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रांचीः रांचीः झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी गई। भाजपा ने शनिवार 19 अक्टूबर को 66 उम्मीदवारों की घोषणा की है।
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने बताया कि पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक जेपी नड्डा की अध्यक्षता में 15 अक्टूबर को हुई थी। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय चुनाव समिति के अन्य सदस्य उपस्थित रहे। केंद्रीय चुनाव समिति ने झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण में 66 नामों की मंजूरी दी।
राजमहल से अनंत ओझा, बोरियो से लोबिन हेम्ब्रम, लिट्टीपाड़ा से बाबूधन मुर्मू, महेशपुर से नवनीत हेम्ब्रम, शिकारीपाड़ा से परितोष सोरेन और नाला से माधव चंद्र महतो को उम्मीदवार बनाया गया है।
जामताड़ा से सीता सोरेन, दुमका से सुनील सोरेन, जामा से सुरेश मुर्मू, जरमुंडी से देवेंद्र कुंवर, मधुपुर से गंगा नारायण सिंह, सारठ से रणधीर सिंह और देवघर से नारायण दास को टिकट दिया गया है।
बीजेपी की ओर से पोड़ैयाहाट से देवेंद्रनाथ सिंह, गोड्डा से अमित कुमार मंडल, महगामा से अशोक कुमार भगत और कोडरमा से नीरा यादव को उम्मीदवार बनाया गया है।
बीजेपी केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में उम्मीदवारों के संभावित नामों पर विचार किया गया और उसे अंतिम रूप दिया गया। इस बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, झारखंड के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान, सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा और प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी समेत अन्य नेता मौजूद रहे।
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक पिछले दिनों हुई पार्टी नेताओं की बैठक में ही झारखंड के उम्मीदवारों के नाम पर सहमति बन गई थी। बीजेपी की ओर से झारखंड विधानसभा चुनाव में जीत के लिए हर तरह से तैयारी की गई है। प्रत्याशियों के चयन में भी खास सावधानी बरती जा रही है। सभी जातीय और सामाजिक समीकरणों के अलावा आरक्षित सीटों पर जीत हासिल करने के लिए विशेष रणनीति बनाई गई है।
इस चुनाव में भाजपा फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। वर्ष 2014 से लेकर 2019 तक पांच सालों तक रघुवर दास के नेतृत्व में राज्य में बीजेपी सरकार ने कार्यकाल पूरा किया। लेकिन चुनाव के ऐन मौके पर सरयू राय का टिकट काटना और आजसू पार्टी के साथ समझौता नहीं हो पाना बीजेपी को महंगा पड़ा। दोनों ही दलों को 2019 के चुनाव में उठाना पड़ा और बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई। इसलिए इस बार पार्टी की ओर से पहले सर्वे काराया गया। अलग-अलग सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही उम्मीदवार चयन का काम पूरा किया जा रहा है।
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने बताया कि पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक जेपी नड्डा की अध्यक्षता में 15 अक्टूबर को हुई थी। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय चुनाव समिति के अन्य सदस्य उपस्थित रहे। केंद्रीय चुनाव समिति ने झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण में 66 नामों की मंजूरी दी।
राजमहल से अनंत ओझा, बोरियो से लोबिन हेम्ब्रम, लिट्टीपाड़ा से बाबूधन मुर्मू, महेशपुर से नवनीत हेम्ब्रम, शिकारीपाड़ा से परितोष सोरेन और नाला से माधव चंद्र महतो को उम्मीदवार बनाया गया है।
जामताड़ा से सीता सोरेन, दुमका से सुनील सोरेन, जामा से सुरेश मुर्मू, जरमुंडी से देवेंद्र कुंवर, मधुपुर से गंगा नारायण सिंह, सारठ से रणधीर सिंह और देवघर से नारायण दास को टिकट दिया गया है।
बीजेपी की ओर से पोड़ैयाहाट से देवेंद्रनाथ सिंह, गोड्डा से अमित कुमार मंडल, महगामा से अशोक कुमार भगत और कोडरमा से नीरा यादव को उम्मीदवार बनाया गया है।
चुनाव समिति की बैठक में नामों को दिया गया अंतिम रूप
बीजेपी केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में उम्मीदवारों के संभावित नामों पर विचार किया गया और उसे अंतिम रूप दिया गया। इस बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, झारखंड के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान, सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा और प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी समेत अन्य नेता मौजूद रहे।
प्रत्याशी चयन में जातीय और सामाजिक समीकरणों का ध्यान
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक पिछले दिनों हुई पार्टी नेताओं की बैठक में ही झारखंड के उम्मीदवारों के नाम पर सहमति बन गई थी। बीजेपी की ओर से झारखंड विधानसभा चुनाव में जीत के लिए हर तरह से तैयारी की गई है। प्रत्याशियों के चयन में भी खास सावधानी बरती जा रही है। सभी जातीय और सामाजिक समीकरणों के अलावा आरक्षित सीटों पर जीत हासिल करने के लिए विशेष रणनीति बनाई गई है।
बीजेपी उम्मीदवारों के चयन में सर्वे रिपोर्ट बना आधार
इस चुनाव में भाजपा फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। वर्ष 2014 से लेकर 2019 तक पांच सालों तक रघुवर दास के नेतृत्व में राज्य में बीजेपी सरकार ने कार्यकाल पूरा किया। लेकिन चुनाव के ऐन मौके पर सरयू राय का टिकट काटना और आजसू पार्टी के साथ समझौता नहीं हो पाना बीजेपी को महंगा पड़ा। दोनों ही दलों को 2019 के चुनाव में उठाना पड़ा और बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई। इसलिए इस बार पार्टी की ओर से पहले सर्वे काराया गया। अलग-अलग सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही उम्मीदवार चयन का काम पूरा किया जा रहा है।
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