बांग्‍लादेश ने मारी पैरों पर कुल्‍हाड़ी, भारत को मिला मौका... एक झटके में कैसे शिफ्ट हो गया मार्केट?

नई दिल्‍ली: बांग्लादेश के गारमेंट सेक्‍टर को लेकर चिंता बढ़ी है। इसने भारत को अपनी पैठ बनाने का मौका दिया है। भारत कपड़े बनाने वाला एक भरोसेमंद देश बनकर उभर रहा है। अमेरिकी कंपनियां भारत के राजनीतिक माहौल को स्थिर मानती हैं। वे यहां से कपड़े मंग

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नई दिल्‍ली: बांग्लादेश के गारमेंट सेक्‍टर को लेकर चिंता बढ़ी है। इसने भारत को अपनी पैठ बनाने का मौका दिया है। भारत कपड़े बनाने वाला एक भरोसेमंद देश बनकर उभर रहा है। अमेरिकी कंपनियां भारत के राजनीतिक माहौल को स्थिर मानती हैं। वे यहां से कपड़े मंगाने में सहूलियत देखती हैं। भारत से ज्यादातर कॉटन के कपड़े अमेरिका जाते हैं। हालांकि, देश में मजदूरी की बढ़ती लागत, छोटे कारखाने और महंगा परिवहन चिंता का विषय हैं। अमेरिका के एक बड़े संस्थान USITC ने यह बात कही है। उसने बताया है कि चीन से अमेरिका जाने वाले कपड़ों का कारोबार कम हुआ है। इसका फायदा वियतनाम और भारत जैसे देशों को हुआ है।
अमेरिका अब भारत से कपड़े खरीदना पसंद कर रहा है। बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के कारण अमेरिकी कंपनियां भारत की तरफ देख रही हैं। भारत में राजनीतिक स्थिरता होने से उत्पादन और डिलीवरी स्‍मूथ है। अमेरिकी खरीदार भारत को विश्वसनीय मानते हैं।

चीन की ह‍िस्‍सेदारी में ग‍िरावट

अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार आयोग (ITC) ने अपनी रिपोर्ट में बांग्लादेश, पाकिस्तान, इंडोनेशिया और कंबोडिया जैसे देशों का जिक्र किया है। इन सभी देशों ने पिछले कुछ सालों में चीन से आगे निकलकर अमेरिका को कपड़े बेचने में बढ़त हासिल की। खास बात यह है कि 2013 में अमेरिका जितने भी कपड़े आयात करता था, उसमें से 37.7% कपड़े चीन से आते थे। लेकिन, यह आंकड़ा 2023 में घटकर 21.3% रह गया है।

इसी दौरान भारत का हिस्सा 4% से बढ़कर 5.8% हो गया है। पिछले साल भारत ने अमेरिका को 4.6 अरब डॉलर के कपड़े निर्यात किए थे। यानी अमेरिका भारतीय कपड़ों का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। लेकिन, सबसे ज्यादा फायदा वियतनाम को हुआ है। वियतनाम ने पिछले एक दशक में अपना हिस्सा 10% से बढ़ाकर 17.8% कर लिया है।

भारत से कपड़े लेना पसंद कर रही हैं अमेरिकी कंपन‍ियां

बांग्‍लादेश या किसी और एशियाई देश की तुलना में अमेरिकी कंपनियां अब भारत से कपड़े लेना पसंद कर रही हैं। राजनीतिक स्थिरता इसका प्रमुख कारण है। यूएसआईटीसी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत कॉटन के कपड़ों के मामले में काफी आगे है। इसकी वजह है भारत में कच्चे माल की उपलब्धता। यानी यहां धागे से लेकर कपड़ा बनाने तक की पूरी प्रक्रिया होती है। इस वजह से अमेरिकी कंपनियां भारत को एक भरोसेमंद सप्लायर मानती हैं।

भारत जितने भी कपड़े निर्यात करता है, उसका एक तिहाई हिस्सा अमेरिका जाता है। यह अमेरिका को कपड़े सप्लाई करने वाला दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है। लेकिन, भारत को मजदूरी लागत, उत्पादन क्षमता और मैन्यूफैक्चर्ड फाइबर (MMF) से बने उत्पादों से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करना होगा। तभी निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी।

कुल मिलाकर, बदलते वैश्विक व्यापार परिदृश्य के बीच भारतीय परिधान उद्योग अपनी ताकत का फायदा उठाने के लिए उत्सुक है। भारत की कपड़ा कंपनियां बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने और एक विश्वसनीय उच्च-गुणवत्ता वाले सप्लायर के रूप में अपनी प्रतिष्ठा को मजबूत करना चाहती हैं।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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