नौकरी छोड़ गांव से शुरू किया ये काम, अब 5 करोड़ का बिजनेस, शार्क टैंक के जज भी चौंक गए

नई दिल्‍ली: हिमाचल प्रदेश में ऊना जिले के बंगाणा गांव के 23 वर्षीय अंकुश बरजाता ने कम उम्र में ही बिजनेस में बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है। उन्होंने लाखों की नौकरी छोड़कर अपनी ऑनलाइन मार्केटिंग कंपनी 'दीवा' शुरू की। 'दीवा' अब करोड़ों का सालाना कार

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नई दिल्‍ली: हिमाचल प्रदेश में ऊना जिले के बंगाणा गांव के 23 वर्षीय अंकुश बरजाता ने कम उम्र में ही बिजनेस में बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है। उन्होंने लाखों की नौकरी छोड़कर अपनी ऑनलाइन मार्केटिंग कंपनी 'दीवा' शुरू की। 'दीवा' अब करोड़ों का सालाना कारोबार करती है। अंकुश हाल में 'शार्क टैंक इंडिया' शो में भी दिखासई दिए। उनके अनोखे बिजनेस मॉडल ने शार्क टैंक के जजों अमन गुप्ता, राधिका गुप्ता और रितेश अग्रवाल को बहुत प्रभावित किया। तीन जजों से उन्‍होंने 2 करोड़ रुपये की डील झटकी। आइए, यहां अंकुश बरजाता की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।

बचपन में देखी गरीबी

बचपन में देखी गरीबी

हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव बंगाणा से काम करते हुए अंकुश बरजाता ने 5 करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी कर सभी को चौंका दिया है। अंकुश का सफर आसान नहीं था। उन्‍होंने बचपन में कई मुश्किलें देखीं। उनके दादा कपड़े बेचकर परिवार का गुजारा करते थे। मां भी घर चलाने में हाथ बंटाती थीं। अंकुश के दादा गांवों में सलवार कमीज बेचने वाले फेरीवाले थे। घर पर एक छोटी सी चाय की दुकान थी। सिर्फ एक ही बार भोजन करने को मिलता था। स्थिति इतनी दयनीय थी कि अंकुश की मां अपनी कलाइयों पर धागे लपेटती थीं। उनके पास चूड़ियां खरीदने तक के पैसे नहीं थे। 2004 में उनकी मां ने सिलाई की क्लास लेना और सूट बेचना शुरू कर दिया।

कुछ बड़ा करने की चाहत में छोड़ी नौकरी

कुछ बड़ा करने की चाहत में छोड़ी नौकरी

अंकुश का जन्म 13 दिसंबर, 2000 को बंगाणा में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई राजकीय सीन‍ियर सेकेंड्री स्कूल बंगाणा से पूरी की। साल 2011 में घर की स्थिति में तब सुधार शुरू हुआ जब अंकुश के पिता रिटेल आउटलेट की नौकरी छोड़कर व्यवसाय में शामिल हो गए। अंकुश कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट हैं। नौकरी लगने पर उन्हें 26.28 लाख रुपये सालाना का पैकेज मिला। लेकिन, कुछ बड़ा करने की चाहत में उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी। उन्‍होंने खुद का व्यवसाय शुरू करने का फैसला लिया। साल 2020 में अंकुश ने 'दीवा' की शुरुआत की। यह एक ऐसा मार्केटिंग प्लेटफॉर्म है जो देशभर के साड़ी निर्माताओं को सीधे ग्राहकों से जोड़ता है।

ऐसे आया आइडिया

ऐसे आया आइडिया

दरअसल, अंकुश जब हैदराबाद की एक कंपनी में सेल्स और मार्केटिंग की नौकरी कर रहे थे, उन्‍हीं दिनों में काम के सिलसिले में उनकी मुलाकात एक साड़ी निर्माता से हुई। वह 300 रुपये में साड़ियां बेच रहे थे। उनसे बात करने के बाद उन्‍हें समझ आया कि जहां निर्माता 300 रुपये में साड़ी बनाते हैं, वहीं उसी को देश में 1,000 रुपये में बेचा जाता है। इसके बाद ही अंकुश ने अपना कारोबार शुरू करने का फैसला किया था। 'दीवा' के जरिये देशभर में करीब 60 प्रकार की साड़ियों की बिक्री की जाती है। कंपनी का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। इसका सालाना कारोबार करीब पांच करोड़ रुपये का है।

शार्क टैंक में छा गए

शार्क टैंक में छा गए

कंपनी में अंकुश के साथ 100 से ज्‍यादा लोग काम करते हैं। इनमें ज्‍यादातर युवा हैं। अंकुश का मानना है कि युवाओं को रोजगार देना भी उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है। शार्क टैंक इंडिया शो में 'दीवा' की सफलता ने कंपनी को एक नई पहचान दिलाई है। शो में आने के बाद कंपनी की वेबसाइट पर ट्रैफिक बढ़ गया। 'दीवा' को शो में तीन जजों ने निवेश करने की पेशकश की।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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