क्या खामेनेई को मोसाद ने दिया जहर या बेटे ने हथियाई कुर्सी, कैसे होता है ईरानी सुप्रीम लीडर का चुनाव?

नई दिल्ली: ईरान के सर्वोच्च नेता 85 वर्षीय अयातुल्ला अली खामेनेई गंभीर रूप से बीमार हैं। ऐसे में यह दावा किया जा रहा है कि खामेनेई ने अपने दूसरे बेटे मोजतबा खामेनेई को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया है। माना जा रहा है कि अपनी मौत से पहले ही खामे

4 1 4
Read Time5 Minute, 17 Second

नई दिल्ली: ईरान के सर्वोच्च नेता 85 वर्षीय अयातुल्ला अली खामेनेई गंभीर रूप से बीमार हैं। ऐसे में यह दावा किया जा रहा है कि खामेनेई ने अपने दूसरे बेटे मोजतबा खामेनेई को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया है। माना जा रहा है कि अपनी मौत से पहले ही खामेनेई सुप्रीम लीडर का पद छोड़ सकते हैं। वहीं, सोशल मीडिया पर ये अफवाहें भी चल रही है कि खामेनेई कोमा में हैं, या उन्हें जहर दिया गया है। कुछ का तो यह भी दावा है कि इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद ने उन्हें एक ऑपरेशन के तहत जहर दे दिया है।
यह भी अफवाहें हैं कि बेटे मोजतबा ने ही सुप्रीम लीडर की गद्दी जबरन हथिया ली है। हालांकि, इन बातों में कोई आधिकारिक सच्चाई नहीं पता नहीं चल पाई है, क्योंकि किसी भी आधिकारिक एजेंसी ने ऐसा कोई दावा नहीं किया है। जानते हैं इन अफवाहों का बाजार क्यों गर्म हो गया है और ईरान में सुप्रीम लीडर का चुनाव कैसे होता है?

इब्राहिम रईसी की मौत के बाद अटकलें ज्यादा बढ़ीं

दरअसल, पहले भी खामेनेई के उत्तराधिकार को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो चुका है। मोजतबा की संभावित उम्मीदवारी पर संदेह देखने को मिल रहा है। मोजतबा मध्यम स्तर के मौलवी हैं और शियाओं के पवित्र शहर कोम में एक मदरसा में धार्मिक शिक्षा देते हैं। वह इराक-ईरान युद्ध में भी सेवा दे चुके हैं। पहले ऐसी खबरें थीं कि खामेनेई ने अपने बेटे की उम्मीदवारी का विरोध करने का संकेत दिया है, क्योंकि वो देश में वंशानुगत सिस्टम को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं। मगर, सुप्रीम लीडर की रेस में सबसे आगे रहे राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के बाद ये अटकलें लगाई जा रही थीं कि मोजतबा के लिए आगे की राह आसान हो गई है।
iran ibrahim raisi


एक महीने से ज्यादा वक्त तक क्यों छिपाई गई ये खबर

इजरायली Ynetnews के अनुसार, ईरान की असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स के 60 सदस्यों को 26 सितंबर को काफी गोपनीयता के बीच अली खामेनेई के उत्तराधिकार पर फौरन निर्णय लेने के लिए बुलाया गया था। इस दौरान खामेनेई और उनके सहयोगियों के दबाव के कारण कमेटी ने मोजतबा के उत्तराधिकार पर सर्वसम्मति से सहमति जताई थी। साथ ही गोपनीयता बनाए रखने के लिए कमेटी में शामिल सदस्यों को धमकाया भी गया।


सुप्रीम लीडर की ईरान में क्या भूमिका होती है

मध्य पूर्व एशिया के ताकतवर देश ईरान शिया बहुल है, जहां सुप्रीम लीडर को सबसे बड़ा धर्मगुरु माना जाता है। पद के अनुसार, ईरान में सुप्रीम लीडर का फैसला अंतिम होता है। वह राष्ट्रपति से भी बड़ा माना जाता है। वह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय विदेश नीतियों के लिए भी जिम्मेदार होता है। 1989 से सुप्रीम लीडर की कमान संभाल रहे खामेनेई देश के सभी जरूरी मामलों का फैसला खुद ही करते आ रहे हैं।

क्या मरते दम तक कोई बना रह सकता है सुप्रीम लीडर

ईरान के सुप्रीम लीडर न्यायपालिका के मामले में भी अंतिम फैसला दे सकते हैं। वह सेना का सर्वोच्च कमांडर भी होता है। उसे लोगों को नियुक्त करने या उन्हें बर्खास्त करने की पॉवर होती है। कोई भी सुप्रीम लीडर आजीवन या मृत्यु अथवा बर्खास्त होने तक पद पर बना रह सकता है। ऐसे में खामेनेई अपने जीवनकाल में ही कथित रूप से अपने बेटे को उत्तराधिकारी बनाना चाह रहे हैं।

