Maharashtra Election 2024 Result: महाराष्ट्र के जो नतीजे आए हैं, उसमें एकनाथ शिंदे और अजित पवार के लिए भी खुश होने वाली कई बातें हैं और सबसे बड़ी बात तो ये है कि जनता की अदालत में अब फैसला हो गया है कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना ही असली शिवसेना है. और अजित पवार की एनसीपी ही असली एनसीपी है. चुनाव के नतीजों से साफ हो गया है कि महाराष्ट्र की जनता किसके साथ है.
शिंदे गुट की शिवसेना 81 सीटों पर लड़कर 55 सीटें जीत गई. जबकि शिवसेना उद्धव 95 सीटों पर खड़े होकर भी सिर्फ 21 सीटें जीत पाई.
एनसीपी शरद पवार का भी बुरा हाल
यही हाल एनसीपी का भी है. अजित पवार की एनसीपी 59 सीटों पर लड़कर 41 सीटें जीत गई. शरद पवार की एनसीपी 86 सीटों पर लड़कर भी 10 सीटें ही जीत पाई. यानी जनता ने बता दिया है कि वो किसे असली शिवसेना मानती है और किसे असली एनसीपी मानती है.
लेकिन सबसे बुरा हाल तो उद्धव ठाकरे की शिवसेना का हुआ है..जिसे बाला साहेब ठाकरे की विचारधारा से बंटना और कटना महंगा पड़ा है. ये भी समझना जरूरी है.
वर्ष 1987 की बात है. मुंबई के विले पारले के उपचुनाव में बाल ठाकरे ने एक सभा में कहा था, 'हम ये चुनाव हिंदुओं की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं. हमें मुस्लिम वोटों की परवाह नहीं है. ये देश हिंदुओं का है और उनका ही रहेगा.
बाल ठाकरे का अलग था हिंदुत्व
एक दौर ऐसा भी था जब बाल ठाकरे ने मुसलमानों से मताधिकार को वापस लेने की बात कही थी. ये बाल ठाकरे का हिंदुत्व था. उद्धव ठाकरे को हिंदुत्व का एजेंडा विरासत में मिला था, जिसे सीएम पद की खातिर अपने हाथों से तिलांजलि दे दी.
उद्धव ठाकरे ने सबसे पहले उस कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिलाया, जिसके बारे में बाल ठाकरे कहते थे वो कभी कांग्रेस और एनसीपी से हाथ नहीं मिलाएंगे. इतना ही नहीं, उद्धव ठाकरे ने मुस्लिमों का वोट हासिल करने के लिए हिंदुत्व से किनारा कर लिया. जबकि बाल ठाकरे हमेशा कहते थे कि उन्हें मुस्लिमों का वोट नहीं चाहिए.
इसी का नतीजा है कि आज बाल ठाकरे की शिवसेना का असली वारिस जनता ने शिंदे गुट को मान लिया है. और ठाकरे परिवार के वारिस को नकार दिया है.
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