अखिलेश ने क्यों किया सभी सीटों पर उपचुनाव लड़ने का ऐलान? 4 महीने में ही बिगड़ गई इंडिया की चाल

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 9 सीटों पर होने जा रहे विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनीति गरमाती दिख रही है। यूपी विधानसभा चुनाव 2027 के पहले प्रदेश में हो रहे इस बड़े चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस अपने-अपने दावे करते दिख रही थी। कांग्रेस जहां इंडि

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 9 सीटों पर होने जा रहे विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनीति गरमाती दिख रही है। यूपी विधानसभा चुनाव 2027 के पहले प्रदेश में हो रहे इस बड़े चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस अपने-अपने दावे करते दिख रही थी। कांग्रेस जहां इंडिया गठबंधन में बराबरी की हिस्सेदारी की मांग और उम्मीद कर रही थी। वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की खराब स्थिति के बाद अखिलेश यादव ने गठबंधन में अपनी स्थिति को मजबूत कर दिया। अब उपचुनाव को लेकर उन्होंने बड़ा ऐलान कर दिया कि पार्टी अकेले ही सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े करेगी। गठबंधन को बरकरार रहने की बात करते हुए उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवारों के सपा के सिंबल पर चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा की है।
यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव का मतदान होने वाला है। अखिलेश यादव ने बुधवार देर रात एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि सभी 9 सीटों पर गठबंधन के उम्मीदवार सपा के पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक लंबी पोस्ट किया। इसके जरिए अखिलेश यादव ने उपचुनाव को लेकर अपनी तरफ से उम्मीदवारों के खड़े करने को लेकर ऐलान किया। सपा प्रमुख को इस कारण अहम माना जा रहा है क्योंकि सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस और सपा में लंबे समय से खींचतान देखी जा रही है। इस बीच अखिलेश यादव का ऐलान यूपी की राजनीति को गरमाता दिख रहा है।

लोकसभा चुनाव ने बदला माहौल

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी इंडिया एलायंस के तहत साथ-साथ आए थे। हालांकि, दोनों दलों के बीच इससे ठीक पहले हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान खींचतान चरम पर दिखी थी। ऐसे में लोकसभा चुनाव के दौरान सपा ने 63 और कांग्रेस ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा। सपा ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए 37 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, कांग्रेस को 6 सीटों पर जीत मिली।

समाजवादी पार्टी की जीत का प्रतिशत लगभग 59 फीसदी रहा। वहीं, कांग्रेस ने दी गई सीटों के 35 फीसदी पर जीत दर्ज करने में सफलता हासिल की। यूपी विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने 5 सीटों की मांग शुरू कर दी थी, लेकिन सपा इस पर तैयार होती नहीं दिखी।

कांग्रेस ने कदम किए पीछे

यूपी विधानसभा उपचुनाव के साथ महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव भी हो रहे हैं। वहां पर महा विकास अघाड़ी में सीटों के बंटवारे पर आखिरी समय में सहमति बनती दिख रही है। अखिलेश यादव वहां 12 सीटों की डिमांड कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस ने यूपी में मिल रही सीटों पर अपनी कमजोर स्थिति को देखते हुए कदम पीछे खींचने का निर्णय लिया। सपा पहले से महाराष्ट्र में पांच सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है। एमवीए के तीनों सहयोगी दलों कांग्रेस, शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट और एनसीपी शरद पवार गुट के बीच 85-85 सीटों पर समझौता होता दिख रहा है। ऐसे में सपा के पाले में कितनी सीटें जाएंगी, यह कांग्रेस तय करेगी।

यूपी में कांग्रेस ने त्याग वाला रुख अपनाय है। इसके पीछे का कारण कांग्रेस की हारी सीटों पर दांव लगाने से बचने की रणनीति माना जा रहा है। दरअसल, अखिलेश यादव ने कांग्रेस के लिए गाजियाबाद सदर और अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट छोड़ी थी। तमाम राजनीतिक रणनीतिकार और कांग्रेस पार्टी भी दोनों को ऐसी सीट मान रही थी, जिसे कांग्रेस के लिए जीतना लगभग नामुमकिन था। भाजपा इन सीटों पर लगातार जीत दर्ज करती रही है।

कांग्रेस ने इस प्रकार की स्थिति को देखते हुए अपने कदम पीछे खींच लिए। पिछले दिनों खबर आई कि अखिलेश यादव और राहुल गांधी के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत हुई। इसमें कांग्रेस को एक और सीट दिए जाने की भी बात कही गई। लेकिन, दोनों दलों के बीच बात नहीं बनी। इससे कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को एक बड़ा संदेश दे दिया है। यह संदेश विधानसभा चुनाव 2027 के लिए भी अहम माना जा रहा है। अखिलेश कांग्रेस उम्मीदवारों के सपा सिंबल पर लड़ने की बात कर गठबंधन में सबकुछ ठीक होने की बात रह रहे हैं।

अखिलेश का जीत वाला मंत्र

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए साफ किया कि बात सीट की नहीं जीत की है। इस रणनीति के तहत ‘इंडिया गठबंधन’ के संयुक्त प्रत्याशी सभी 9 सीटों पर समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ के निशान पर चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि ये देश का संविधान, सौहार्द और PDA का मान-सम्मान बचाने का चुनाव है। अखिलेश के बयानों को कांग्रेस अन्य राज्यों में आधार बना सकती है, जहां पर पार्टी का कैडर कुछ खास नहीं है। साथ ही, अखिलेश की चुनौती विधानसभा चुनाव 2027 के दौरान भी बढ़नी तय है।

दरअसल, यूपी की 10 सीटों पर उपचुनाव होना । इसमें मैनपुरी की करहल, कानपुर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मिर्जापुर की मझवां, अयोध्या की मिल्कीपुर, गाजियाबाद सदर, अलीगढ़ की खैर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट शामिल हैं। अयोध्या की मिल्कीपुर सीट को छोड़कर सभी 9 सीटों पर उपचुनाव होना है।

चुनौतियां और भी हैं

अखिलेश यादव ने अभी तो विधानसभा उपचुनाव को लेकर अपनी रणनीति साफ कर दी है। दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 के पहले हुए उपचुनावों में कांग्रेस और बसपा किनारे ही रह रही थी। लेकिन, लोकसभा चुनाव ने कांग्रेस को प्रदेश में नई जान फूंकी है। 6 सीटों पर जीत से उत्साहित पार्टी अब उपचुनाव के रिजल्ट पर गौर करेगी। अगर सपा अपने हिस्से की 5 जीतने में सफल रहती है और एनडीए के पाले की सीटों में सेंधमारी कर देती है तब तो पार्टी अभी शांत रहेगी। लेकिन, सपा का प्रदर्शन अगर कमजोर हुआ तो कांग्रेस का हमला बढ़ेगा।

कांग्रेस ने 5 सीटों पर दावेदारी से साफ कर दिया है कि पार्टी यूपी में बराबरी की हिस्सेदारी चाहती है। असर यूपी चुनाव 2027 में दिखेगा। अगर गठबंधन चलता है तो कांग्रेस उसमें भी आधी सीटों पर दावा कर देगी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उपचुनाव में कांग्रेस का कदम पीछे खींचना अखिलेश यादव के गठबंधन पॉलिटिक्स पर असर डाल सकती है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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