हवा में हुई साजिश और दो तूफानों ने मिलकर साइक्लोन दाना का गला दबा दिया! अनोखे मर्डर की कहानी हैरान कर देगी

नई दिल्ली: ये किसी आश्चर्य से कम नहीं! लोहा लोहे को काटता है, ये तो जानते ही हैं, अब ये भी जान लीजिए कि तूफान ने तूफान को काट दिया। जी हां, यूं कहें कि दो तूफानों में मिलकर साइक्लोन दाना की गला दबाकर हत्या कर दी। यह अनोखा हत्या कांड हुआ है ओडिशा

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नई दिल्ली: ये किसी आश्चर्य से कम नहीं! लोहा लोहे को काटता है, ये तो जानते ही हैं, अब ये भी जान लीजिए कि तूफान ने तूफान को काट दिया। जी हां, यूं कहें कि दो तूफानों में मिलकर साइक्लोन दाना की गला दबाकर हत्या कर दी। यह अनोखा हत्या कांड हुआ है ओडिशा में जहां जंगल ने चक्रवात दाना से लड़कर उसकी ताकत घटा दी और वह पस्त हुआ तो एंटीसाइक्लोन का शिकार हो गया। आखिरकार दो एंटीसाइक्लोन की संयुक्त शक्ति का शिकार हो गंभीर चक्रवात दाना बेमौत मारा गया। एंटीसाइक्लोन उच्च दबाव वाले क्षेत्र होते हैं। इन दोनों ने दाना को दोनों तरफ से दबा दिया और उसकी ताकत कम कर दी। चक्रवात के कारण ओडिशा में कोई जनहानि नहीं हुई। मुख्यमंत्री ने प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए टीम वर्क और भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद को श्रेय दिया।

...और बाल-बाल बच गया ओडिशा

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के वैज्ञानिकों ने बताया कि दो एंटीसाइक्लोन ने चक्रवात दाना को कमजोर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उच्च दबाव की स्थिति में हवा की गति की विशेषता रखने वाले इन एंटीसाइक्लोन ने चक्रवाती प्रणाली के लिए एक विपरीत शक्ति के रूप में काम किया। इन्होंने चक्रवात दाना को दोनों ओर से दबाकर गला ही घोंट दिया, जिससे इसे बड़ा विनाश होने से रोका जा सका।

हमने तूफान से एक भी मौत नहीं होने के लक्ष्य को हासिल कर लिया। सरकार ने लगभग छह लाख लोगों को निकाला था, जिसमें मैं खुद व्यक्तिगत रूप से देर रात विशेष राहत आयुक्त के कार्यालय के नियंत्रण कक्ष में स्थिति की निगरानी कर रहा था।
मोहन मांझी, मुख्यमंत्री, ओडिशा

दो एंटीसाइक्लोन ने मिलकर कर दिया मर्डर

दो एंटीसाइक्लोन के जटिल संपर्क के अलावा ओडिशा को चक्रवात दाना के पूर्ण प्रकोप से बचाने में भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान के मैंग्रोव ने भी भूमिका निभाई। गंभीर चक्रवात शुक्रवार को सुबह 1.30 बजे से 3.30 बजे के बीच भितरकनिका में एक पर्यटक शिविर के पास पहुंचा, जिसमें केंद्रपाड़ा में 209 वर्ग किमी मैंग्रोव वन सबसे अधिक प्रभावित हुआ।

मौसम विभाग के वैज्ञानिक उमा शंकर दास ने बताया कि अगर एंटीसाइक्लोन नहीं होते, तो चक्रवात के आने से पहले बहुत ज्यादा बारिश होती, जिससे ओडिशा के कई केंद्रीय जिले प्रभावित होते, जबकि बड़े क्षेत्र में तेज हवाएं महसूस की जातीं। एंटीसाइक्लोन ने चक्रवात को सीमित कर दिया। उन्होंने कहा कि केवल उत्तरी ओडिशा के बालासोर, भद्रक और मयूरभंज जिलों में भारी वर्षा हुई।

