Read Time5
Minute, 17 Second
नई दिल्ली : नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली दिसंबर के पहले हफ्ते में चीन जा रहे हैं। यह पीएम के तौर पर उनका पहला द्विपक्षीय दौरा है। ओली परंपरा को तोड़ते हुए भारत की बजाय पहले चीन जा रहे हैं। अब तक यही परंपरा रही है कि नेपाल के प्रधानमंत्री अपना पहला द्विपक्षीय दौरा भारत ही करते रहे हैं।भारत के साथ संबंधों पर पड़ेगा असर?
परंपरा टूटने से क्या नेपाल और भारत के संबंधों पर असर होगा। इसका जवाब देते हुए नेपाल में रक्षा और विदेश मामलों के सीनियर जर्नलिस्ट परशुराम काफले कहते हैं कि नेपाल को भारत और चीन दोनों से ही बेहतर संबंध रखना चाहिए। अगर भारत के साथ कुछ मुद्दे हैं तो उन्हें सुलझाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने भारत के साथ सहज संबंध बनाने का प्रयास नहीं किया, वह किया जाना चाहिए।
काफले का कहना है कि हमारे और भारत के लोगों का आपसी संबंध है और हमारी सरकार को इसकी अहमियत समझनी चाहिए। हालांकि एक दिन पहले ही ओली ने नेपाल में एक कॉन्क्लेव में कहा कि कोई वजह नहीं है कि भारत के साथ हमारे संबंधों पर नकारात्मक असर पड़े, सिर्फ इसलिए कि भारत की जगह चीन पहले जा रहे हैं। ओली ने कहा कि हमने ये कभी नहीं कहा कि हम भारत नहीं जाएंगे।
काठमांडू में नैरेटिव क्या है?
नेपाल में त्रिभुवन यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर नेपाल एंड एशियन हिस्ट्री के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर मृगेंद्र बहादुर कार्की कहते हैं कि काठमांडू में राजनीतिक और इंटलेक्चुअल सर्कल में दो नेरेटिव चल रहे हैं। पहला यह कि ओली पहले भारत जाने में इंटरेस्टेड थे लेकिन भारत की तरफ से निमंत्रण नहीं मिला।
साथ ही भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के भी नेपाल दौरे पर आने को लेकर भारत की तरफ से कोई संकेत नहीं मिला। जबकि नेपाल मोदी के विजिट का इंतजार कर रहा था। कार्की ने कहा कि दूसरा नेरेटिव ये है कि नेपाल के पीएम परंपरा को तोड़कर नेपाल के राष्ट्रवादी लोगों को संदेश देना चाहते हैं। साथ ही चीन की लीडरशिप भी ओली को इनवाइट करने में इंटरेस्टेड थी।
नेपाल को चीन से क्या मिलेगा?
परशुराम कहते हैं कि नेपाल को चीन के साथ BRI (बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव) को लेकर जो दुविधाएं हैं, उस पर बात करनी है। साथ ही पोखरा एयरपोर्ट के लिए चीन से जो लोन मिला उसे ग्रांट में कंवर्ट करने की बात करनी है। मृगेंद्र बहादुर कार्की कहते हैं कि नेपाली कांग्रेस का BRI को लेकर स्टैंड है कि हम किसी भी देश से ग्रांट ले लेंगे लेकिन नेपाल की आर्थिक स्थिति को देखते हुए लोन नहीं लेंगे। साथ ही उनका ये भी कहना है कि चीन लोन के साथ अपने कॉन्ट्रैक्टर, अपने मजदूर लेकर आता है।
इससे नेपाल की फैसला लेने में अपनी स्वतंत्रता नहीं रहेगी। जबकि नेपाल की लेफ्ट पार्टी देश की संप्रुभता की बात कर रही हैं और कह रही हैं कि बीआरआई सिर्फ आर्थिक सवाल नहीं है। उनका कहना है कि अगर ग्रांट नहीं मिलती है तो लोन स्वीकार करना चाहिए। कार्की ने कहा कि हमारी विदेश मंत्री ने भी साफ किया है कि बीआरआई को लेकर देश में बहस होनी चाहिए और फिर फैसला होना चाहिए।
कैसे रिएक्ट करेगा भारत
नेपाल में लोगों का मानना है कि नेपाल के पीएम के चीन पहले जाने से भारत के साथ रिश्तों पर क्या असर होगा, ये इस पर तय होगा कि भारत इसे लेकर कैसे रिएक्ट करता है। पहले ही नेपाल और भारत के बीच गोरखा सैनिकों का मसला पेंडिंग है। इस पर अब बात भी नहीं हो रही है। जबसे भारत ने सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ स्कीम लागू की और अग्निपथ के तहत अग्निवीरों की भर्ती हो रही है।
इसके बाद से नेपाल के गोरखा सेना में आने बंद हो गए हैं। नेपाल ने कहा था कि वह पहले की तरह ही भर्ती होने पर अपने युवाओं को भेजेगा। इसे लेकर फिर न तो भारत की तरफ से और न ही नेपाल की तरफ से कोई बात की गई।
भारत के साथ संबंधों पर पड़ेगा असर?
