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पिथौरागढ़: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में दूर-दराज के एक गांव में अकेले ही जीवनयापन कर रही 80 साल की बुजुर्ग महिला के जीवन पर फिल्म बन गई है। पहाड़ों से पलायन के कारण वीरान हो चुके घोस्ट विलेज यानी भुतहा गांव की पृष्ठभूमि पर बनी पायर नामक इस मूवी को फिल्म निर्माता विनोद कापड़ी ने प्रोड्यूस किया है। यूरोपीय देश एस्टोनिया के तेलिन ब्लैक नाइट इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल में इसका वर्ल्ड प्रीमियर होगा।यह फिल्म पिथौरागढ़ के बेरिनाग ब्लॉक के गडतीर गांव में रहने वाली बुजुर्ग महिला के जीवन को केंद्र में रखकर बनी है। 80 साल की हीरा देवी अब सिल्वर स्क्रीन पर दिखेंगी। कापड़ी ने बताया कि पायर फिल्म 80 साल के बुजुर्ग जोड़े की प्रेम कहानी है, जिसमें पहाड़ी राज्य में पलायन का गंभीर मसला भी शामिल है। प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल में यह भारत की तरफ से एकमात्र आधिकारिक एंट्री होगी।
पिछले कई साल से इस फिल्म की तैयारी में जुटे विनोद कापड़ी को अपने एक मित्र के जरिए बुजुर्ग के बारे में जानकारी मिली। वह अपनी फिल्म में गांव के स्थानीय कलाकार को कास्ट करना चाहते थे और इसके लिए आस-पास के कई गांवों में घूम-घूमकर ऐसे दो लोगों को चुना जो इस रोल में फिट बैठ पाएं। फिल्म में यह जोड़ा अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहा है।
फिल्म में नजर आए पदम सिंह और हीरा देवी दोनों ही उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग तहसील के रहने वाले हैं। पदम एक रिटायर्ड सेना के जवान हैं, जो अब किसान के रूप में काम करते हैं। वहीं हीरा देवी घर पर ही भैंसों की देखभाल करती हैं और जंगल से लकड़ियां और घास इकट्ठा करती हैं।
पिछले कई साल से इस फिल्म की तैयारी में जुटे विनोद कापड़ी को अपने एक मित्र के जरिए बुजुर्ग के बारे में जानकारी मिली। वह अपनी फिल्म में गांव के स्थानीय कलाकार को कास्ट करना चाहते थे और इसके लिए आस-पास के कई गांवों में घूम-घूमकर ऐसे दो लोगों को चुना जो इस रोल में फिट बैठ पाएं। फिल्म में यह जोड़ा अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहा है।
फिल्म में नजर आए पदम सिंह और हीरा देवी दोनों ही उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग तहसील के रहने वाले हैं। पदम एक रिटायर्ड सेना के जवान हैं, जो अब किसान के रूप में काम करते हैं। वहीं हीरा देवी घर पर ही भैंसों की देखभाल करती हैं और जंगल से लकड़ियां और घास इकट्ठा करती हैं।
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