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नई दिल्ली: ईरान अपने यूरेनियम भंडार से परमाणु हथियार बनाने के करीब पहुंच गया है। संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी की एक गोपनीय रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के पास 60 प्रतिशत तक की शुद्धता का 182.3 किलोग्राम संवर्धित यूरेनियम है। एजेंसी ने रिपोर्ट में 26 अक्टूबर तक ईरान के पास संवर्धित यूरेनियम भंडार 6,604 किलोग्राम होने का अनुमान जताया है।
इजरायल से जारी संघर्ष के बीच ईरान के बारे में इस खुलासे ने पूरी दुनिया को टेंशन में डाल दिया है। इजरायल से पिछड़ रहे ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई भी कई बार इजरायल पर हमले की चेतावनी हैं और बदला लेने की बात कह चुके हैं। जानते हैं कि भारत समेत पूरी दुनिया में यूरेनियम का भंडार और उत्पादन के हालात के बारे में। यह भी समझते हैं कि यूरेनियम का संवर्धन क्या होता है, जिसके बाद परमाणु हथियार बनाना संभव हो जाता है।
अंडे बराबर यूरेनियम से 88 टन कोयले जितनी बिजली
यूरेनियम ईंधन की एक मुर्गी के अंडे के बराबर का यूरेनियम 88 टन कोयले जितनी बिजली प्रदान कर सकता है। यह प्राकृतिक अवस्था में सोने से 500 गुना ज्यादा पाया जाता है। यूरेनियम भी रेडियोधर्मी तत्व है, जो समय के साथ क्षय होता है। अपने नष्ट होने के दौरान यह भारी मात्रा में एनर्जी पैदा करता है। इसी विशेष गुण की वजह से यूरेनियम को परमाणु रिएक्टरों के लिए ईंधन का मुख्य सोर्स माना जाता है। इसे यलोकेक भी कहा जाता है।
धरती की ऊपरी परत और समुद्री पानी में यूरेनियम भंडार
IAEA के अनुसार, यूरेनियम एक प्राकृतिक तत्व है जो पृथ्वी के सतह पर बनी पपड़ी और समुद्र के पानी में पाया जाता है। यूरेनियम की थोड़ी मात्रा हर जगह मौजूद है। चट्टान, मिट्टी, पानी और यहां तक कि हमारे शरीर में भी यह पाया जाता है। समुद्र में भी काफी महीन स्थिति में यूरेनियम के लगभग 4 अरब टन भंडार हैं।
90 साल तक के लिए मौजूद है यूरेनियम भंडार
दुनिया में जिस हिसाब से यूरेनियम का इस्तेमाल किया जा रहा है, उस लिहाज से यूरेनियम भंडार लगभग 90 वर्षों में खत्म हो जाएगा। आज तक ज्ञात सोर्स से दुनिया में 55 लाख मीट्रिक टन यूरेनियम रिजर्व है। वहीं, अज्ञात सोर्स से माना जाता है कि 1.05 करोड़ मीट्रिक टन यूरेनियम है।
3 रूपों में है यूरेनियम, सबसे ज्यादा इसका इस्तेमाल
यूरेनियम तीन रूपों में पाया जाता है। इसके 3 प्राकृतिक समस्थानिक हैं-यूरेनियम-234 (U-234), यूरेनियम-235 (U-235) और यूरेनियम-238 (U-238)। U-238 सबसे आम समस्थानिक है, जो पृथ्वी पर पाए जाने वाले प्राकृतिक यूरेनियम का लगभग 99 प्रतिशत है। अधिकांश परमाणु रिएक्टर U-235 युक्त ईंधन का उपयोग करते हैं।
यूरेनियम के गाढ़े रूप का रिएक्टरों में होता है इस्तेमाल
हालांकि, प्राकृतिक यूरेनियम में आमतौर पर केवल 0.72 प्रतिशत U-235 होता है और अधिकांश रिएक्टरों को अपने ईंधन में इस समस्थानिक के हाई कंसंट्रेशन यानी गाढ़े रूप में जरूरत होती है। यही वजह है कि संवर्धन प्रॉसेस से U-235 सांद्रता को कृत्रिम तरीके से बढ़ाया जाता है। परमाणु हथियार बनाने में भी इसी संवर्धन प्रॉसेस की जरूरत पड़ती है।
कैसे बनाए जाते हैं परमाणु बम, किसकी होती है जरूरत
ईरान या किसी भी देश को यूरेनियम से परमाणु बम बनाने के लिए दो प्रमुख तत्वों की आवश्यकता होगी। पर्याप्त मात्रा में उच्च संवर्धित यूरेनियम और हजारों सेंट्रीफ्यूज। यूरेनियम का संवर्धन खनन किए गए यूरेनियम से परमाणु ईंधन बनाने के लिए यूरेनियम-235 की मात्रा बढ़ाने की प्रक्रिया है।