परंपरा टूटने से क्या नेपाल और भारत के संबंधों पर असर होगा। इसका जवाब देते हुए नेपाल में रक्षा और विदेश मामलों के सीनियर जर्नलिस्ट परशुराम काफले कहते हैं कि नेपाल को भारत और चीन दोनों से ही बेहतर संबंध रखना चाहिए। अगर भारत के साथ कुछ मुद्दे हैं तो उन्हें सुलझाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने भारत के साथ सहज संबंध बनाने का प्रयास नहीं किया, वह किया जाना चाहिए।नेपाल को भारत और चीन दोनों से ही बेहतर संबंध रखना चाहिए। अगर भारत के साथ कुछ मुद्दे हैं तो उन्हें सुलझाया जाना चाहिए। हमारे और भारत के लोगों का आपसी संबंध है और हमारी सरकार को इसकी अहमियत समझनी चाहिए।
काफले का कहना है कि हमारे और भारत के लोगों का आपसी संबंध है और हमारी सरकार को इसकी अहमियत समझनी चाहिए। हालांकि एक दिन पहले ही ओली ने नेपाल में एक कॉन्क्लेव में कहा कि कोई वजह नहीं है कि भारत के साथ हमारे संबंधों पर नकारात्मक असर पड़े, सिर्फ इसलिए कि भारत की जगह चीन पहले जा रहे हैं। ओली ने कहा कि हमने ये कभी नहीं कहा कि हम भारत नहीं जाएंगे।
काठमांडू में नैरेटिव क्या है?
नेपाल में त्रिभुवन यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर नेपाल एंड एशियन हिस्ट्री के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर मृगेंद्र बहादुर कार्की कहते हैं कि काठमांडू में राजनीतिक और इंटलेक्चुअल सर्कल में दो नेरेटिव चल रहे हैं। पहला यह कि ओली पहले भारत जाने में इंटरेस्टेड थे लेकिन भारत की तरफ से निमंत्रण नहीं मिला।साथ ही भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के भी नेपाल दौरे पर आने को लेकर भारत की तरफ से कोई संकेत नहीं मिला। जबकि नेपाल मोदी के विजिट का इंतजार कर रहा था। कार्की ने कहा कि दूसरा नेरेटिव ये है कि नेपाल के पीएम परंपरा को तोड़कर नेपाल के राष्ट्रवादी लोगों को संदेश देना चाहते हैं। साथ ही चीन की लीडरशिप भी ओली को इनवाइट करने में इंटरेस्टेड थी।
नेपाल को चीन से क्या मिलेगा?
परशुराम कहते हैं कि नेपाल को चीन के साथ BRI (बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव) को लेकर जो दुविधाएं हैं, उस पर बात करनी है। साथ ही पोखरा एयरपोर्ट के लिए चीन से जो लोन मिला उसे ग्रांट में कंवर्ट करने की बात करनी है। मृगेंद्र बहादुर कार्की कहते हैं कि नेपाली कांग्रेस का BRI को लेकर स्टैंड है कि हम किसी भी देश से ग्रांट ले लेंगे लेकिन नेपाल की आर्थिक स्थिति को देखते हुए लोन नहीं लेंगे। साथ ही उनका ये भी कहना है कि चीन लोन के साथ अपने कॉन्ट्रैक्टर, अपने मजदूर लेकर आता है।इससे नेपाल की फैसला लेने में अपनी स्वतंत्रता नहीं रहेगी। जबकि नेपाल की लेफ्ट पार्टी देश की संप्रुभता की बात कर रही हैं और कह रही हैं कि बीआरआई सिर्फ आर्थिक सवाल नहीं है। उनका कहना है कि अगर ग्रांट नहीं मिलती है तो लोन स्वीकार करना चाहिए। कार्की ने कहा कि हमारी विदेश मंत्री ने भी साफ किया है कि बीआरआई को लेकर देश में बहस होनी चाहिए और फिर फैसला होना चाहिए।
कैसे रिएक्ट करेगा भारत
नेपाल में लोगों का मानना है कि नेपाल के पीएम के चीन पहले जाने से भारत के साथ रिश्तों पर क्या असर होगा, ये इस पर तय होगा कि भारत इसे लेकर कैसे रिएक्ट करता है। पहले ही नेपाल और भारत के बीच गोरखा सैनिकों का मसला पेंडिंग है। इस पर अब बात भी नहीं हो रही है। जबसे भारत ने सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ स्कीम लागू की और अग्निपथ के तहत अग्निवीरों की भर्ती हो रही है।इसके बाद से नेपाल के गोरखा सेना में आने बंद हो गए हैं। नेपाल ने कहा था कि वह पहले की तरह ही भर्ती होने पर अपने युवाओं को भेजेगा। इसे लेकर फिर न तो भारत की तरफ से और न ही नेपाल की तरफ से कोई बात की गई।
+91 120 4319808|9470846577
स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.