डीप स्टेट, वोकिज़म, कल्चरल मार्क्सिस्ट... संघ प्रमुख भागवत ने बताई देश के सामने क्या हैं चुनौतियां

नई दिल्ली: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी उत्सव के अपने भाषण में कई मुद्दों पर चर्चा की। संघ प्रमुख ने देश के सामने चुनौतियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि डीप स्टेट, वोकिजम और कल्चरल कल्चरल मार्क्सिस्ट आजकल काफी चर्चा में है। ये सभी

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नई दिल्ली: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी उत्सव के अपने भाषण में कई मुद्दों पर चर्चा की। संघ प्रमुख ने देश के सामने चुनौतियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि डीप स्टेट, वोकिजम और कल्चरल कल्चरल मार्क्सिस्ट आजकल काफी चर्चा में है। ये सभी सांस्कृतिक परम्पराओं के घोषित शत्रु हैं। इसके अलावा भागवत ने बांग्लादेश में हुए हिंदुओं पर अत्याचार का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि दुर्बल रहना अपराध है, इसलिए हिंदुओं को एकजुट होने की जरूरत है।

क्या हैं सांस्कृतिक परंपराओं के शत्रु?

आरएसएस प्रमुख ने कहा, ''डीप स्टेट', 'वोकिज़म', 'कल्चरल मार्क्सिस्ट', आजकल चर्चा में हैं। वास्तव में ये सभी सांस्कृतिक परम्पराओं के घोषित शत्रु हैं। सांस्कृतिक मूल्यों, परम्पराओं तथा जहां जहां जो भी भद्र, मंगल माना जाता है, उसका समूल उच्छेद इस समूह की कार्यप्रणाली का अंग है। समाज मन बनाने वाले तंत्र व संस्थानों को अपने प्रभाव में लाना, उनके द्वारा समाज का विचार, संस्कार, और आस्था को नष्ट करना, यह इस कार्यप्रणाली का प्रथम चरण होता है।

देश के सामने की चुनौतियां बताईं

उन्होंने आगे कहा, असंतोष को हवा देकर उस घटक को शेष समाज से अलग, व्यवस्था के विरुद्ध, उग्र बनाया जाता है। समाज में टकराव की सम्भावनाओं को (fault lines) ढूंढ कर प्रत्यक्ष टकराव खड़े किए जाते हैं। व्यवस्था, कानून, शासन, प्रशासन आदि के प्रति अश्रद्धा व द्वेष को उग्र बना कर अराजकता व भय का वातावरण खड़ा किया जाता है। इससे उस देश पर अपना वर्चस्व स्थापित करना सरल हो जाता है।

बांग्लादेशी हिंदुओं का उठाया मुद्दा

मोहन भागवत ने बांग्लादेश में हुए हिंदुओं पर अत्याचार को लेकर कहा, अभी अभी बांग्लादेश में जो हिंसक तख्तापलट हुआ उसके तात्कालिक व स्थानीय कारण उस घटनाक्रम का एक पहलू है । परन्तु तद्देशीय हिंदु समाज पर अकारण नृशंस अत्याचारों की परंपरा‌ को फिर से दोहराया गया । उन अत्याचारों के विरोध में वहां का हिंदु समाज इस बार संगठित होकर स्वयं के बचाव में घर के बाहर आया इसलिए थोड़ा बचाव हुआ । परन्तु यह अत्याचारी कट्टरपंथी स्वभाव जब तक वहां विद्यमान है तब तक वहां के हिंदुओं सहित सभी अल्पसंख्यक समुदायों के सिर पर खतरे की तलवार लटकी रहेगी ।

जनसंख्या असंतुलन पर भी रखी बात

उन्होंने आगे कहा, इसीलिए उस देश से भारत में होनेवाली अवैध घुसपैठ व उसके कारण उत्पन्न जनसंख्या असंतुलन देश में सामान्य जनों में भी गंभीर चिंता का विषय बना है । देश में आपसी सद्भाव व देश की सुरक्षा पर भी इस अवैध घुसपैठ के कारण प्रश्न चिन्ह लगते है । उदारता, मानवता, तथा सद्भावना के पक्षधर सभी के, विशेष कर भारत सरकार तथा विश्वभर के हिंदुओं के सहायता की बांग्लादेश में अल्पसंख्यक बने हिंदु समाज को आवश्यकता रहेगी । असंगठित रहना व दुर्बल रहना यह दुष्टों के द्वारा अत्याचारों को निमंत्रण देना है यह पाठ भी विश्व भर के हिंदु समाज को ग्रहण करना चाहिए । परन्तु बात यहां रुकती नहीं ।

'बांग्लादेश के पाकिस्तान से मिलने की हो रही बात'

अब वहां (बांग्लादेश में) भारत से बचने के लिए पाकिस्तान से मिलने की बात हो रही है । ऐसे विमर्श खड़े कर व स्थापित कर कौनसे देश भारत पर दबाव बनाना चाहते हैं इसको बताने की आवश्यकता नहीं है । इसके उपाय यह शासन का विषय है । परंतु समाज के लिए सर्वाधिक चिन्ता की बात यह है कि समाज में विद्यमान भद्रता व संस्कार को नष्ट-भ्रष्ट करने के, विविधता को अलगाव में बदलने के, समस्याओं से पीड़ित समूहों में व्यवस्था के प्रति अश्रद्धा उत्पन्न करने के तथा असन्तोष को अराजकता में रूपांतरित करने के प्रयास बढ़े हैं ।

'देश में कट्टरपन उकसाने वाली घटनाएं बढ़ीं'

भागवत ने आगे कहा, देश में विनाकारण कट्टरपन को उकसाने वाली घटनाओं में भी अचानक वृद्धि हुई दिख रही है । परिस्थिति या नीतियों को लेकर मन में असंतुष्टि हो सकती है परन्तु उसको व्यक्त करने के और उनका विरोध करने के प्रजातांत्रिक मार्ग होते हैं । उनका अवलंबन न करते हुए हिंसा पर उतर आना, समाज के एकाध विशिष्ट वर्ग पर आक्रमण करना, विना कारण हिंसा पर उतारू होना, भय पैदा करने का प्रयास करना, यह तो गुंडागर्दी है । इसको उकसाने के प्रयास होते हैं अथवा योजनाबद्ध तरीके से किया जाता है ऐसे आचरण को पूज्य डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर जी ने अराजकता का व्याकरण ( ‘Grammar of Anarchy’ ) कहा है । अभी बीत गए गणेशोत्सवों के समय श्रीगणपति विसर्जन की शोभायात्राओं पर अकारण पथराव की तथा तदुपरान्त बनी तनावपूर्ण परिस्थिति की घटनाएं उसी व्याकरण का उदाहरण है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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