प्राकृतिक यूरेनियम में यूरेनियम-238 की मात्रा लगभग 99.3% और यूरेनियम-235 की मात्रा लगभग 0.7% होती है। यूरेनियम-235 का इस्तेमाल परमाणु ऊर्जा या परमाणु विस्फोटक बनाने के लिए किया जा सकता है। आगे बढ़ने से पहले नीचे दिए मैप से जानते हैं कि भारत में यूरेनियम का भंडार कहां है।
क्या होता है यूरेनियम संवर्धन, इसका प्रॉसेस क्या है
प्राकृतिक यूरेनियम में 0.7% यू-235 आइसोटोप होता है। शेष 99.3% में अधिकतर यू-238 आइसोटोप होता है जो परमाणु बम या परमाणु रिएक्टरों की विखंडन प्रक्रिया में रोल नहीं निभाता है। यूरेनियम संवर्धन में प्राकृतिक यूरेनियम में मौजूद यूरेनियम-235 की मात्रा बढ़ाई जाती है।
व्यावसायिक रूप से यूरेनियम-235 आइसोटोप को 3 से 5% (प्राकृतिक अवस्था 0.7% से) तक समृद्ध किया जाता है और फिर परमाणु ईंधन बनाने के लिए 20 फीसदी तक संसाधित किया जाता है। यूरेनियम संवर्धन के लिए यूरेनियम को पहले यूरेनियम हेक्साफ़्लोराइड (UF6) में बदला जाता है। इसके बाद, सेंट्रीफ्यूजेशन या गैस प्रसार की मदद से यूरेनियम-235 को अलग किया जाता है।
खदान से निकालने के बाद यूरेनियम का क्या होता है
यूरेनियम को समृद्ध करने से पहले इसे जमीन से खनन करना, पीसना और रासायनिक रूप से संसाधित करना आवश्यक है। प्राकृतिक यूरेनियम अयस्क का खनन पृथ्वी की पपड़ी से किया जाता है। ऑस्ट्रेलिया, कजाखस्तान, रूस, कनाडा और नाइजर जैसे इन 5 देशों के पास यूरेनियम अयस्क की ज्ञात आपूर्ति का 65% हिस्सा है। खनन किए गए यूरेनियम अयस्क की चट्टान को पीसा जाता है। इससे यूरेनियम को अलग किया जाता है, जिसे मिलिंग कहा जाता है।
इजरायल से जारी संघर्ष के बीच ईरान के बारे में इस खुलासे ने पूरी दुनिया को टेंशन में डाल दिया है। इजरायल से पिछड़ रहे ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई भी कई बार इजरायल पर हमले की चेतावनी हैं और बदला लेने की बात कह चुके हैं। जानते हैं कि भारत समेत पूरी दुनिया में यूरेनियम का भंडार और उत्पादन के हालात के बारे में। यह भी समझते हैं कि यूरेनियम का संवर्धन क्या होता है, जिसके बाद परमाणु हथियार बनाना संभव हो जाता है।
अंडे बराबर यूरेनियम से 88 टन कोयले जितनी बिजली
यूरेनियम ईंधन की एक मुर्गी के अंडे के बराबर का यूरेनियम 88 टन कोयले जितनी बिजली प्रदान कर सकता है। यह प्राकृतिक अवस्था में सोने से 500 गुना ज्यादा पाया जाता है। यूरेनियम भी रेडियोधर्मी तत्व है, जो समय के साथ क्षय होता है। अपने नष्ट होने के दौरान यह भारी मात्रा में एनर्जी पैदा करता है। इसी विशेष गुण की वजह से यूरेनियम को परमाणु रिएक्टरों के लिए ईंधन का मुख्य सोर्स माना जाता है। इसे यलोकेक भी कहा जाता है।धरती की ऊपरी परत और समुद्री पानी में यूरेनियम भंडार
IAEA के अनुसार, यूरेनियम एक प्राकृतिक तत्व है जो पृथ्वी के सतह पर बनी पपड़ी और समुद्र के पानी में पाया जाता है। यूरेनियम की थोड़ी मात्रा हर जगह मौजूद है। चट्टान, मिट्टी, पानी और यहां तक कि हमारे शरीर में भी यह पाया जाता है। समुद्र में भी काफी महीन स्थिति में यूरेनियम के लगभग 4 अरब टन भंडार हैं।90 साल तक के लिए मौजूद है यूरेनियम भंडार
दुनिया में जिस हिसाब से यूरेनियम का इस्तेमाल किया जा रहा है, उस लिहाज से यूरेनियम भंडार लगभग 90 वर्षों में खत्म हो जाएगा। आज तक ज्ञात सोर्स से दुनिया में 55 लाख मीट्रिक टन यूरेनियम रिजर्व है। वहीं, अज्ञात सोर्स से माना जाता है कि 1.05 करोड़ मीट्रिक टन यूरेनियम है।3 रूपों में है यूरेनियम, सबसे ज्यादा इसका इस्तेमाल