मौसम विशेषज्ञों ने कहा कि अरब सागर के ऊपर एक सक्रिय एंटीसाइक्लोन के प्रभाव के कारण तूफान के बाईं ओर उत्तर-उत्तर-पश्चिम से शुष्क वायुप्रवाह का एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। इसी तरह, तूफान के पूर्वी हिस्से में भी एक सक्रिय एंटीसाइक्लोन क्षेत्र मौजूद था, जिससे दाईं ओर से इसके प्रभाव का क्षेत्र कम हो गया। उन्होंने कहा कि चक्रवात दाना इन दो एंटीसाइक्लोन के बीच केंद्रित था और उत्तर की ओर बढ़ गया, जो एक छोटे से क्षेत्र में फैल गया।

जंगल ने भी किया चक्रवात दाना को पस्त

एंटीसाइक्लोन ने यह भी सुनिश्चित किया कि चक्रवात के मार्ग में कोई बदलाव न हो, जिससे यह अधिक अनुमानित हो गया, जिससे अधिक निश्चितता के साथ निवारक उपाय करने में मदद मिली। भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान के संभागीय वन अधिकारी सुदर्शन यादव लैंडफॉल पॉइंट के पास देखे गए न्यूनतम नुकसान से चकित थे। उन्होंने कहा कि चक्रवातों के प्रभाव को कम करने में मैंग्रोव वनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

जून में ओडिशा का मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद मोहन मांझी ने पहली बड़ी प्राकृतिक आपदा का सामना किया। उन्होंने कहा, 'हमने तूफान से एक भी मौत नहीं होने के लक्ष्य को हासिल कर लिया। उन्होंने बताया कि सरकार ने लगभग छह लाख लोगों को निकाला था, जिसमें वो खुद व्यक्तिगत रूप से देर रात विशेष राहत आयुक्त के कार्यालय के नियंत्रण कक्ष में स्थिति की निगरानी कर रहे थे।

आईएमडी भुवनेश्वर की निदेशक मनोरमा मोहंती ने कहा कि जब चक्रवात तट को पार कर गया तो 110 किमी से 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं और भारी बारिश हुई। हवा की गति घटकर 60 से 80 किमी प्रति घंटे रह गई। उन्होंने बताया, 'यह कमजोर होकर डिप्रेशन में बदल गया और ओडिशा के कई उत्तरी जिलों में भारी बारिश जारी है। शनिवार तक बारिश की गतिविधियां कम हो जाएंगी।'

अगर एंटीसाइक्लोन नहीं होते तो चक्रवात के आने से पहले बहुत ज्यादा बारिश होती, जिससे ओडिशा के कई केंद्रीय जिले प्रभावित होते, जबकि बड़े क्षेत्र में तेज हवाएं महसूस की जातीं।
उमा शंकर दास, मौसम विभाग के वैज्ञानिक

मौसम विभाग का अलर्ट

खगोलीय ज्वार से एक से दो मीटर ऊंची अधिकतम तूफानी लहरों ने ओडिशा के केंद्रपाड़ा और भद्रक जिलों के निचले इलाकों को जलमग्न कर दिया। कई पेड़ उखड़ गए और तेज हवाओं और भारी बारिश से कच्चे मकान क्षतिग्रस्त हो गए। भद्रक जिले के चांदबाली में शुक्रवार को सुबह 8.30 बजे बारिश समाप्त हुई। बीत 24 घंटों में वहां सबसे अधिक 158.6 मिमी बारिश दर्ज की गई। वहीं, केंद्रपाड़ा, भद्रक और मयूरभंज जिलों में सात अन्य स्थानों पर इस दौरान 100 मिमी से अधिक बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग ने दाना के टकराने के बाद अगले 24 घंटों के लिए बालासोर, भद्रक और मयूरभंज जिलों में भारी बारिश के लिए रेड अलर्ट जारी किया।

केंद्रपाड़ा जिले के बांकुअल गांव की रहने वाली 82 वर्षीय बुजुर्ग महिला हेमावती नायक की गुरुवार रात राजनगर प्रखंड के एक चक्रवात आश्रय में मृत्यु हो गई। प्रखंड विकास अधिकारी निशांत मिश्रा ने कहा, 'मौत का चक्रवात से कोई लेनादेना नहीं था।' दावा किया जा रहा है कि बुजुर्ग को दिल का दौरा पड़ा था।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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