इस्लामी क्रांति के बाद बना था सुप्रीम लीडर का पद

ईरान में 1979 की इस्लामिक क्रांति से पहलवी राजवंश के पतन के सुप्रीम लीडर का पद बनाया गया था। महज, पुरुष ही सुप्रीम लीडर बन सकते हैं। पहले सुप्रीम लीडर इस्लामिक रिपब्लिक ईरान के संस्थापक अयातुल्ला रुहोल्लाह खामेनेई बने थे। उनके निधन के बाद 1989 में अयातुल्ला अली खामेनेई ईरान के दूसरे सुप्रीम लीडर चुने गए।

गार्जियन काउंसिल की निगरानी करता है सुप्रीम लीडर

ईरान के सुप्रीम लीडर गार्जियन काउंसिल की भी निगरानी करता है, जिसके पास चुनावी उम्मीदवारों की जांच करने और संसदीय कानून को वीटो करने की शक्ति है। इस क्षमता में सर्वोच्च नेता का विदेश नीति और घरेलू नीति के विभिन्न क्षेत्रों पर अंतिम अधिकार होता है।

सुप्रीम लीडर चुने जाने का प्रॉसेस क्या होता है, क्या है नियम

ईरान में इस्लामी विद्वानों का 88 सदस्यीय एक समूह होता है। ये समूह ही सुप्रीम लीडर के नाम पर अंतिम मुहर लगाता है। इस समूह को एक्सपर्ट असेंबली कहा जाता है। इनके सदस्यों के लिए हर 8 साल में चुनाव होता है, जिनका चुनाव ईरानी जनता करती है। असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स चुनाव में उम्मीदवार कौन प्रत्याशी होंगे, यह गार्जियन काउंसिल नाम की कमेटी तय करती है। इस गार्जियन काउंसिल के ऊपर सुप्रीम लीडर होता है, जिसका इन सबमें दखल होता है।

गार्जियन काउंसिल के सदस्यों के चुनाव में सुप्रीम लीडर का हाथ

गार्जियन काउंसिल संसद यानी मजलिस की गतिविधियों की देखरेख करती है। गार्जियन काउंसिल के सदस्यों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर सुप्रीम लीडर ही चुनते हैं। इसके 12 सदस्यों में से 6 की नियुक्ति सीधे तौर पर सुप्रीम लीडर करता है। सुप्रीम लीडर का असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स और गार्जियन काउंसिल दोनों में ही बहुत ज्यादा दखल होता है। खामेनेई ने अपने इशारे पर काम करने वाले इस्लामी कट्टरपंथियों को ही गार्जियन काउंसिल के लिए चुना है।

अयातुल्लाह कौन होते हैं, क्या होते हैं अधिकार

ईरान के पहले सुप्रीम लीडर खुमैनी एक क्रांतिकारी और करिश्माई नेता थे। खुमैनी एक महान अयातुल्लाह और अनुकरण के सोर्स माने जाते थे, जिन्हें मरजा अल-तक्लिद कहा जाता था। ईरान के शरिया कानून के अनुसार, अयातुल्लाह कुछ चुनिंदा मौलवी होते हैं, जिसे 'ईश्वर का संकेत' माना जाता है। इन मौलवियों के पास अपने सामान्य अनुयायियों और निचले स्तर के मौलवियों के लिए कानूनी निर्णय लेने का अधिकार है।

जब खामेनेई ने सुप्रीम लीडर बनने के लिए बदलाया नियम

ईरान में इस्लामी शरिया कानून लागू है। इसके मुताबिक, सुप्रीम लीडर बनने के लिए अयातुल्लाह होना जरूरी है। ऐसे में शीर्ष स्तर के धर्मगुरु को ही यह पद दिया जा सकता है। मगर, जब खामेनेई को सुप्रीम लीडर बनाया गया था, तब वे अयातुल्लाह नहीं थे। ऐसे में कहा जाता है कि तब खामेनेई ने सुप्रीम लीडर बनने के लिए खुद नियमों को बदलवा दिया था। दरअसल, तब खामेनेई निचले स्तर के मौलवी थे।

ईरान के राष्ट्रपति की हत्या के भी लगे थे आरोप

मोसाद पर इसी साल ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर हादसे में हुई मौत के बाद हत्या के आरोप लगे। तेहरान में मोसाद के खिलाफ जमकर प्रदर्शन भी हुए थे। हालांकि, इजरायल ने खुद बयान जारी कर इस हादसे में अपनी किसी भी भूमिका से इनकार किया था।

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

PM Awas Yojana: भागलपुर में 7,779 परिवारों को मिला आवास का लाभ, 48 हजार अभी भी इंतजार में

नवनीत मिश्र, भागलपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) से वंचित एक बड़े वर्ग को आवास के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now