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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट आज से इस सवाल पर सुनवाई शुरू करेगा कि क्या एक पति को अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती यौन संबंध बनाने पर कानूनी संरक्षण मिलता रहना चाहिए, अगर पत्नी नाबालिग नहीं है। बुधवार को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि वह गुरुवार को याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी।यह सुनवाई इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि केंद्र सरकार ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में लाने का विरोध किया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी है कि अगर पति की ओर से पत्नी के साथ जबरदस्ती यौन संबंध बनाने को रेप माना जाता है, तो इससे वैवाहिक संबंधों पर बहुत बुरा असर पड़ेगा और विवाह जैसी पवित्र संस्था पर भी गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
वरिष्ठ वकील करुणा नंदी ने कुछ याचिकाकर्ताओं की तरफ से दिन की कार्यवाही खत्म होने से पहले इन याचिकाओं का जिक्र पीठ के सामने किया क्योंकि दिन में इनका उल्लेख नहीं हो पाया था। यह मामला उन याचिकाओं से जुड़ा है जो सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में मांग की गई है कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध माना जाए।
वरिष्ठ वकील करुणा नंदी ने कुछ याचिकाकर्ताओं की तरफ से दिन की कार्यवाही खत्म होने से पहले इन याचिकाओं का जिक्र पीठ के सामने किया क्योंकि दिन में इनका उल्लेख नहीं हो पाया था। यह मामला उन याचिकाओं से जुड़ा है जो सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में मांग की गई है कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध माना जाए।
याचिकाकर्ताओं का क्या तर्क?
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि शादी का मतलब यह नहीं है कि पति को अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती यौन संबंध बनाने का अधिकार मिल जाता है। दूसरी तरफ, केंद्र सरकार का कहना है कि ऐसा कानून लाने से पति-पत्नी के रिश्ते में खटास आ जाएगी और यह कानून का दुरुपयोग भी हो सकता है। अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाता है।आज सबसे पहले होगी इस मामले की सुनवाई
चीफ जस्टिस ने कहा, 'वैवाहिक बलात्कार का मामला सुनवाई के लिए सबसे पहले लिया जाएगा, हम कल से सुनवाई शुरू करेंगे।' केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जब स्थगन की मांग की, तो मुध्य न्यायाधीश ने कहा, 'यह पूर्व निर्धारित मामला है, उन्हें कल से इसे शुरू करने दें। इस मामले को पहले भी कई बार तत्काल सुनवाई के लिए उल्लेखित किया गया है।'
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