद्धव'सेना (UBT) के 9 सांसद हैं. बीजेपी, न तो महाराष्ट्र सरकार में अपना नियंत्रण खोना चाहती है और ना ही केंद्र की टीडीपी और जेडीयू की बैसाखी पर चल रही केंद्र सरकार के लिए नई समस्या खड़ी करना चाहती है. शिवसेना के 7 सांसदों का समर्थन खोना कोई सामान्य घटना नहीं होगी. इस स्थिति में जो खबरें चल रही हैं कि शिवसेना, बीजेपी पर शिंदे को ही मुख्यमंत्री बनाए रखने के लिए बिहार की मिसाल दे रही है. बिहार में बड़ा भाई होने के बावजूद बीजेपी ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाए रखा. ऐसे में बीच का रास्ता निकालने के लिए महामंथन जारी है.

महाराष्ट्र में सरकार देर सवेर अस्तित्व में आ ही जाएगी. संवैधानिक रूप से अब कोई खतरा नहीं है. बस सही मोलभाव न होने के चलते बात नहीं बन पा रही है. शिवसेना की कथित मांगों पर गौर करें तो 'कंवीनर' का पद कोई संवैधानिक पद नहीं होता है. लेकिन जरूरत पड़ने पर अपनी सुविधा के हिसाब से यूपीए सरकार में सोनिया गांधी को यूपीए का संयोजक बनाने के लिए इस पद का सृजन किया गया था. बीजेपी ने तब इस फैसले को प्रधानमंत्री के पैरलल व्यवस्था खड़ा करने वाला कदम बताया था.

सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा?

कुछ उसी तर्ज पर शिवसेना महाराष्ट्र में अपने बॉस का सम्मान चाहती है. उनका कहना है कि सीएम बनने के बाद डिप्टी सीएम बनने का लॉजिक सही नहीं है. लिहाजा शिंदे अपने बेटे को डिप्टी सीएम बनाकर और खुद महाराष्ट्र की जनता से किए वादों को पूरा करने के लिए किसी कॉमन मिनिमम प्रोग्राम चलाने के लिए वो फडणवीस के अधीन नहीं बल्कि उनके बराबर बैठना चाहते हैं.

बीजेपी में सबकुछ आलाकमान यानी दिल्ली से तय होता है. शिवसेना और बीजेपी में मुख्यमंत्री पद की खींचतान कब और किस मोड़ पर रुकेगी? ये कहना जल्दबाजी होगा.

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

पवन कल्याण ने पीएम मोदी से की मुलाकात, राज्य के कई मुद्दों पर की चर्चा

News Flash 27 नवंबर 2024

पवन कल्याण ने पीएम मोदी से की मुलाकात, राज्य के कई मुद्दों पर की चर्चा

Subscribe US Now