यूरेनियम तीन रूपों में पाया जाता है। इसके 3 प्राकृतिक समस्थानिक हैं-यूरेनियम-234 (U-234), यूरेनियम-235 (U-235) और यूरेनियम-238 (U-238)। U-238 सबसे आम समस्थानिक है, जो पृथ्वी पर पाए जाने वाले प्राकृतिक यूरेनियम का लगभग 99 प्रतिशत है। अधिकांश परमाणु रिएक्टर U-235 युक्त ईंधन का उपयोग करते हैं।यूरेनियम के गाढ़े रूप का रिएक्टरों में होता है इस्तेमाल
हालांकि, प्राकृतिक यूरेनियम में आमतौर पर केवल 0.72 प्रतिशत U-235 होता है और अधिकांश रिएक्टरों को अपने ईंधन में इस समस्थानिक के हाई कंसंट्रेशन यानी गाढ़े रूप में जरूरत होती है। यही वजह है कि संवर्धन प्रॉसेस से U-235 सांद्रता को कृत्रिम तरीके से बढ़ाया जाता है। परमाणु हथियार बनाने में भी इसी संवर्धन प्रॉसेस की जरूरत पड़ती है।कैसे बनाए जाते हैं परमाणु बम, किसकी होती है जरूरत
ईरान या किसी भी देश को यूरेनियम से परमाणु बम बनाने के लिए दो प्रमुख तत्वों की आवश्यकता होगी। पर्याप्त मात्रा में उच्च संवर्धित यूरेनियम और हजारों सेंट्रीफ्यूज। यूरेनियम का संवर्धन खनन किए गए यूरेनियम से परमाणु ईंधन बनाने के लिए यूरेनियम-235 की मात्रा बढ़ाने की प्रक्रिया है।प्राकृतिक यूरेनियम में यूरेनियम-238 की मात्रा लगभग 99.3% और यूरेनियम-235 की मात्रा लगभग 0.7% होती है। यूरेनियम-235 का इस्तेमाल परमाणु ऊर्जा या परमाणु विस्फोटक बनाने के लिए किया जा सकता है। आगे बढ़ने से पहले नीचे दिए मैप से जानते हैं कि भारत में यूरेनियम का भंडार कहां है।
क्या होता है यूरेनियम संवर्धन, इसका प्रॉसेस क्या है
प्राकृतिक यूरेनियम में 0.7% यू-235 आइसोटोप होता है। शेष 99.3% में अधिकतर यू-238 आइसोटोप होता है जो परमाणु बम या परमाणु रिएक्टरों की विखंडन प्रक्रिया में रोल नहीं निभाता है। यूरेनियम संवर्धन में प्राकृतिक यूरेनियम में मौजूद यूरेनियम-235 की मात्रा बढ़ाई जाती है।व्यावसायिक रूप से यूरेनियम-235 आइसोटोप को 3 से 5% (प्राकृतिक अवस्था 0.7% से) तक समृद्ध किया जाता है और फिर परमाणु ईंधन बनाने के लिए 20 फीसदी तक संसाधित किया जाता है। यूरेनियम संवर्धन के लिए यूरेनियम को पहले यूरेनियम हेक्साफ़्लोराइड (UF6) में बदला जाता है। इसके बाद, सेंट्रीफ्यूजेशन या गैस प्रसार की मदद से यूरेनियम-235 को अलग किया जाता है।
खदान से निकालने के बाद यूरेनियम का क्या होता है
यूरेनियम को समृद्ध करने से पहले इसे जमीन से खनन करना, पीसना और रासायनिक रूप से संसाधित करना आवश्यक है। प्राकृतिक यूरेनियम अयस्क का खनन पृथ्वी की पपड़ी से किया जाता है। ऑस्ट्रेलिया, कजाखस्तान, रूस, कनाडा और नाइजर जैसे इन 5 देशों के पास यूरेनियम अयस्क की ज्ञात आपूर्ति का 65% हिस्सा है। खनन किए गए यूरेनियम अयस्क की चट्टान को पीसा जाता है। इससे यूरेनियम को अलग किया जाता है, जिसे मिलिंग कहा जाता है।यलोकेक से ही तैयार होता है यूरेनियम
इस प्रक्रिया में यूरेनियम ऑक्साइड सांद्र रूप में (U3O8) बनता है, जिसे आमतौर पर येलोकेक कहा जाता है। इस येलोकेक को ट्रांसफॉर्मेशन फैसिलिटी में ले जाया जाता है, जहां अशुद्धियां हटा दी जाती है। इसके बाद यूरेनियम को फ्लोरीन के साथ मिलाकर यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड (UF6) बनाया जाता है, जो संवर्धन के लिए उपयुक्त गैस है। मौजूदा वक्त में सबसे आम और कुशल संवर्धन विधि गैस सेंट्रीफ्यूज के तरीके का इस्तेमाल है।
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