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नई दिल्ली: एआई चिप बनाने वाली अमेरिकी कंपनी एनवीडिया आजकल फिर सुर्खियों में है। यह ऐपल को पछाड़कर दुनिया की सबसे वैल्यूएबल कंपनी बन गई है। इसका मार्केट कैप 3.648 ट्रिलियन डॉलर पहुंच गया है जो दुनिया के अधिकांश देशों की जीडीपी (GDP) से ज्यादा है। इस कंपनी का मार्केट कैप भारत की सबसे वैल्यूएबल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज से 18 गुना है। पिछले 12 महीनों में एनवीडिया के मार्केट कैप में 2.4 ट्रिलियन डॉलर का इजाफा हुआ है। पिछले 25 साल में इसका शेयर 250,000 परसेंट से अधिक उछला है। इसके फाउंडर और सीईओ जेंसन हुआंग दुनिया के 11वें सबसे अमीर शख्स हैं। उनकी नेटवर्थ में 127 अरब डॉलर है। इस साल इसमें 82.8 अरब डॉलर की तेजी आई है। कुछ साल पहले तक एनवीडिया और हुआंग का नाम कम ही लोगों को पता था। एक नजर हुआंग के उनके करियर पर...हुआंग का जन्म साल 1963 में ताइवान में हुआ था। उनका बचपन ताइवान के अलावा थाईलैंड में गुजरा। साल 1973 में उनके माता-पिता ने उन्हें अमेरिका में अपने रिश्तेदारों के पास भेज दिया था और फिर कुछ दिन बाद वे भी अमेरिका आ गए थे। Nvidia की स्थापना अप्रैल 1993 में हुई थी। शुरुआत में यह कंपनी वीडियो-गेम ग्राफिक्स चिप्स बनाती थी। जब कंपनी का शेयर 100 डॉलर पर पहुंचा था तो हुआंग ने अपने बाजू पर कंपनी के लोगो का टैटू बनवाया था। एनवीडिया में अब उनकी 3.5% हिस्सेदारी है।
कोरोना बना वरदान
कोरोना काल इस कंपनी के लिए वरदान बनकर आया। इस दौरान एनवीडिया के शेयरों में भारी तेजी आई। क्रिप्टो बूम के कारण इसके माइनिंग में चिप के इस्तेमाल में तेजी आई। लेकिन फिर कंपनी के शेयरों की कीमत दो-तिहाई गिर गई थी। लेकिन एआई का चलन बढ़ने से फिर कंपनी के दिन फिरने लगे। हुआंग का कहना है कि एआई कंप्यूटर क्रांति की अगुवाई कर रहा है। इसे इस्तेमाल करना आसान है, इसलिए यह तेजी से बढ़ रही है। आने वाले दिनों में कोई भी इंडस्ट्री इससे अछूती नहीं रहेगी। दुनियाभर की कंपनियां ज्यादा पावरफुल कंप्यूटरों का रुख कर रहे हैं जो चैटजीपीटी जैसे जेनरेटिव एआई को हैंडल कर सकें।
माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी बड़ी-बड़ी टेक कंपनियों में एनवीडिया से ज्यादा से ज्यादा चिप लेने की होड़ मची है। साथ ही सऊदी अरब और यूएई भी कंपनी से हजारों चिप खरीद रहे हैं। इतना ही नहीं चीन की कंपनियां टेंसेट और अलीबाबा भी एनवीडिया के दरवाजे पर खड़ी हैं। साफ है कि एनवीडिया के चिप की दुनिया में मांग तेजी से बढ़ रही है। चैटबॉट और दूसरे टूल्स के बढ़ते चलन के कारण आने वाले दिनों में इसमें और तेजी आने की उम्मीद है। पिछले साल कंपनी के प्रॉफिट में 628% और रेवेन्यू में 268% तेजी आई।
कोरोना बना वरदान
कोरोना काल इस कंपनी के लिए वरदान बनकर आया। इस दौरान एनवीडिया के शेयरों में भारी तेजी आई। क्रिप्टो बूम के कारण इसके माइनिंग में चिप के इस्तेमाल में तेजी आई। लेकिन फिर कंपनी के शेयरों की कीमत दो-तिहाई गिर गई थी। लेकिन एआई का चलन बढ़ने से फिर कंपनी के दिन फिरने लगे। हुआंग का कहना है कि एआई कंप्यूटर क्रांति की अगुवाई कर रहा है। इसे इस्तेमाल करना आसान है, इसलिए यह तेजी से बढ़ रही है। आने वाले दिनों में कोई भी इंडस्ट्री इससे अछूती नहीं रहेगी। दुनियाभर की कंपनियां ज्यादा पावरफुल कंप्यूटरों का रुख कर रहे हैं जो चैटजीपीटी जैसे जेनरेटिव एआई को हैंडल कर सकें।माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी बड़ी-बड़ी टेक कंपनियों में एनवीडिया से ज्यादा से ज्यादा चिप लेने की होड़ मची है। साथ ही सऊदी अरब और यूएई भी कंपनी से हजारों चिप खरीद रहे हैं। इतना ही नहीं चीन की कंपनियां टेंसेट और अलीबाबा भी एनवीडिया के दरवाजे पर खड़ी हैं। साफ है कि एनवीडिया के चिप की दुनिया में मांग तेजी से बढ़ रही है। चैटबॉट और दूसरे टूल्स के बढ़ते चलन के कारण आने वाले दिनों में इसमें और तेजी आने की उम्मीद है। पिछले साल कंपनी के प्रॉफिट में 628% और रेवेन्यू में 268% तेजी आई।
काम करने का तरीका
हुआंग का कहना है कि उनका काम सुबह छह बजे शुरू होता है। वह रोजाना 14 घंटे काम करते हैं। छुट्टियों और वीकेंड पर भी काम करते हैं। वह मानते हैं कि दुनिया में कुछ हासिल करने के लिए संघर्ष करना जरूरी है। कर्मचारियों से कनेक्ट होने के लिए वह कैफे में ही खाना खाते हैं। वह याद करते हैं कि 1990 के दशक के अंत में कंपनी दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई थी लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अपनी मेहनत और लगन के दम पर हुआंन ने एनवीडिया को आज दुनिया की टॉप वैल्यूएबल कंपनी बना दिया।
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